MP News: इंदौर में नहीं पूरी हो रही ईमानदार और ऊर्जावान शहर कांग्रेस अध्यक्ष की तलाश, हाईकमान पर अनदेखी का आरोप
MP News: 35 साल से कांग्रेस का शहर संगठन एक ईमानदार ऊर्जावान शहर कांग्रेस अध्यक्ष की तलाश करने में असफल रहा है. कांग्रेस का 35 सालों का इतिहास देखें तो पं. कृपा शंकर शुक्ला के अध्यक्ष वाले कार्यकाल के बाद जितने भी अध्यक्ष बने सभी ने इंदौर में कांग्रेस संगठन का कचूमर निकाला हैं. पूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष प्रमोद टंडन, विनय बाकलीवाल, सुरजीत चड्डा ने कांग्रेस की करारी हार का इतिहास इंदौर शहर कांग्रेस के नाम लिख दिया हैं. इसके बाद भी कांग्रेस का हाईकमान शहर कांग्रेस अध्यक्ष और संगठन को लेकर गंभीर नहीं हैं. पिछले पांच वर्ष से इंदौर में शहर कांग्रेस अध्यक्ष की कार्यकारिणी ही नहीं हैं.
शहर अध्यक्ष को हटाने की चर्चा ज़ोरों पर
लोकसभा, विधानसभा एंव नगर निगम जैसे बड़े चुनाव हो गये, लेकिन शहर कांग्रेस कार्यकारिणी नहीं बन पायी. वर्तमान में शहर अध्यक्ष को हटाने की चर्चा ज़ोरों पर हैं लेकिन अब कौन शहर अध्यक्ष का ताज सँभालेगा ये किसी को पता नहीं हैं. कांग्रेस के बड़े नेता बड़ी बड़ी बातें करके सक्रिय और संगठन को मज़बूत करने वाला शहर अध्यक्ष बनाने का दावा करते हैं, लेकिन परदे के पीछे ऐसे नामों पर विचार कर रहें हैं जिससे एक बार फिर इंदौर शहर अध्यक्ष पद पर डमी अध्यक्ष बनने वाला हैं. एमपी कांग्रेस प्रभारी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष विभिन्न हितों को साधते हुए एक बार फिर शहर कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में डमी अध्यक्ष देकर भाजपा को वाक ओवर देने को तैयार हैं. कांग्रेस कार्यकर्ताओं का दुर्भाग्य हैं कि 35 साल से एक ईनामदार कांग्रेसी अध्यक्ष को तलाश रहें हैं, लेकिन नेता बोगस नेताओं पर दांव लगाकर अपनी आत्म संतुष्टि कर रहें हैं.
कांग्रेस हाईकमान अनदेखी का आरोप
इंदौर में कांग्रेस का दुर्भाग्य नेताओं के पठ्ठावाद की वजह से समाप्त ही नहीं हो रहा हैं. इंदौर में कांग्रेस संगठन मृतप्राय ही हैं. कांग्रेस के नाम पर बचे कुचे 100 से 200 नेता ही नज़र आते हैं. वार्ड और ज़मीनी स्तर पर कांग्रेस लगभग समाप्त हो गई हैं. इसका सबसे बड़ा कारण बड़े नेताओं एंव राजनैतिक ठेकेदारों की महत्वकांक्षा रहीं हैं. एक भी बड़ा नेता इंदौर कांग्रेस अध्यक्ष पद पर समझदार राजनैतिक नेता को शहर अध्यक्ष नहीं बनाना चाहता हैं. कांग्रेस में अब यह चर्चा आम हैं कि कांग्रेस में पद बिना पैसों के नहीं मिलते. योग्यता को सालों से दरकिनार कर दिया गया हैं. इसका ख़ामियाज़ा लगातार कांग्रेस भुगत रहीं हैं, लेकिन कांग्रेस हाईकमान ऑंखें मूँदकर बैठा हैं. बहरहाल एक बार फिर इंदौर में डमी शहर कांग्रेस अध्यक्ष मिलने के बाद भाजपा की रहा बहुत आसान होने जा रहीं हैं.