MP News: डिंडोरी जिले के ग्रामीण इलाको में टपकती छत के नीचे पढ़ने को मजबूर नौनिहाल, जर्जर हो चुके स्कूल भवन

MP News: समनापुर जनपद पंचायत क्षेत्र के छाटा ग्राम पंचायत में संचालित एकीकृत कन्या प्राथमिक शाला में करीब 76 छात्र छात्राएं रजिस्टर्ड है.
children studying under a leaking roof

टपकती छत के नीचे पढ़ते बच्चे

अनिल साहू- 

MP News: प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य डिंडोरी जिले के ग्रामीण इलाको में संचालित स्कूल भवन जर्जर हो रहे है,बारिश में छत टपक रही है. शिक्षक पन्नी तानकर रिकार्ड सुरक्षित रखने को मजबूर है. वहीं सर्व शिक्षा अभियान के डी पी सी ने जर्जर हो चुके भवनों में शिक्षकों को पन्नी लगाकर भवन सुरक्षित रखने के निर्देश जारी किए है.

एक कमरे में 76 बच्चे, बारी बारी से पढ़ाते है पांच शिक्षक

समनापुर जनपद पंचायत क्षेत्र के छाटा ग्राम पंचायत में संचालित एकीकृत कन्या प्राथमिक शाला में करीब 76 छात्र छात्राएं रजिस्टर्ड है. हेड मास्टर बिहारी लाल सरैया, शिक्षक भगवान दास ब्योहार, दामोदर सिंह चंदेल,सुहागा मरकाम,जमुना उईके शिक्षक पदस्थ है. शिक्षक भगवान दास ब्योहार ने बताया कि पिछले दो साल से बारिश में पूरे कमरों में छत से पानी टपकता है. कमरों में पानी भर जाता है।एक कमरा सुरक्षित है वही 76 बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।नीचे का फर्श में भी सीतांश रहता है,स्कूल के रिकार्ड बचाने के लिए पन्नी तान कर रखे है,इसके अलावा एक भवन पहले ही जर्जर हो चुका है.

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गांव वाले भी करते है परेशान

शिक्षक भगवान दास ने बताया कि पालक संघ के लोग भी ध्यान नहीं दे रहे है. इसके अलावा गांव के लोग स्कूल परिसर में गंदगी करके चले जाते है. पूर्व में स्कूल में गेट लगवाया था जिसे भी उखाड़ कर ले गए. स्कूल परिसर में बिजली का मीटर लगा हुआ था उसकी भी तार काट ले गए. शिक्षक ने बताया की सरपंच सचिव से कई बार बात की लेकिन स्कूल की तरफ ज्यादा कोई ध्यान नहीं देता.

डी पी सी बोले 550 स्कूलों का भेजा प्रस्ताव

मामले में सर्व शिक्षा अभियान के डी पी सी राघवेंद्र मिश्रा का कहना है कि 550 स्कूलों की मरम्मत कराए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है. जिसका आवंटन ही नहीं मिला इसलिए सभी स्कूलों में निर्देश जारी किए गए है कि बारिश के मौसम में पन्नी तानकर काटो, पैसा आ जायेगा तो मरम्मत कार्य करवाए जायेंगे. हेड मास्टर ग्रामीणों का सहयोग ले ताकि व्यवस्था में थोड़ा सुधार हो सके. जिले में अगर आंकड़ों की बात की जाए तो 620 स्कूल भवन जर्जर हो चुके हैं, और 137 ऐसे स्कूल हैं जो खंडहर हो चुके हैं, बावजूद जिम्मेदार इस और ध्यान नहीं दे रहे जिसका खामियाजा छोटे छोटे बच्चों के पढ़ाई में असर पड़ रहा है.

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