MP News: ‘मिनी पचमढ़ी’ के नाम से फेमस ये जगह मानसून में घूमने के लिए है परफेक्ट, सुंदरता देखकर रह जाएंगे हैरान
MP News: तीन महीने की लंबी गर्मी का मौसम जिसमें धरती का एक-एक कोना वीरान हो जाता है. पत्तियां पेड़ों का साथ छोड़ देती हैं. मुरझाये, अलसाये से पेड़-पौधे दिखाई देते हैं. वीरान सड़कों से होते हुए जब हम घरों से दूर जंगलों में झांकते हैं तो अपनी शाख लिए खड़े रहते हैं जिन पर ना तो पत्तियां दिखाई देती हैं और ना ही परिंदे. जंगलों में इस कदर शांति होती है कि मुरझाई पत्ती भी जमीन पर गिरती है तो उसकी भी आवाज सुनाई देती है.
जंगलों में इन पेड़ के नीचे सुनहरी घास दिखाई देती है जो धूप के तीखे तेवर भी झेल ना सकी. घास से लेकर पेड़ों के शिखर तक सब सुनहरा सा लगता है. इन पेड़ों के ऊपर का आसमान बिल्कुल साफ और नीला दिखता है. ऐसा लगता है मानो किसी ने नीले रंग से इसे रंग दिया हो. जब ये गर्मी अपने चरम पर होती है तो इंतजार होता है मानसून का. एक ऐसा मौसम जो पूरी धरती की तस्वीर को बदल देता है.
मानसून, जिसका पूरा भारत इंतजार करता है. इस मानसून की पहली बूंद जब धरती पर गिरती है तो पूरे जंगल को महका देती है. मिट्टी की सौंधी खुशबू जंगल की हवा में घुल जाती है. जब बारिश लगातार होती है तो गर्मी से तपकर सुनहरा बना जंगल फिर से हरा-भरा बन जाता है. एमपी भारत के उन राज्यों में से एक है जहां बारिश का मतलब ‘फिर से जीवन’ है. मानसून के इस सीजन में एमपी की कुछ जगहें इस कदर खूबसूरत हो जाती हैं कि इनकी तारीफ किए बिना कोई रह नहीं पाता. इनमें से एक है सतपुड़ा की पहाड़ों में बसा ‘तामिया’.
नेचुरल ब्यूटी और मानसून का तोहफा है ‘तामिया’
एमपी के छिंदवाड़ा जिले में सतपुड़ा के पहाड़ों में 1000 मीटर पर स्थित तामिया एक हिल स्टेशन है. ये मानसून में किसी स्वर्ग से कम नहीं लगता है. बारिश के मौसम में जहां तक नजर जाती है वहां तक घना और हरा-भरा जंगल दिखाई देता है. पहाड़ियां और पहाड़ियों पर लदे पेड़-पौधे दिखाई देते हैं. इन्हीं पहाड़ियों में बीच-बीच में बारिश से बने झरने भी दिख जाते हैं. बारिश इस जगह को इस तरह निखार देती है जैसे कोई कारीगर एक मूर्ति को तराशता है.
तामिया की पहाड़ियों से आप आसपास देखते हैं तो हरी चादर पसरी नजर आती है. इस हरी चादर का असली कारण मानसून ही होता है. जहां तक नजर जाती है वहां तक पहाड़ियां, घाटियां और जंगल के अलावा और कुछ नजर नहीं आता है. मानसून के सीजन में बादल तामिया को कुछ इस तरह घेर लेते हैं जैसे किसी फूल को भंवरों ने घेर लिया हो. पहाड़ियों से टकराते ये बादल मानो कुछ इस तरह लगते हैं जैसे समंदर से समेटा सारा पानी उड़ेल देना चाहते हों. इसी कारण इसे नेचुरल ब्यूटी और मानसून का तोहफा कहा जाता है.
अनहोनी कुंड: एक ऐसा कुंड जिसका पानी हर मौसम में गर्म रहता है
तामिया से दस किमी की दूरी पर एक गांव है अनहोनी. इस गांव में एक कुंड है जिसका पानी हमेशा गर्म रहता है. दिन हो या रात, गर्मी हो या सर्दी यहां तक की बारिश के मौसम में भी इस कुंड का पानी गर्म रहता है. पानी भी इतना गर्म की शरीर में जलन होने लगती है. साइंटिस्ट मानते हैं कि इस कुंड के पानी में सल्फर है जो इसे गर्म बनाए रखता है. ऐसा कहा जाता है कि इस कुंड के पानी में नहाने से स्किन डिसीज खत्म हो जाती हैं.
इस कुंड के आसपास कई सारे मंदिर भी हैं. इनमें अनहोनी माता का मंदिर भी है. यहां मकर संक्रांति का मेला लगता है जिसमें दूर-दूर से लोग आते हैं. यहां तिल के लड्डू का भोग लगाते हैं. श्रद्धालु यहां कच्चे चावल बांधकर पोटली में लाते हैं उन्हें कुंड के गर्म पानी में डालते हैं. जैसे ही पोटली को गर्म पानी में डाला जाता है कुछ देर बाद चावल पक जाता है. इस पके हुए चावल को प्रसाद के रूप में ग्रहण कर लिया जाता है.
देनवा नदी का खूबसूरत तोहफा है सतधारा वॉटरफॉल
तामिया के जाते वक्त मटकुली के पास देनवा नदी मिलती है. देनवा नदी जो सतपुड़ा के पहाड़ों से निकलकर जंगलों के बीच से होते हुए तवा नदी में मिलती है. तवा नदी में मिलने से पहले मटकुली के पास एक शानदार वॉटरफॉल बनाती है. नदी के दोनों ओर घना जंगल, क्रिस्टल की तरह चमकता पानी और साफ हवा इस जगह को बेमिसाल बनाती है. इसी जगह है सतधारा वॉटरफॉल.
इस वॉटरफॉल को सतधारा इसलिए कहा जाता है क्योंकि चट्टानों के कारण नदी कई धाराओं में बंट जाती है. कुछ समय के लिए नदी का पानी दूधिया हो जाता है. नेचर लवर यहां आने से खुद को रोक नहीं पाते और यहां आकर वापस जाना नहीं चाहते.
तामिया तक आने का रास्ता आपका मन मोह लेगा
आप पिपरिया से तामिया आते हैं तो आप इस रास्ते को कभी नहीं भूल पाएंगे. ये रास्ता पहाड़ों, नदियों, जंगलों और शानदार मौसम वाला है. इस रास्ते पर आपको घने जंगल, वाइल्डलाइफ के साथ-साथ शानदार नजारे देखने को मिलते हैं. पिकॉक प्वॉइंट भी मिलता है जहां आप मोर को नाचते हुए भी देख सकते हैं. इसके अलावा तामिया व्यू प्वॉइंट से आप तामिया की सुंदरता का लुत्फ उठा सकते हैं. पिपरिया से तामिया तक का रास्ता जैसे-जैसे जंगलों के बीच से गुजरता हुआ पहाड़ों तक पहुंचता है तो शानदार होता चला जाता है.
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सनराइज और सनसेट का नजारा
तामिया पहाड़ी पर बसा एक छोटा सा गांव है. यहां से सनसेट और सनराइज का शानदार नजारे का लुत्फ उठाया जा सकता है. यहां सनसेट और सनराइज देखने दूर-दूर से टूरिस्ट आते हैं. पहाड़ियों के बीच से उगते और डूबते सूरज का नजारा अद्भुत होता है.
ट्रैकिंग के लिए शानदार जगह है
जो लोग ट्रैकिंग के शौकीन हैं उनके लिए तामिया बेस्ट प्लेस है. यहां की भौगोलिक स्थिति के कारण ट्रैकिंग का मजा लिया जा सकता है. सरकार भी यहां ट्रैकिंग के साथ-साथ कैपिंग और दूसरे एडवेंचर गेम्स को बढ़ावा दे रही है. तामिया में ट्रैकिंग के लिए मानसून और विंटर सीजन सबसे मुफीद समय होता है.
सर्दियों और मानसून में स्वर्ग से कम नहीं लगता
तामिया घूमने के लिए सबसे सही समय मानसून और विंटर सीजन है. दोनों ही सीजन आपको मंत्रमुग्ध करने के लिए काफी है. जहां मानसून के सीजन में आप ग्रीनरी, पहाड़ों को छूते बादल और सतपुड़ा की बारिश का मजा ले सकते हैं वहीं विंटर के सीजन में आप गुलाबी ठंडा का लुत्फ उठा सकते हैं. ठंड के समय तामिया कोहरे में लिपटा नजर आता है. इसी कोहरे की चादर के बीच से निकलता सूरज सुकून देने वाला होता है.
आयुर्वेदिक दवा का खजाना है यहां
तामिया सतपुड़ा की पहाड़ियों पर बसा है. यहां कई तरह के पेड़-पौधे पाए जाते हैं जो और कहीं नहीं होते हैं. इन पेड़-पौधे से आयुर्वेदिक दवा बनाई जाती है. यहां के लोग इसके जानकार होते हैं जो तरह-तरह की बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली दवा को बनाते हैं. ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने लिखा है कि पचमढ़ी-तामिया-पातालपानी एरिया में कुछ ऐसी वेजिटेशन है जो दवाओं में इस्तेमाल होती हैं. यहां के लोग इनके अच्छे जानकार हैं.
ट्राइबल कल्चर को करीब से जान पाएंगे
सतपुड़ा का ये इलाका बैगा और गोंड आदिवासियों का घर है. यहां आप आदिवासी कल्चर को करीब से जान सकते हैं. खान-पान, रहन-सहन के साथ-साथ उनके तौर-तरीके, त्योहार मनाने के तरीके और रीति-रिवाज को जान सकते हैं. बैगा ट्राइब को जड़ी-बूटियों के बारे में महारत हासिल होती है. आजकल तामिया में भी होमस्टे जैसी सुविधा है. सरकार लोगों को यहां आने और होमस्टे में रुकने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. तामिया के बारे में जितना लिखा जाए उतना कम है. यहां की मिट्टी, हवा, पेड़-पौधे सब नायाब हैं. आपको भी कभी ना कभी एक बार तो जरूर ‘मिनी पचमढ़ी’ यानी तामिया जाना चाहिए.