MP News: ग्वालियर में नहीं थम रहे डिजिटल अरेस्ट के मामले, डॉक्टर को 3 दिन तक बंधक बनाकर लूटे 21 लाख रुपए

MP News: ग्वालियर में एक बार फिर एक डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर लाखों रुपए की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. आयुर्वेदिक डॉक्टर को ठगों ने 29 घंटे 17 मिनट तक डिजिटल अरेस्ट कर रखा और उससे 21 लाख रुपए ठग लिए हैं
In Gwalior, a doctor was digitally arrested and 21 lakh rupees were looted

प्रतीकात्मक तस्वीर (AI IMAGE)

MP News: ग्वालियर में एक बार फिर एक डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर लाखों रुपए की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. आयुर्वेदिक डॉक्टर को ठगों ने 29 घंटे 17 मिनट तक डिजिटल अरेस्ट कर रखा और उससे 21 लाख रुपए ठग लिए हैं. डॉक्टर को आरोपियों ने उनके आधार नंबर पर एक महालक्ष्मी ट्रांसपोटेशन कंपनी बनाकर करोड़ों रुपए मनी लॉड्रिंग के जरिए इधर-उधर करने की बात कहकर डराया था. जब डॉक्टर ने इनकार किया कि उसकी ऐसी कोई कंपनी नहीं है तो उसे परिवार सहित गिरफ्तार कर उम्रकैद की बात कहकर डराया गया. आखिरी में मदद का भरोसा देकर फर्जी CBI अधिकारी ने बात की. उनके अकाउंट में जमा 21 लाख रुपए अपने अकाउंट में RTGS कराने के बाद छोड़ा है. इसके बाद डॉक्टर को अहसास हुआ कि वह ठगा गया है. डॉक्टर की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

नकली कंपनी के नाम से फंसाया गया

दरअसल ग्वालियर के गोला का मंदिर थाना क्षेत्र के हनुमान नगर निवासी मुकेश शुक्ला आयुर्वेदिक डॉक्टर है. मोबाइल पर एक कॉल आया. कॉल करने वाले ने उनसे बातचीत करते हुए बताया कि वह आईटी कंपनी से बोल रहे हैं और उनके नाम पर चल रही महालक्ष्मी ट्रांसपोर्टेशन कंपनी पर 9 लाख 40 हजार 44 रुपये की रिकवरी निकली है. जब उन्होंने महालक्ष्मी ट्रांसपोर्टेशन कंपनी उनकी ना होने की बात कही तो कॉल करने वाले ने बताया कि कंपनी तो आपके आधार नंबर पर ही बनी है. इसके बाद भी डॉक्टर ने कहा कि उसने न कोई कंपनी बनाई है न ही वह महालक्ष्मी ट्रांसपोर्टेशन कंपनी के बारे में जानता है. इस पर कॉल करने वाले ने कहा कि लगता है कि आपका आधार कार्ड का गलत उपयोग किया गया है. इसके बाद उसने पुलिस मुख्यालय दिल्ली में दो घंटे में शिकायत करने के लिए कहा. ऐसा नहीं करने पर उनकी गिरफ्तारी की बात कही. इस पर बुजुर्ग डॉक्टर घबरा गया.

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ठगों ने डॉक्टर से मनी लॉन्ड्रिंग की बात कहकर डराया

डॉक्टर ने कहा कि वह ग्वालियर में हूं और दो घंटे में दिल्ली कैसे पहुंच सकता हूं. इस पर कॉल करने वाले दिल्ली पुलिस में ऑनलाइन FIR मदद करने के लिए वादा किया. कॉल करते ही आरोपी ने मनी लॉन्ड्रिंग का जाल बिछाया. इसके बाद डॉक्टर को कॉल करने वाले ने दिल्ली पुलिस मुख्यालय में पदस्थ सब इंस्पेक्टर अजय शर्मा का मोबाइल नंबर दिया और कहा कि आप इनको कॉल कीजिए. मैं भी उनको आपकी मदद के लिए बोलता हूं. जब उन्होंने अजय शर्मा से कॉल लगाकर बातचीत की तो अजय शर्मा ने उनके दस्तावेज मांगे और बताया कि उनके आधार कार्ड पर मनी लाड्रिंग का मामला दर्ज है. कुछ दिन पहले मनीष चौधरी के यहां पर CBI की रेड हुई थी. वहां आपका यह आधार कार्ड मिला था. जिस पर करोड़ों रुपए का लेनदेन हुआ है.

इसके बाद अजय ने डॉक्टर का फोटो लगा गोल्डन कार्ड दिखाया. साथ ही गिरफ्तारी वारंट भी दिखाया. जिसे देखने के बाद उनके पैरों तले जमीन निकल गई. इसके बाद अजय शर्मा ने उन्हें मजिस्ट्रेट के यहां से जारी हुआ वारंट दिखाया, जिसमें उसका फोटो और नाम से गिरफ्तारी वारंट था. इसके बाद उन्हें उन्होंने उसे निगरानी में होने की कही. आरोपी लगातार वीडियो कॉलिंग से नजर रखे हुए थे. इसके बाद कथित सब इंस्पेक्टर अजय ने आगे मदद करने के लिए CBI अधिकारी प्रवीण सूद से बात कराई. उन्होंने भी गिरफ्तारी के नाम डराया फिर मदद का आश्वासन दिया.

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फर्जी CBI अधिकारी ने कहा कि फ्रॉड आपके पीछे पड़े हैं वह आपके अकाउंट को ऑपरेट कर रहे हैं. यदि आप निर्दोष हो तो हम आपकी मदद करेंगे. फिर अकाउंट डिटेल लेकर उसमें जमा पैसा CBI पुलिस के अकाउंट में RTGS करने के लिए कहा. अगले दिन डॉक्टर ने अपने अकाउंट से 21 लाख रुपए RTGS करा दिए. इसके बाद वीडियो कॉल कट कर दिया गया. परेशान डॉक्टर ने अपने मिलने वाले एक परिचित को बताया कि वह अभी पुलिस की निगरानी में है और गिरफ्तारी से बचा है. इस पर परिचित को शंका हुई और उन्होंने ठगी होने की आशंका के साथ पुलिस से शिकायत करने के लिए कहा. हिम्मत कर डॉक्टर साइबर सेल पहुंचे और शिकायत की.

मामला समझते ही पुलिस अफसरों की समझ में आ गया कि वह डिजिटल अरेस्ट के शिकार हुए है. पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. इस मामले में टीआई क्राइम ब्रांच अजय पवार ने कहा कि एक आयुर्वेदिक डॉक्टर को ठगों ने मनी लॉड्रिंग में करोड़ों रुपए की हेराफेरी की बात कहकर डराया और गिरफ्तारी व उम्रकैद की धमकी देकर 21 लाख रुपए ठग लिए हैं. पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

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