MP News: मंदसौर में तिथि के हिसाब से मनाया जाता है स्वतंत्रता दिवस, अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में हुई विशेष पूजा

MP News: आज चतुर्दशी है लिहाजा हर साल की तरह इस बार भी शहर वासियों ने भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा का दूर्वाअभिषेक कर इस पर्व को धूमधाम से मनाया.
This festival was celebrated with great pomp by consecrating the idol of Lord Pashupatinath.

भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा का दूर्वाअभिषेक कर इस पर्व को धूमधाम से मनाया.

MP News: राजस्थान की सीमा से सटे मंदसौर जिले में आजादी का पर्व भी आध्यात्मिक तरीके से मनाया जाता है. यहां के लोग स्वतंत्रता दिवस को 15 अगस्त के साथ ही, सनातन धर्म में प्रचलित पंचांग की तिथि के मान से भी दो बार मानते हैं. 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ था. उस दिन श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी थी. लिहाजा यहां के लोग अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति के उस पर्व को, तिथि के मुताबिक भी मनाते चले आ रहे हैं.

पशुपतिनाथ की प्रतिमा का हुआ दूर्वाअभिषेक

आज चतुर्दशी है लिहाजा हर साल की तरह इस बार भी शहर वासियों ने भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा का दूर्वाअभिषेक कर इस पर्व को धूमधाम से मनाया. आजादी की 76वीं वर्षगांठ पर मंदसौर वासियों ने हर साल की तरह इस बार भी इस पर्व को धूमधाम से मनाया. मंदसौर शहर के लोग पिछले करीब 50 सालों से इस पर्व को दो बार मनाते चले आ रहे हैं. तिथि के मान से यहां पर श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा पर दुर्वाभिषेक कर मनाया जाता है.

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महाआरती हुआ आयोजन

जबकि कैलेंडर के मन से भी शहरवासी आजादी के पर्व को 15 अगस्त के दिन उसी तरह से धूमधाम से मनाते हैं, जिस तरह देश में इस पर्व को जोर-शोर से मनाया जाता है. आज श्रावणी चतुर्दशी होने के कारण भगवान पशुपतिनाथ के पुजारी पंडित कैलाश चंद्र भट्ट बताया कि ने शहरवासी के साथ मिलकर यहां सुबह से ही भगवान पशुपतिनाथ महादेव की विशाल अष्टमुखी प्रतिमा का दूर्वा से अभिषेक किया. करीब 3 घंटे तक हरि-हरि दूर्वा से अभिषेक के बाद भगवान की महा आरती हुई. इसके बाद शहरवासियों ने मंदिर परिसर में ही एक दूसरे को आजादी की बधाइयां दी. प्रधान पुजारी पंडित कैलाश चंद्र भट्ट ने बताया कि, सनातन धर्म में प्रथम पूज्य देव गणपति को दूर्वा चढ़ाने का महत्व मुक्ति के मार्ग में काफी शुभ माना जाता है. लिहाजा अंग्रेजों की गुलामी की बेड़ीयो से आजाद होने वाले इस पर्व को इस दूर्वा के अभिषेक के साथ यहां हर साल मनाया जाता है.

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