MP News: मंदसौर में है 1500 साल पुराना भगवान कुबेर का मंदिर, यहां गर्भगृह में कभी नहीं लगता ताला
MP News: दिवाली को रोशनी का त्योहार कहा जाता है. ये पांच दिनों तक मनाए जाना वाला त्योहार है जिसके अलग-अलग दिन अलग-अलग पर्व मनाया जाता है. दिवाली के त्योहार की शुरुआत धनतेरस से होती है. इस दिन कुबेर और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. मध्य प्रदेश के मंदसौर में भगवान कुबेर को समर्पित मंदिर है. इस मंदिर में धनतेरस के दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.
1500 साल पुराना है कुबेर मंदिर
जानकार मानते हैं कि इस मंदिर की स्थापना 1500 साल पहले की गई थी. ये मंदसौर जिले के खिलचीपुर कस्बे में है. इस मंदिर में स्थापित भगवान की मूर्ति अनोखी है. चतुर्भुज मूर्ति है जिनके एक हाथ में धन की पोटली, दूसरे हाथ में शस्त्र, तीसरे हाथ में प्याला और चौथे हाथ अभय मुद्रा में है. इस मंदिर कई सारी अनोखी बात हैं जो इसे अनोखा बनाती हैं. इस मंदिर में कुबेर अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं.
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गर्भगृह में कभी ताला नहीं लगाते- पुजारी
पुजारियों का कहना है कि मंदिर के गर्भगृह में कभी ताला नहीं लगाया जाता है. कुछ समय पहले तक गर्भगृह में दरवाजा ही नहीं था. यही सब इस मंदिर को अनोखा बनाता है. यहां दर्शन के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं. ये भारत का इकलौता कुबेर मंदिर है जहां गर्भगृह में कभी ताला नहीं लगता.
दर्शन से पूरी होती है मनोकामना
ऐसी मान्यता है कि कुबेर भगवान के दर्शन करने से मनोकामना पूरी हो जाती है. एक बार दर्शन करने और पूजा करने से धन संबंधी सारी समस्याएं दूर होती हैं. धन संबंधी मन्नत मांगने श्रद्धालु देश के अलग-अलग हिस्सों से यहां आते हैं.
धनतेरस पर होती है विशेष पूजा
दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस या धन त्रयोदशी का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन लोग भगवान कुबेर की पूजा करते हैं. मंदसौर के इस मंदिर में धनतेरस के दिन धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है. इसमें देश और राज्य के अलग-अलग हिस्से से आए श्रद्धालु शामिल होते हैं.