MP News: जबलपुर के रानी दुर्गावती एल्गिन अस्पताल में 8 माह से नवजात शिशुओं को पिलाई जा रही अमान्य दवा, रिपोर्ट के बाद हड़कंप

Jabalpur news: राज्य प्रयोगशाला से नमूने की परीक्षण रिपोर्ट मार्च में मिली रिपोर्ट के मुताबिक सी श्रेणी का मिला है. दवा में जो पेरासिटामोल के क्रिस्टल होते हैं वह घुल नहीं रहे थे, इसलिए इस दवा को अमानक माना गया है.
In Rani Durgavati Elgin Hospital, for the last 8 months, newborn babies were being given medicine which was non-standard.

रानी दुर्गावती एल्गिन अस्पताल में 8 महीने से नवजात बच्चों को ऐसी दवा पिलाई जा रही थी जो अमानक थी.

Jabalpur news: जबलपुर के एक सरकारी अस्पताल में लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है. यहां पिछले 8 महीने से नवजात बच्चों को ऐसी दवा पिलाई जा रही थी जो अमानक थी. यह कारनामा जबलपुर के रानी दुर्गावती एल्गिन अस्पताल में हुआ है. इसका खुलासा तब हुआ जब मध्य प्रदेश की खाद्य प्रयोगशाला से दवा के सैंपल की रिपोर्ट आई. रिर्पोट में साफ तौर पर कहा गया की दवा अमानाक है. इसके बाद आनन फानन में दवा के वितरण पर रोक लगाई गई. लेकिन तब तक 90% से ज्यादा दवा बच्चों को दी जा चुकी थी.

रिजल्ट पता लगते ही दवा पर लगी रोक

जबलपुर के सीएमएचओ डॉ संजय मिश्रा का कहना है कि, बच्चों में बुखार की समस्या को ठीक करने के लिए दी जाने वाली पैरासिटामोल सीबी पीडियाट्रिक ओरल सस्पेंशन जांच में फेल हो गई है. यह दवा शासकीय रानी दुर्गावती अस्पताल में बच्चों को उपचार के दौरान दी जा रही थी. उन्होंने बताया कि शासकीय अस्पताल में सरकार की एक एजेंसी के माध्यम से दवाओं की सप्लाई होती है. समय-समय पर रैंडम सैंपलिंग कराकर दवाओं की जांच की जाती है. एल्गिन में सिरप का नमूना जांच में अमानक मिला है, जिसके बाद दवा का उपयोग रोक दिया गया है. इसकी सूचना सरकार को दे दी गई है. संबंधित कंपनी पर राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा कार्रवाई की जाएगी.

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13 जुलाई से को लिया था सेंपल मार्च में आई रिपोर्ट

बता दें की औषधि प्रशासन विभाग ने पिछले साल 13 जुलाई को अस्पताल से दवा का नमूना लिया था. राज्य प्रयोगशाला से नमूने की परीक्षण रिपोर्ट मार्च में मिली रिपोर्ट के मुताबिक सी श्रेणी का मिला है. डॉक्टर का कहना है की दवा में जो पेरासिटामोल के क्रिस्टल होते हैं वह घुल नहीं रहे थे, इसलिए इस दवा को अमानक माना गया है. हालांकि डॉक्टर का दावा है कि इस दवा के पीने से किसी भी बच्चे को जान का खतरा नहीं बना है. केवल उसे दवा का असर बच्चों के बुखार पर काम हुआ होगा. लेकिन फिर भी यह मामला बेहद गंभीर है क्योंकि यह नवजात बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है लिहाजा इस मामले की जांच भी कराई जाएगी.

निर्माता कंपनी के खिलाफ होगी कार्रवाई

वहीं अधिकारियों का कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद सिरप के उपयोग पर रोक लगा दी गई है. सिरप निर्माता कंपनी की बेस्ट लैबोरेट्री प्राइवेट लिमिटेड इंदौर की है, जिसकी निर्माण इकाई धार जिले के पीथमपुर में है.अब निर्माता कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार को पत्राचार शुरू कर दिया गया है.

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