MP News: विजयपुर उपचुनाव में हार पर बोले ज्योतिरादित्य सिंधिया- बुलाते तो प्रचार के लिए जरूर जाता
MP News: विजयपुर विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार और कैबिनेट मंत्री रामनिवास रावत की हार के बाद अब पार्टी में गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है. विजयपुर में बीजेपी की हार और उपचुनाव में प्रचार नहीं करने गए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान ने मध्य प्रदेश की राजनीति में घमासान मचा दिया है.
मुझे बुलाया जाता तो मैं जरूर जाता- ज्योतिरादित्य सिंधिया
ग्वालियर-चंबल के चार दिन प्रवास पर शनिवार रात ग्वालियर पहुंचे कैबिनेट मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से जब मीडिया ने सवाल किया कि लोग कह रहे है कि महाराज के नहीं जाने से विजयपुर में बीजेपी की हार हुई है. इस पर सिंधिया ने कहा कि इस पर हमें चिंतन करना होगा, जरुर चिंता की बात है और अगर मुझे कहा जाता तो मैं जरूर जाता…हां पर यह गौर करना होगा कि बीजेपी ने विजयपुर और बुधनी उपचुनाव को लेकर जो स्टार प्रचारकों की सूची जारी की उसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम छठवें स्थान पर था.
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बीजेपी में गुटबाजी आ रही सामने- कांग्रेस
विजयपुर उपचुनाव के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी थी. खुद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव यहां पर ताबड़तोड़ रैलियां और आमसभा में करते हुए नजर आए, तो वहीं बीजेपी के प्रदेश मुखिया वीडी शर्मा भी लगातार जातिगत वोटों को साधने के लिए यहां रणनीति बनाते नजर आए. लेकिन इस उपचुनाव में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक मंत्री पूरी तरह से दूर रहे. एक भी बार सिंधिया यहां प्रचार प्रसार करने के लिए नहीं पहुंचे. वहीं उनके समर्थक मंत्री भी नहीं आए और महज 7 हजार वोटों से रामनिवास रावत चुनाव हार गए. इस हार को लेकर कांग्रेस बीजेपी में गुटबाजी का आरोप लगा रही है. कांग्रेस का कहना है कि विजयपुर उपचुनाव से सिंधिया की दूरी बनाना कहीं ना कहीं कांग्रेस को फायदा हुआ है.
विजयपुर उपचुनाव में कमान विधानसभा अध्यक्ष ने संभाली
विजयपुर उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार रामनिवास रावत की गिनती साल 2020 से पहले सिंधिया समर्थक नेता के तौर पर होती थी. लेकिन मार्च 2020 में जब सिंधिया अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल हुए तो रामनिवास रावत कांग्रेस में ही रहे. वहीं इस साल लोकसभा चुनाव के दौरान रामनिवास रावत कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए. रामनिवास रावत की बीजेपी में एंट्री की पूरी जमावट विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने की थी.
विजयपुर उपचुनाव की पूरी कमान विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने संभाल रखी थी. ग्वालियर-चंबल की सियासत में सिंधिया और तोमर की सियासी अदावत किसी से छिपी नहीं है. यहीं कारण है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित उनके गुट के सभी नेताओं ने पूरे चुनाव से दूरी बना ली थी. बीजेपी के स्टार प्रचारक होने के बाद भी सिंधिया का विजयपुर में एक भी चुनावी रैली नहीं करना भी सियासी गलियारों में काफी चर्चा में रहा.
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वहीं सिंधिया गुट का कोई भी बड़ा नेता विजयपुर में चुनाव प्रचार करने नहीं पहुंचा. सिंधिया की दूरी को लेकर उनके समर्थक नेताओं का कहना है कि अगर केंद्रीय मंत्री सिंधिया वहां प्रचार प्रचार करने के लिए जाते तो शायद यह सीट आज बीजेपी की खाते में होती लेकिन रामनिवास रावत ने ओवर कॉन्फिडेंस के चलते उन्हें नहीं बुलाया और चुनाव हार गए. यही कारण है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों ने जिस तरह से उपचुनाव से दूरी बनाई उसका असर सीधे चुनाव परिणाम पर देखने को मिला.
वही हार का कारण यह भी बताया जा रहा है कि विजयपुर उपचुनाव में बीजेपी के स्थानीय कार्यकर्ता कांग्रेस से बीजेपी में आए रामनिवास रावत को स्वीकार नहीं कर पाए. पूरे चुनाव के दौरान बीजेपी के कोर कार्यकर्ता सक्रिय नजर नहीं आए. यह बीजेपी की हार का बड़ा कारण बना. चुनाव में हार के बाद खुद रामनिवास रावत ने चुनाव में भीतरघात होने की बात कही थी फिलहाल यह चुनाव पूरी तरह से निपट चुका है. लेकिन सिंधिया के इस बयान ने फिर बीजेपी और मध्य प्रदेश की सियासत को गर्मा दिया है.