MP News: विंध्य की चार सीटों पर बीजेपी-कांग्रेस के बीच मुक़ाबला, BJP ने सभी सीटों पर प्रत्याशी उतार बनाई मनोवैज्ञानिक बढ़त
भोपाल: विंध्य में भाजपा ने सभी चार सीटों में रणनीति के तहत रीवा सतना सीधी शहडोल लोकसभा सीट पर पहले टिकट की घोषणा कर मनोवैज्ञानिक बढ़त ले ली है. यही नहीं पिछले तीन महीने से भाजपा संगठन और मोर्चो के कार्यकर्ता राष्ट्रीय स्तर से लगातार दिए जा रहे कार्यक्रमों में न सिर्फ सक्रिय हैं बल्कि चुनाव को लेकर उत्साहित भी नजर आ रहे हैं. दूसरी ओर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने दो सीटों में सतना और सीधी में अपने उम्मीदवार उतारे है. यहीं नहीं कांग्रेस के सामने गुटबाजी के साथ ही बिखर रहे कुनबे और पार्टी छोड़ रहे नेताओ से बचाना बड़ी चुनौती है.
भाजपा लगातार कार्यक्रमों से न सिर्फ जनता के बीच पहुंच रही है बल्कि कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारियां देकर सक्रियता को बढ़ाया है. पूरे साल चुनावी मोड में रहने वाली बीजेपी में लोकसभा चुनाव प्रबंधन समिति के साथ ही लोकसभा प्रभारी, संयोजक, विधानसभा प्रभारी, संयोजक, विस्तारक भी नियुक्त किए जा रहे है. अब लोकसभा का चुनाव कार्यालय खोलने का काम बीजेपी का तेजी से चल रहा है इसके उलट कांग्रेस खेमे में चुनाव को लेकर पार्टी और संगठन बड़ी हलचल नहीं दिख रही है. जिन दो लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान हो चुका है उनके प्रत्याशी ही क्षेत्र में सक्रिय नजर आ रहे.
चुनाव में हर वर्ग तक पहुंचने का प्रयास करती है बीजेपी
भाजपा को चुनाव के लिए हमेशा तैयार रहने वाली पार्टी के रूप में जाना जाता है. यह पार्टी की सक्रियता और कार्यों में नजर आ रहा है. इसके साथ ही भाजपा बूथ विस्तारक कार्यक्रम, सुशासन दिवस, गांव चलो अभियान, सहित तमाम आयोजनों से महिला, किसान सहित हर वर्ग तक पहुंचने की पूरी कोशिश कर रहा है.
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सतना में विधानसभा के ही उम्मीदवार चुनावी मैदान पर यहां OBC वर्सेस OBC मुकाबला
सतना संसदीय सीट में बीजेपी ने गणेश सिंह तो वहीं कांग्रेस ने सिद्धार्थ कुशवाहा को एक बार फिर मैदान पर उतार दिया है यानी की मुकाबला विधानसभा चुनाव लड़ने वाले कैंडिडेट के बीच फिर से हो गया है. सतना संसदीय सीट पर पिछले चार बार से लगातार गणेश सिंह सांसद है पांचवीं बार भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है. सतना लोकसभा चुनाव के पिछले सात परिणामों की बात करें तो यहां पिछड़ा वर्ग का ही व्यक्ति सांसद चुना गया है. यह सीट पिछड़ा वर्ग के लिए बड़ी माकूल मानी जाती है. सतना संसदीय सीट पर पिछड़ा वर्ग की दो प्रमुख जातियां पटेल तथा कुशवाहा का ही बोलबाला देखा जाता है इन दोनों जातियों की संख्या पिछड़ा वर्ग में सबसे ज्यादा बताई जाती है इस बार खास मुकाबला देखने को मिल रहा है जहां भारतीय जनता पार्टी पटेल समुदाय से आने वाले गणेश सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है तो वही कुशवाहा समाज से आने वाले सिद्धार्थ कुशवाहा को कांग्रेस पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है खास बात यह भी है कि सिद्धार्थ कुशवाहा के पिता स्वर्गीय सुखलाल कुशवाहा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे स्व अर्जुन सिंह को एक बार सतना संसदीय सीट से परास्त कर चुके हैं. हाल ही में विधानसभा के चुनाव संपन्न हुए हैं जहां दोनों वर्तमान भाजपा वा कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच मुकाबला देखा गया था जहां कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ कुशवाहा ने भाजपा प्रत्याशी गणेश सिंह को 4 हजार से ज्यादा मतों से पराजित किया था,अब एक बार फिर दोनों प्रत्याशी के बीच लोकसभा का चुनाव होने जा रहा हैं. वहीं इस सीट पर ब्राह्मण तथा क्षत्रिय मतदाताओं का भी प्रभाव देखा जाता है लेकिन इस बार प्रमुख दोनों दलों से इस वर्ग का प्रत्याशी नहीं है जिसके बाद से यह दोनों लोग वर्गों के मतदाता पूरी तरह से खाली पड़े हुए है अब देखना दिलचस्प होगा कि लोकसभा चुनाव में इनकी क्या भूमिका होगी! राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि ब्राह्मण क्षत्रिय जिस भी ओर झुकेंगे वहीं राजनीतिक दल चुनाव जीतने में सफल होगा.
रीवा में बीजेपी ने खोले पत्ते कांग्रेस को अभी भी इंतजार
रीवा लोकसभा सीट से बीजेपी ने दो बार के सांसद जनार्दन मिश्रा को एक बार फिर तीसरी बार उम्मीदवार बना दिया. बीजेपी के उम्मीदवार बनाए जाने के बाद मनोवैज्ञानिक बढ़त बीजेपी की रीवा संसदीय सीट में बन गई है. वहीं कांग्रेस आचार संहिता लगने के कई दिनों बाद भी अपने प्रत्याशी मैदान पर नहीं उतरे हैं. कई नाम पर कांग्रेस पार्टी विचार कर रही है पर खबर है कि रीवा लोकसभा से सेमरिया विधायक अभय मिश्रा की पत्नी, पूर्व विधायक नीलम अभय मिश्रा का कांग्रेस से उम्मीदवार बनाया जाना लगभग तय माना जा रहा है अभय मिश्रा रीवा की आठ विधानसभा सीटों में से अकेले कांग्रेस के विधायक है. अगर कांग्रेस पार्टी उनको या उनकी पत्नी को उम्मीदवार बनाती है तो रीवा संसदीय सीट से कांटे की टक्कर देखी जा सकती है अगर जातिगत समीकरण की बात करें तो रीवा संसदीय सीट में ब्राह्मण और सामान्य वोटर की संख्या सबसे ज्यादा है. जिसके कारण ज्यादातर इस संसदीय सीट से ब्राह्मण सांसद रहे हैं हालांकि यह संसदीय सीट बसपा के प्रभाव वाली सीट भी कहीं जा सकती है क्योंकि 2009 में बहुजन समाज पार्टी के देवराज सिंह पटेल यहां से सांसद चुने जा चुके हैं.
सीधी संसदीय सीट में सामान्य वर्सेस ओबीसी में मुकाबला
सीधी सीट से बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं, जहां पर बीजेपी ने नए कैंडिडेट राजेश मिश्रा को अपना उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस ने ओबीसी कार्ड चलते हुए पूर्व मंत्री रहे कांग्रेस के बड़े नेता कहे जाने वाले कमलेश्वर पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण भाजपा यहां मजबूत दिख रही है. हालांकि बीजेपी में यहां बड़ी फूट हुई है ऐसा इसलिए क्योंकि अजय प्रताप सिंह राज्यसभा सांसद ने भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. अजय प्रताप सिंह लोकसभा चुनाव में दावेदारी कर रहे थे लेकिन टिकट न मिलने के कारण नाराज होकर उन्होंने प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. यहां से रीती पाठक सांसद रही हैं लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव में सीधी विधानसभा से विधायक चुने जाने के बाद बीजेपी ने नए उम्मीदवार राजेश मिश्रा को यहां अपना प्रत्याशी बनाया है.
शहडोल संसदीय में बीजेपी ने खेला है महिला कार्ड, कांग्रेस प्रत्याशी उतारने में पीछे
लोकसभा चुनाव की डुगडुगी बज गई है और शहडोल और सीधी में पहले चरण में ही 19 अप्रैल को मतदान होना है. भाजपा ’अबकी बार 400 पार’ के नारे को सही सिद्ध करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने लगी है. पार्टी 15 दिन पहले ही अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है तो वहीं कांग्रेस अभी तक अपना प्रत्याशी नहीं खोज पाई है. शहडोल लोकसभा सीट पर लंबे समय से बीजेपी का कब्जा है 1991 के बाद केवल 2009 में कांग्रेस नंदिनी सिंह यहां से सांसद बनी है, 2014 से यहां हिमांद्री सिंह सांसद है और एक बार फिर बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस पार्टी शहडोल लोक सभा सीट से कई नाम पर विचार कर रही है लेकिन फिलहाल अनूपपुर के पुष्पराजगढ़ विधानसभा से विधायक फुनदे लाल मार्को का नाम सबसे ऊपर माना जा रहा है.