MP News: जबलपुर से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे बीजेपी उम्मीदवार आशीष दुबे और कांग्रेस प्रत्याशी दिनेश यादव, जानें इस सीट का समीकरण

Lok Sabha Election2024: जबलपुर, एमपी का दूसरा सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला जिला है. यहां की जनसंख्या 24 लाख से ज्यादा है. एमपी का सबसे ज्यादा साक्षर जिला है जिसकी साक्षरता दर 82.47 फीसदी हैं. जबलपुर लोकसभा सीट पर 18 लाख से ज्यादा वोटर्स हैं.
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जबलपुर लोकसभा सीट इस बार बीजेपी ने आशीष दुबे और कांग्रेस ने दिनेश यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है

भोपाल: जबलपुर मध्यप्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा शहर है. महाकौशल क्षेत्र का सेंटर माना जाने वाला जबलपुर एमपी की 29 लोकसभा सीट में से एक है. जबलपुर सीट पर प्रथम चरण यानी 19 अप्रैल को चुनाव होंगे. इस सीट पर कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी का कब्जा रहा है. इस बार बीजेपी ने आशीष दुबे और कांग्रेस ने दिनेश यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है.

जबलपुर लोकसभा सीट में कुल आठ विधानसभा सीट शामिल हैं जिनमें पाटन, बरगी, जबलपुर पूर्व, जबलपुर उत्तर, जबलपुर कैंट, जबलपुर पश्चिम, पनागर और सिहोरा. इन आठ विधानसभा में से सात विधानसभा बीजेपी के पास है और एकमात्र यानी जबलपुर पूर्व सीट कांग्रेस के पास है.

जबलपुर, एमपी का दूसरा सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला जिला है. यहां की जनसंख्या 24 लाख से ज्यादा है. एमपी का सबसे ज्यादा साक्षर जिला है जिसकी साक्षरता दर 82.47 फीसदी हैं. जबलपुर लोकसभा सीट पर 18 लाख से ज्यादा वोटर्स हैं.

आइए जानते हैं दोनों उम्मीदवारों के बारे में –

आशीष दुबे – बीजेपी के उम्मीदवार

संपत्ति – 18 करोड़ रुपये+

बीजेपी ने इस बार नए उम्मीदवार पर भरोसा जताते हुए जबलपुर की चुनावी जंग में आशीष दुबे को उम्मीदवार बनाया है. आशीष संगठन स्तर के नेता हैं और संघ के करीबी. साल 1990 में पहली बार दुबे राजनीति में सक्रिय हुए. साल 2000 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला मंत्री बनाये गए.

2007 से 2010 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष के पद पर रहे. इसके बाद आशीष दुबे 2010 से 2015 तक बीजेपी जिला अध्यक्ष के पद पर रहे. साल 2016 में दुबे बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य चुने गए. 2021 में बीजेपी के प्रदेश मंत्री पद पर रहे.

आशीष दुबे ने संगठन के स्तर पर बहुत काम किया है. स्थानीय स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक अलग-अलग जिम्मेदारियों को निभाया है. दुबे ने कभी लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा. आशीष दुबे का ये पहला मौका है जब वे संगठन से निकलकर चुनावी जंग में लड़ेंगे.

दिनेश यादव – कांग्रेस के उम्मीदवार

संपत्ति – तीन करोड़ रुपये+

इस बार कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी दिनेश यादव को बनाया है. दिनेश यादव ने साल 1984 में राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी. यादव ने कांग्रेस के संगठन स्तर पर अलग-अलग जिम्मेदारियां निभाईं. कांग्रेस की स्टूडेंट विंग नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया के जिला उपाध्यक्ष पद पर रहे.

यादव युवा कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष के पद पर भी रहे. साल 1994 में पहली बार पार्षद बने और साल 2004 में नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष चुने गए. साल 2009 में दिनेश यादव ने महापौर के लिए चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. कांग्रेस नगर अध्यक्ष के पद पर 2010 से 2022 तक रहे.

दिनेश यादव ने संगठन स्तर पर बहुत काम किया. ये सारे काम पार्टी को सांगठनिक रूप से मजबूत करने के लिए था. एलएलबी की डिग्रीधारी दिनेश यादव ने कभी विधानसभा और लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा.

आशीष दुबे बनाम दिनेश यादव

बीजेपी और कांग्रेस दोनों के उम्मीदवारों ने संगठन स्तर पर काम किए हैं. दोनों प्रत्याशियों ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है. आशीष दुबे सवर्ण वर्ग से आते हैं और कांग्रेस के दिनेश यादव ओबीसी वर्ग से आते हैं. जबलपुर में लोकसभा चुनाव की ये लड़ाई ओबीसी बनाम सवर्ण हो गई है.

कांग्रेस ने 33 साल बाद किसी ओबीसी उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. इससे पहले साल 1991 में श्रवण कुमार पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया था. आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी बनाम कांग्रेस की लड़ाई रोचक होने वाली है क्योंकि दोनों पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. ओबीसी,अनुसूचित जनजाति वर्ग और ब्राह्मण निर्णायक वोटर हो सकते हैं.

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दिनेश यादव का अनोखा प्रचार

लोकसभा चुनाव जीतने के लिए जनता का दिल जीतना होता है. जनता का दिल जीतने के लिए प्रत्याशी तरह-तरह की जुगत लगाते हैं और वोट मांगते हैं. कांग्रेस प्रत्याशी दिनेश यादव भी लोगों से वोट मांग रहे हैं लेकिन अलग अंदाज में जो पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है.

दिनेश यादव वोट के साथ नोट भी मांग रहे हैं. जनता से उनके पक्ष में वोट डालने के लिए कहकर 10 रुपये मांग रहे हैं. रुपये मांगने के साथ-साथ वे इसका कारण भी बताते हैं कि कांग्रेस के बैंक अकाउंट फ्रीज हो चुके हैं. बैंक अकाउंट फ्रीज होने से उनके पास खर्च करने के लिए पैसे नहीं है. इस अनोखे तरीके से वोट मांगने का वीडियो वायरल हो चुका है.

जबलपुर का राजनीतिक इतिहास

जबलपुर लोकसभा सीट पर पिछले 27 सालों से बीजेपी का कब्जा है. इन 27 सालों में दो बार यानी साल 1996 और 1998 में बाबूराव परांजपे सांसद बने. साल 1999 में जयश्री बनर्जी सांसद बनीं. एकमात्र महिला सांसद जो जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद बनीं. इसके बाद चार बार यानी साल 2004, 2009, 2014 और 2019 में राकेश सिंह सांसद रहे.

जबलपुर सीट से चार-चार बार सांसद रहने वालों की संख्या दो है. पहले कांग्रेस के सेठ गोविंद दास जो साल 1957, 1962, 1967 और 1971 में सांसद बने. दूसरे सांसद राकेश सिंह हैं. जबलपुर सीट से ही प्रसिद्ध राजनेता शरद यादव ने दो बार यानी साल 1974 और 1977 में लोकसभा चुनाव जीता. शरद यादव जबलपुर सीट से पहले गैर-कांग्रेसी सांसद थे.

पिछला आमचुनाव 2019 – चौथी बार सांसद बने राकेश सिंह

आमचुनाव 2019 में बीजेपी ने अपना उम्मीदवार तीन बार के सांसद राकेश सिंह को बनाया. वहीं कांग्रेस ने विवेक तंखा को अपना प्रत्याशी बनाया. इस चुनाव में राकेश सिंह को आठ लाख, 26 हजार, 454 वोट मिले और विवेक तंखा को तीन लाख, 71 हजार, 710 वोट मिले. राकेश सिंह को इस चुनाव में जीत हासिल हुई और चौथी बार सांसद बने.

सांसद बने विधायक और जबलपुर को मिला नया उम्मीदवार

जबलपुर सीट से चार बार के सांसद राकेश सिंह को बीजेपी ने जबलपुर पश्चिम से विधानसभा चुनाव 2023 में उतार दिया. कांग्रेस ने इसी सीट से तरुण भनोट को चुनावी मैदान में उतारा. इस चुनाव में बीजेपी की जीत हुई. राकेश सिंह सांसद से विधायक बन गए. सिंह अभी मध्यप्रदेश सरकार में लोक निर्माण मंत्री हैं. इस कारण बीजेपी ने नये उम्मीदवार को जबलपुर लोकसभा सीट से उतारा.

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