MP News: कृष्ण जन्माष्टमी से पहले मोहन सरकार का बड़ा फैसला, भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े स्थान तीर्थ के रूप में होंगे विकसित

MP News: उज्जैन जिले की महिदपुर तहसील में नारायण धाम स्थित है. यहां एक मंदिर है जिसमें भगवान कृष्ण के साथ मित्र सुदामा की मूर्ति है.
The government has decided to develop places associated with Lord Krishna as places of pilgrimage.

सरकार ने भगवान कृष्ण से जुड़े स्थानों को तीर्थ के रूप में विकसित करने का फैसला किया है.

MP News: कृष्ण जन्माष्टमी से पहले सीएम डॉ मोहन यादव ने बड़ी घोषणा की है. सीएम ने कहा- ‘मध्यप्रदेश में भगवान कृष्ण से जुड़े स्थानों को तीर्थ के रूप में विकसित किया जाएगा’. ये तो सभी जानते हैं कि भगवान कृष्ण की शिक्षा-दीक्षा उज्जैन में हुई थी. ऋषि सांदीपनि भगवान कृष्ण के गुरु थे. आज भी ये जगह सांदीपनि आश्रम के नाम से फेमस है. सांदीपनि आश्रम के अलावा मध्यप्रदेश में कई सारे स्थान हैं जिनका संबंध भगवान कृष्ण से है.

सरकार ने ऐसे 4 जगहों को चिंहित किया है इनमें उज्जैन का सांदीपनि आश्रम और नारायण धाम, धार जिले का अमझेरा धाम इसके अलावा इंदौर जिले का जानापाव धाम है. इन स्थानों का संबंध भगवान कृष्ण के अलग-अलग समय से रहा है. आइए विस्तार से जानते हैं इन स्थानों के बारे में.

सांदीपनि आश्रम – यहां भगवान कृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की थी

उज्जैन, 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा महाकालेश्वर के लिए प्रसिद्ध है. इसके अलावा यहां ऐसे कई स्थान हैं जो अपनी विशेषता लिए हुए हैं. इन स्थानों में से एक सांदीपनि आश्रम है. शिप्रा या क्षिप्रा नदी किनारे स्थित सांदीपनि आश्रम में आज से लगभग 5500 साल पहले भगवान कृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की थी. भगवान कृष्ण के अलावा बड़े भाई बलराम और दोस्त सुदामा ने भी शिक्षा ग्रहण की थी. तीनों ऋषि सांदीपनि के प्रिय शिष्य थे.

भगवान कृष्ण ने 64 कला, 16 विद्याओं को मात्र 64 दिनों में सीख लिया था. मात्र 12 साल की उम्र में गोकुल से उज्जैन शिक्षा-दीक्षा के लिए आए थे. भागवत पुराण, ब्रह्म पुराण और हरिवंश पुराण में सांदीपनि आश्रम का जिक्र मिलता है. आश्रम के पास ही जहां गोमती कुंड है. इस कुंड से तीनों शिष्य पानी भरकर लाया करते थे. यहां अंकपात क्षेत्र का जिक्र भी मिलता है. सांदीपनि आश्रम की दीवारों को भगवान कृष्ण की शिक्षा-दीक्षा से जुड़ी पेंटिंग से सजाया गया है.

इस आश्रम के आसपास के क्षेत्र में शुंग काल के प्रमाण मिलते हैं. वल्लभ संप्रदाय के अनुयायी इसे संत वल्लभाचार्य की 84 गद्दियों में से 73वीं गद्दी के रूप में जानते हैं. सरकार सांदीपनि आश्रम को तीर्थ के रूप में विकसित कर रही है. इसे भव्य स्वरूप प्रदान करने जा रही है.

ये भी पढ़ें: मध्य भारत का ‘सोमनाथ मंदिर’ जो आज भी है अधूरा, एक हज़ार साल पहले हुआ था निर्माण

नारायण धाम – यहां भगवान कृष्ण की मित्रता सुदामा से हुई थी

उज्जैन जिले की महिदपुर तहसील में नारायण धाम स्थित है. यहां एक मंदिर है जिसमें भगवान कृष्ण के साथ मित्र सुदामा की मूर्ति है. पूरे भारत में ऐसे दो मंदिर हैं जहां भगवान कृष्ण के साथ सुदामा की मूर्ति है. एक गुजरात के पोरबंदर और दूसरा नारायण धाम उज्जैन है. ऐसा कहा जाता है कि इसी जगह पर भगवान कृष्ण और सुदामा की दोस्ती मजबूत हुई थी. नारायण धाम मंदिर में कुछ पेड़ हैं. जिनके बारे में कहा जाता है कि इन पेड़ों से दोनों फल और लकड़ियां इकट्ठा किया करते थे.

सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा- ये एमपी का सौभाग्य है, जहां नारायण धाम है. ये वो स्थान है, जहां भगवान कृष्ण की सुदामा से दोस्ती हुई. गरीबी और अमीरी की मित्रता का सबसे श्रेष्ठ स्थान है.

अमझेरा धाम – यहां रुक्मणी जी का हरण किया गया था

धार जिले के सरदारपुर तहसील के अमझेरा गांव में अमझेरा धाम है. अमझेरा में एक अमका-झमका नाम का दुर्गा मंदिर है. ये मंदिर बहुत प्रसिद्ध है. ऐसा कहा जाता है कि ये रुक्मणी जी की कुल देवी हैं. इसी जगह पर भगवान कृष्ण ने रुक्मणी के भाई रुक्मी से युद्ध किया और हराया. रुक्मणी जी को द्वारका ले गए जहां उन्होंने विवाह किया.

साल 1730 के आसपास अमका-झमका मंदिर का राजा लाल सिंह ने जीर्णोद्धार करवाया था. अमझेरा को पहले कुंदनपुर के नाम से जाना जाता था.

जानापाव धाम – यहां भगवान कृष्ण को सुदर्शन चक्र मिला

एमपी में भगवान कृष्ण से जुड़ा चौथा स्थान है जानापाव धाम. भगवान परशुराम की जन्मस्थली के रूप में जाना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि शिक्षा ग्रहण करने के बाद भगवान कृष्ण जिन स्थानों पर गए उनमें से एक जानापाव भी था. भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध करने के लिए सुदर्शन चक्र का निर्माण किया था.

बाद में इस चक्र को भगवान विष्णु को दे दिया. ये चक्र भगवान विष्णु के पास से भगवान परशुराम के पास पहुंच गया. भगवान कृष्ण के आग्रह के बाद भगवान परशुराम ने इसे दिया. जो आखिरी समय तक भगवान कृष्ण के पास रहा.

ये चार जगह जिन्हें सरकार तीर्थ के रूप में विकसित कर रही है. मध्यप्रदेश के श्रद्धालुओं के साथ-साथ पूरे भारत के तीर्थ यात्रियों के लिए अहम हैं. इन स्थानों का संबंध भगवान कृष्ण के जीवन की अहम घटनाओं से है.

ज़रूर पढ़ें