MP News: चंबल नदी का सीना हो रहा छलनी, राजनीतिक संरक्षण से लगातार जारी है रेत का अवैध उत्खनन, शहर में सज रही रेत मंडी
Morena News: प्रदेश में चंबल का इलाका देश भर में रेत के अवैध उत्खनन के लिए प्रसिद्ध है. मुरैना जिले में अवैध रेत का खनन बड़े स्तर पर किया जाता है. हालात ऐसे है कि चंबल नदी से लगे सरायछौला थाना क्षेत्र के कैंथरी घाट से अवैध रूप से रेत खोदकर ट्रैक्टर ट्रॉली फर्राटे भर रहे हैं. शहर के नेशनल हाईवे-44 पर वन विभाग कार्यालय से 500 मीटर दूर रोज रेत की मंडी लगती है, इसमें रेत ले जाने वाले दर्जनों ट्रैक्टर-ट्राली रोज सुबह एसपी आफिस व कलेक्टरेट के सामने से निकलते हैं.
आमजनता लगातार हो रही परेशान
रेत माफियाओं के हौसले इस कदर बुंलद है कि वह बिना किसी के डर के अवैध रेत का उत्खनन कर रहे हैं. नेशनल हाईवे से लेकर शहर के भीतर सिर्फ रेत उड़ती हुई दिखाई देती है. इस वजह से लगातार शहर की जनता परेशान हो रही है. कई बार शिकायत के बावजूद लोगों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. रेत माफियाओं के हौसले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं.
जलीय जीवों के अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा
लगातार बड़े स्तर पर हो रहे अवैध उत्खनन से चंबल नदी का सीना छलनी हो रहा है. वहीं पानी की कमी और रेत के उत्खनन से लगातार जलीय जीव समाप्त होते जा रहे है. कई जीवों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है. लेकिन पुलिस और वन विभाग के द्वारा कार्यवाई के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति ही की जाती है.
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प्रशासनिक अधिकारियों की जान ले चुके हैं रेत माफिया
बता दें कि, चंबल नदी से रेत का अवैध उत्खनन करने वाला माफिया इतना बेखौफ है कि, यहां वन विभाग के नाकेदार से लेकर पुलिस विभाग के थानेदार-सिपाही तो छोडि़ए, आईपीएस तक को ट्रैक्टर-ट्रॉली से कुचलकर मौत के घाट उतारा जा चुका है. फिर भी रेत माफिया के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नही हो रही. कुछ थानों के साथ साथ वन विभाग की भी इनकम ही सिर्फ रेत माफियाओं से बंधी हुई है. मुरैना शहर में ही अंबाह बायपास तिराहा पर रेत की मंडी सुबह 6 बजे से सज जाती है. वहीं चंबल नदी से हो रहे अवैध रेत उत्खनन पर लगाम लगाने का जिम्मा वन विभाग का है, लेकिन वन विभाग के मुखिया डीएफओ आफिस व बंगले के पीछे जौरी क्षेत्र में अवैध रेत का स्टाक कभी भी देखा जा सकता है.
इतना ही नहीं कई बार लगातार रेत माफियाओं के द्वारा स्टंट के वीडियों भी सोशल मीडिया में लगातार वायरल किये जाते हैं. लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती रही है. स्टंट से कई बार घटनाएं हो चुकी हैं और कई लोग मौत का शिकार हो भी चुके हैं.