MP News: खाद्यान्न वितरण में प्रदेश के 22 जिले रेड जोन में, विंध्य के सतना सहित कई जिलों में नही हो पाया राशन वितरण

MP News: जुलाई में रीवा संभाग के मऊगंज,रीवा, सीधी, सिंगरौली व सतना में 50 फीसदी से भी कम परिवारों को खाद्यान्न का वितरण किया जा सका है.
Madhya Pradesh, 22 districts including Satna are in the red zone in terms of food grain distribution.

मध्यप्रदेश में सतना समेत 22 जिले खाद्यान्न वितरण के मामले में रेड जोन में हैं.

MP News: शासकीय उचित मूल्य दुकानों में गरीबों को समय पर खाद्यान्न नहीं मिल रहा है. मध्यप्रदेश में सतना समेत 22 जिले खाद्यान्न वितरण के मामले में रेड जोन में हैं, इन जिलों में जुलाई माह में अब 50 फीसदी राशन भी वितरण नहीं हो सका है. प्रदेश में खाद्यान्न वितरण में सबसे फिसड्डी मऊगंज जिला है, जहां महज 28 फीसदी गरीब परिवारों को राशन मिल पाया है.

सबसे अच्छी स्थिति

सबसे अच्छी स्थिति भोपाल की है, जहां 71 फीसदी कार्डधारियों को राशन बंट चुका है. प्रदेश स्तरीय समीक्षा में खाद्यान्न वितरण की खराब स्थिति मिलने पर सुधार के निर्देश दिए गए हैं.

रीवा संभाग के सभी जिले रेड जोन में

जुलाई में रीवा संभाग के मऊगंज,रीवा, सीधी, सिंगरौली व सतना में 50 फीसदी से भी कम परिवारों को खाद्यान्न का वितरण किया जा सका है. मऊगंज में 11,7343 कार्डधारी हैं जिनमें से 33,390 को राशन मिल पाया. सिंगरौली में 25,3514 कार्डधारियों में से 78,276, रीवा में 2,83,782 कार्डधारियों में 105736 को खाद्यान्न मिला. इसी तरह सतना में 4,06,441 परिवारों में से 1,66,959 को राशन मिल पाया है. सीधी में भी 2,46,449 में से 1,14,324 कार्डधारियों को ही खाद्यान्न का वितरण कर सके हैं. 50 फीसदी से कम वितरण वाले सभी जिले रेड जोन की स्थिति में हैं.

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उठाव में भी लेटलतीफी

राशन दुकानों में समय पर खाद्यान्न का वितरण न होने की एक वजह समय पर दुकानों में खाद्यान्न न पहुंचना भी है. अन्नदूत के परिवहनकर्ता निर्धारित समय अवधि में गोदामों से गेहूं, चावल, शक्कर व नमक का उठाव कर दुकानों तक नहीं पहुंचा पाते. इस कारण उठाव के साथ वितरण की प्रगति भी काफी कम देखने को मिल रही है.

फिसड्डी जिले

मऊगंज, सिंगरौली,रीवा ,टीकमगढ़, शिवपुरी

प्रदेश में अच्छे वितरण वाले 5 जिले

भोपाल ,शाजापुर,गुना,सिहोरा, देवास

वहीं इस पूरे मामले में जिला प्रबंधक पंकज बोरसे का कहना है कि  विभाग का प्रयास हमेशा रहता है कि समय पर दुकानों में खाद्यान्न पहुंचे. ज्यादा से ज्यादा दुकानों में खाद्यान्न पहुंच चुका है. यह सही है कि कई बार उठाव के कारण वितरण में देरी हो जाती है.

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