क्या है MP Nursing Scam, जिसमें अब जांच अधिकारी ही रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार

MP Nursing Scam: मध्य प्रदेश के 453 नर्सिंग कॉलेजों में कुल 85,000 छात्र हैं जो तीन वर्षीय पाठ्यक्रमों में जनरल नर्सिंग और मिडवाइफरी और बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई करते हैं.
In the matter of investigation of Nursing College, CBI itself has got entangled in bribery, now ED will be entered in this case and investigation will be done under Money Laundering Act.

एमपी ननर्सिंग कॉलेज की जांच के मामले में CBI खुद रिश्वतखोरी में फंस गई है अब इस मामले में ED की एंट्री होगी और मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत जांच की जायेगी.

MP Nursing Scam: “हम लोग चार साल तक फर्स्ट ईयर में ही पढ़ाई कर रहे थे. 4 साल का पूरा कोर्स होता है और हमें तो 4 साल सिर्फ पहला सेमेस्टर निकालने में लगे हैं. अभी हमारी परीक्षाएं हो रहीं है, लेकिन इस देरी के कारण हम लोगों को कितनी प्रॉब्लम्स हुई हैं इस पर कोई ध्यान नहीं देगा,” ये कहना है नर्सिंग की पढ़ाई कर रहे छात्र अनमोल (परिवर्तित नाम) का जो एक किसान परिवार से आते हैं और बीते 4 वर्षों में बहुत मुसीबत और परेशानी झेलकर नर्सिंग की पढ़ाई कर रहे हैं.

दरअसल मध्यप्रदेश में मेडिकल शिक्षा की हालत दयनीय हो चुकी है. तमाम दावों और वादों के इतर नर्सिंग के छात्रों की समस्याओं पर न तो किसी चुने हुए प्रतिनिधि का ध्यान जा रहा था और न ही किसी तंत्र का. छात्रों ने जब मोर्चा खोला और अपने साथ हो रहे इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश की तो तंत्र ने अपना कथित तौर पर नैसर्गिक काम करते हुए छात्रों के खिलाफ ही कारवाई की धमकी भी दी और करवाई की भी.

VYAPAM स्तर के कथित स्कैम के खिलाफ कानूनी लड़ाई

2021 में गठित एक ग्रुप law student association के अध्यक्ष विशाल बघेल ने MP High Court की जबलपुर बेंच के सामने एक जनहित याचिका दायर की जिसमे ये दावा किया गया कि मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में वर्ष 2020-2021 में शुरू किए गए 55 नर्सिंग कॉलेज फर्जी तरीके से चलाए जा रहे हैं, इनमें भवन, प्रयोगशालाएं और पुस्तकालय सहित आवश्यक बुनियादी ढांचे का अभाव है और वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया जा रहा है. 19 अप्रैल 2022 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एमपी नर्स पंजीकरण परिषद से प्रदेश में मौजूद सभी नर्सिंग कालेजों से संबंधित जानकारी पेश करने को कहा. 12 मई को कोर्ट ने बघेल को उपलब्ध दस्तावेजों को देखने की अनुमति दे दी.

बता दें कि मध्य प्रदेश के 453 नर्सिंग कॉलेजों में कुल 85,000 छात्र हैं जो तीन वर्षीय पाठ्यक्रमों में जनरल नर्सिंग और मिडवाइफरी और बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई करते हैं. इस पढ़ाई के लिए ये छात्र लगभग ₹60,000 से 80,000 प्रति वर्ष फीस देते हैं.

अप्रैल 2023 में हाई कोर्ट ने बघेल की याचिका के साथ ही कई अन्य याचिकाओं को मिलाते हुए नर्सिंग कालेजों में चल रही कथित गड़बड़ी में सीबीआई जांच के आदेश दिए. बहरहाल जानकारी पेश करने के बाद high court ने प्रदेश के नर्सिंग कालेजों की जांच सीबीआई को सौंप दी. प्रदेश में कुल 364 नर्सिंग कालेजों में से CBI ने पहले चरण में 308 कालेजों की जांच की. CBI ने इस मामले में लिफाफा बंद रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश की थी जिसके खुलने के बाद पता चला था कि सीबीआई जांच में 169 नर्सिंग कॉलेज को क्लीन चिट मिली है जबकि 65 कॉलेज में कई सारी अनियमितता मिली थी. 74 ऐसे नर्सिंग कॉलेज हैं, जिनमें कम अनियमितता पाई गई थी.

56 नर्सिंग कॉलेज की जांच के मामले में सुप्रीम कोर्ट की रोक लगी हुई थी. इस रिपोर्ट के बाद एक और याचिका दायर की गई थी जिसमे दावा किया गया था कि बहुत सारे नर्सिंग कॉलेज (200) अभी भी जांच के दायरे से बाहर रह गए हैं. जिसके बाद हाई कोर्ट ने CBI को सभी नर्सिंग कालेजों में अनियमितताओं की जांच करने के आदेश दिए. इसी जांच की ज़िम्मेदारी सीबीआई के जिन अधिकारियों पर थी उन्हीं अधिकारियों में से कुछ को सीबीआई ने ही रिश्वत लेते हुए पकड़ा है, जिसके बाद नर्सिंग घोटाले की जांच पर भी सवाल खड़े हो गए हैं.

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जिनको जांच की ज़िम्मेदारी थी उन्होंने ही रिश्वत ले ली, चौकीदार ही चोर है ? इस पत्रकार से बात करते हुए, झाबुआ जिले की एक आदिवासी लड़की जो भोपाल में रहकर नर्सिंग कॉलेज में पढ़ाई कर रही हैं वो कहती हैं:

“सब लोग मिले हुए है. एक चोर चोरी करता है फिर जब थाने से उसके ऊपर जांच बैठाई जाती हैं तो जांच अधिकारी उसी चोर की चोरी में हिस्सेदारी लेकर उसे बचा ले जाता है. ऐसे में जिसके साथ गलत हुआ उसे इंसाफ कैसे मिलेगा ? हमारे साथियों के कितने साल बर्बाद हो गए… उनकी भरपाई कैसे होगी ?” अस्मिता (परिवर्तित नाम) ने कहा.

एक अन्य नर्सिंग छात्र ने आरोप लगाते हुए कहा- “हम लोग यहां कितने मेहनत से पढ़ाई करके अपना कोर्स पूरा करते हैं और वहीं दूसरी ओर इस प्रदेश में न जाने कितने लोग ऐसे होंगे जो फर्जी कालेजों से बिना पढ़े डिग्री लेकर नौकरी में शामिल होते हैं. इन कालेजों से पैसा कमाते हैं माफिया जो आगे पैसा बढ़ाते हैं नेताओं को, अधिकारियों को और बचते रहते हैं. नुकसान होता है हम लोगों को लेकिन सुनवाई कहीं नहीं होती है”.

इस हाईप्रोफाइल नर्सिंग घोटाले मामले में CBI ने एक बड़े सिंडिकेट का पर्दाफाश किया है. CBI के तीन अफसरों की संलिप्तता के साथ-साथ बिचौलियों के जरिए नर्सिंग कॉलेजों को क्लीन चिट देने का मामला उजागर हुआ है.

CBI ने छापेमारी और गिरफ्तारी के दौरान इस घोटाले में शामिल 23 व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. इस छापेमारी में 7 कोर टीम और 3-4 सहायक टीमों ने मध्यप्रदेश के अलग अलग शहरों में अभियान चलाया. भोपाल, रतलाम, दिल्ली, जयपुर और इंदौर समेत कुल 31 ठिकानों पर दबिश दी गई.

तलाशी के दौरान CBI ने 2 करोड़ से अधिक की रकम, 4 सोने की छड़, 36 डिजिटल उपकरण और 150 से अधिक आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए. अब तक कुल 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इस घोटाले में सीबीआई के अफसर राहुल राज, सुनील कुमार और ओम गोस्वामी रिश्वत लेने के मामले में कथित तौर पर शामिल पाए गए हैं. इनके साथ ही दलालों के रूप में काम कर रहे ओम गोस्वामी, रवि भदौरिया, जुगल किशोर और तीन महिलाओं को भी गिरफ्तार किया गया है.

कथित तौर पर नर्सिंग कॉलेज के मालिक अनिल भास्करन की पत्नी सुमा अनिल से 10 लाख रुपये की रिश्वत ली गई थी, जिससे इस भ्रष्टाचार की गहराई और फैलाव का अंदाजा लगाया जा सकता है. CBI की इस बड़ी कार्रवाई से नर्सिंग घोटाले का एक और परत खुल चुकी है, जिससे सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ है.

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