MP News: हाजिरी माफी के लिए हाई कोर्ट के जज को चिट्ठी लिखना नर्मदापुरम कलेक्टर को पड़ा भारी, HC ने सरकार को दिए कार्रवाई के आदेश

MP News: हाईकोर्ट के आदेश की अनदेखी करना नर्मदापुरम कलेक्टर को भारी पड़ गया है. जबलपुर हाईकोर्ट ने नर्मदापुरम की कलेक्टर सोनिया मीणा के उस रवैये को बेहद गंभीरता से लिया है जिसमें उन्होंने हाजिरी माफी के लिए सीधे हाईकोर्ट जज को चिट्ठी लिख दी थी. हाईकोर्ट ने इसे कलेक्टर का कोर्ट के प्रति दुस्साहस माना है.
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MP News: हाईकोर्ट के आदेश की अनदेखी करना नर्मदापुरम कलेक्टर को भारी पड़ गया है. जबलपुर हाईकोर्ट ने नर्मदापुरम की कलेक्टर सोनिया मीणा के उस रवैये को बेहद गंभीरता से लिया है जिसमें उन्होंने हाजिरी माफी के लिए सीधे हाईकोर्ट जज को चिट्ठी लिख दी थी. हाईकोर्ट ने इसे कलेक्टर का कोर्ट के प्रति दुस्साहस माना है. कोर्ट के सामने हाजिरी माफी के लिए कलेक्टर का पत्र दिखाने वाले नर्मदापुरम के एडीएम देवेंद्र कुमार सिंह और तहसीलदार सिवनी-मालवा, राकेश खजूरिया पर भी हाईकोर्ट ने कड़ी कार्रवाई की है.

जबलपुर हाईकोर्ट ने नर्मदापुरम के एडीएम देवेंद्र कुमार सिंह और तहसीलदार सिवनी-मालवा , राकेश खजूरिया को 6 महीने की ट्रेनिंग पर भेजने के आदेश दिए हैं. साथ ही हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि इन दोनों ही अधिकारियों से एक साल तक मजिस्ट्रियल पावर भी छीन ली जाए. हाईकोर्ट ने मामले में नर्मदा पुरम कलेक्टर सोनिया मीणा सहित तीनों ही अधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिए प्रदेश सरकार को आदेश दिया है.

हाई कोर्ट ने सरकार को कार्रवाई करने के दिए आदेश

हाई कोर्ट ने प्रदेश की मुख्य सचिव वीरा राणा को ये आदेश दिया है कि वो कलेक्टर सहित तीनों अधिकारियों पर कार्रवाई करें और 30 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश करें. इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि कोर्ट के इस आदेश की कॉपी तहसीलदार एडीएम और कलेक्टर नर्मदापुरम सोनिया मीणा के सर्विस रिकॉर्ड में शामिल रखी जाए कोर्ट ने कहा कि अगर पक्षकार चाहे तो इन तीनों ही अधिकारियों के खिलाफ करप्शन का केस दायर कर सकते हैं.

दरअसल हाईकोर्ट ने नर्मदापुरम में एक जमीन के नामांतरण करने के आदेश दिए थे. लेकिन अधिकारियों ने कोर्ट के आदेश का पालन करने की बजाय नामांतरण की जगह बंटवारा कर दिया. इसके खिलाफ दायक याचिका पर हाईकोर्ट ने नर्मदा पुरम जिले की कलेक्टर सोनिया मीणा को कोर्ट में तलब किया था.कोर्ट में हाजिर होने की बजाय कलेक्टर ने एडीएम और तहसीलदार के हाथों अपनी हाजिरी माफी का एक पत्र कोर्ट में भिजवा दिया था. प्रशासनिक अधिकारी कोई भी संवाद सरकारी वकीलों के जरिए ही कर सकते हैं लेकिन कलेक्टर ने सीधे हाई कोर्ट जज के नाम पर ही चिट्ठी लिख दी थी. इसे कोर्ट ने बेहद गंभीर माना था और बीते दिनों अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था जिसे अब सुना दिया गया है.

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