MP News: पन्ना के सरकारी स्कूल में मानवता हुई शर्मशार, बच्चों ने कहा- सर छूआछूत मानते हैं, अलग बैठाते हैं
सौरभ साहू-
MP News: मध्य प्रदेश के पन्ना में मानवता को शर्मशार करने और दिल को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। जहां शिक्षा के मंदिर में जातिगत आधार पर बच्चों से व्यवहार छुआ-छूत की जाती है. मामला तब उजागर हुआ जब बच्चों के परिजनों रामाधीन बसोर, राजू बसोर, कमलू बसोर, गुरुचरण बसोर, छोटे और भूरा बसोर आदि ने सरपंच के नाम सचिव को शिकायती आवेदन सौंपा.
पन्ना जिले के अजयगढ़ जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत पिष्टा के देवपुर प्राथमिक विद्यालय का है जहां के शिक्षक सीताराम अहिरवार द्वारा ऊंच-नीच, छुआ-छूत, भेदभाव किया जाता है. उक्त शिक्षक के द्वारा बच्चों-बच्चियों को जाति वर्ग के हिसाब से अलग-अलग बैठा कर जाति के हिसाब से ही उनके साथ व्यवहार किया जाता है. मामला तब उजागर हुआ जब बच्चों के परिजनों रामाधीन बसोर, राजू बसोर, कमलू बसोर, गुरुचरण बसोर, छोटे और भूरा बसोर आदि ने सरपंच के नाम सचिव को शिकायती आवेदन सौंपा.
यह है पूरा मामला
पन्ना जिले के अजयगढ़ जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत पिष्टा के देवपुर प्राथमिक विद्यालय का है जहां के शिक्षक सीताराम अहिरवार द्वारा ऊंच-नीच, छुआ-छूत, भेदभाव किया जाता है. उक्त शिक्षक के द्वारा बच्चों-बच्चियों को जाति वर्ग के हिसाब से अलग-अलग बैठा कर जाति के हिसाब से ही उनके साथ व्यवहार किया जाता है.
परिजनों ने बताया है कि शिक्षक सीताराम अहिरवार अमानवीय तरीके से हमारे बच्चों बच्चियों को अन्य समाज के बच्चों बच्चियों से अलग बैठाते हैं एवं उन्हें स्कूल प्रांगण में लगे सार्वजनिक नल में पानी भी नहीं पीने देते, इसके साथ ही जाति विशेष के बच्चों से विद्यालय में झाड़ू व शौचालय में पानी डलवाते हैं। बात यहीं खत्म नहीं होती मध्यान भोजन के लिए इन बच्चों की फट्टी अन्य बच्चों से दूर बिछवा कर उन्हें भोजन दूर से और रोटी फेंक कर दी जाती है, भोजन के बाद बच्चों बच्चियों को थाली भी धोना पड़ता है।
परिजनों ने लगाए आरोप
मामले की हकीकत जानने विस्तार न्यूज की टीम देवपुर प्राथमिक विद्यालय पहुंची जहां बच्चों ने जो बताया वह किसी को भी हैरान करने वाला था. स्कूल के बाद जब हम जाति विशेष की बस्ती में पहुंचे तो बड़ी मुश्किल से बच्चों के परिजन कैमरे के सामने आने को तैयार हुए और बताया कि स्कूल में उनके बच्चों से जैसा बर्ताव हो रहा है. उससे बच्चे स्कूल नहीं जाना चाहते लेकिन हमारे पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि शहर भेज कर प्राइवेट स्कूल में पढ़ा सकें, इसी वजह से बच्चों को किसी तरह समझा बुझाकर स्कूल पढ़ने के लिए भेज रहे हैं.
शिक्षक ने नहीं दिया कोई जबाव
शिक्षक सीताराम अहिरवार से जब इस संबंध में पूछा गया तो वह मुद्दे से भटकाते हुए नजर आए, बच्चों और उनके परिजनों की यह दर्द भरी कहानी किसी को भी विचलित कर सकती है लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी होने के बावजूद अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए.
DCP का कहना – जांच करवा कर कार्रवाई करेंगे
डीपीसी अजय गुप्ता से इस संबंध में बात करने पर उन्होंने बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में आया है जिस पर वह जांच करवा कर कार्रवाई करेंगे, लेकिन गुप्ता के रवैया से यह बिल्कुल नहीं लगता की जांच और कार्रवाई जैसा कुछ होगा।
डरे हुए हैं बच्चे और उनके परिजन
मासूम बच्चों के साथ विद्यालय में हो रहे इस प्रकार के बर्ताव से बच्चे हीनभावना का शिकार हो रहे हैं. बच्चों को काफी मायूस देखा गया, और परिजन भी काफी डरे हुए हैं. हालांकि अब देखना यह होगा कि शिक्षा विभाग एवं प्रशासन के द्वारा शिक्षा के मंदिर में बच्चों के साथ अमानवीय बर्ताव करने वाले शिक्षक के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है.