MP News: Gwalior में वन विभाग की जमीन पर थाना प्रभारी की पत्नी ने बनाया रेस्टोरेंट, जमीन खाली कराने के लिए सात दिन का दिया Notice

MP News: घाटीगांव तहसील के गांव दोरार के सर्वे नंबर 1221 पर प्रियंका शर्मा पत्नी विनय शर्मा ने मुन्ना गुप्ता से रजिस्टर्ड विक्रय पत्र से 9 फरवरी 2019 को खरीद ली थी.
Madhuban Restaurant Hotel

मधुबन रेस्टोरेंट होटल

MP News: ग्वालियर में वन विभाग की जमीन पर तत्कालीन थाना प्रभारी की पत्नी के द्वारा रेस्टोरेंट बनाने का मामला सामने आया है. इसकी जानकारी जब वन विभाग को पता लगी तो विभाग की टीम मौके पर पहुंची और यहां मधुबन रेस्टोरेंट नामक होटल पर बेदखली का आदेश चस्पा कर दिया. 7 दिन के अंदर होटल को खाली करने का आदेश दिया गया है. सबसे खास बात यह है के होटल इंदौर में पदस्थ टीआई विनय शर्मा की पत्नी प्रियंका शर्मा के द्वारा बनाया गया है।वही TI की पत्नी ने जिला कोर्ट में तत्काल सुनवाई का आवेदन भी लगाया था जो खारिज हो गया है अब स्टे दिए जाने की मांग के लिए आवेदन लगाया है.

नायब तहसीलदार पर मिलीभगत का आरोप

बता दें कि, इस मामले को लेकर शिकायतकर्ता संकेत साहू ने शिकायत की थी. कि घाटीगांव तहसील के गांव दोरार के सर्वे नंबर 1221 पर प्रियंका शर्मा पत्नी विनय शर्मा ने मुन्ना गुप्ता से रजिस्टर्ड विक्रय पत्र से 9 फरवरी 2019 को खरीद ली थी. जिसके बाद प्रियंका शर्मा ने सीमांकन के लिए नायब तहसीलदार घाटीगांव को आवेदन दिया था. तहसीलदार के साथ मिलकर उसके बाद तहसीलदार से मिलकर सीमांकन कर लिया था जबकि यह भूमि वन विभाग की निकली. सीमांकन करने के बाद तत्कालीन तहसीलदार घाटीगांव के साथ मिलकर नामांतरण और डायवर्सन भी कर लिया. उसके बाद प्रियंका शर्मा ने खसरे में अपना नाम चढ़ाया और उसके बाद भूमि पर मधुबन रेस्टोरेंट बनाने के लिए चारों तरफ लोहे की तार फेंसिंग लगवा दी. जबकि सर्वे नंबर 1221 की भूमि 1969 में नोटिफिकेशन के द्वारा भूमि संरक्षित वन भूमि घोषित की गई थी.

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जमीन खाली करने के लिए 7 दिन का समय

उसके बाद 2019 को वन भूमि पर कब्जा करने को लेकर प्रियंका शर्मा पर मामला भी दर्ज किया गया. इसके बाद प्रियंका शर्मा ने हाईकोर्ट में यह याचिका लगाई जो खारिज कर दी गई. फिर जिला कोर्ट में दावा किया जिसमें शासन की ओर से 3 महीने से ज्यादा समय होने पर पक्ष पेश किया गया तो स्टे मिल गया. इसके बाद कोर्ट ने तथ्यों के आधार पर प्रियंका शर्मा का दावा खारिज कर जमीन को वन भूमि ही माना गया. वहीं इस मामले को लेकर डीएफओ अंकित पांडे का कहना है कि सात दिन का समय खाली करने के लिए दिया गया है उसके बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी.

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