MP News: कैसे बनता है महाकाल मंदिर में प्रसाद, लड्डू को मिल चुका है FSSAI की शुद्धता प्रमाण पत्र
MP News: आंध्रप्रदेश में तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद के लड्डुओं में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल मिलाने के खुलासे के बाद देश में भूचाल सा आ गया है. उज्जैन के महाकाल मंदिर के लड्डुओं पर भी जांच करने के लिए सवाल उठाएं जा रहे है. दरअसल महाकाल मंदिर में प्रसाद के रूप में बेसन के लड्डु दिए जाते हैं जिनकी बेहद डिमांड भी होती है. हालांकि मंदिर के प्रसाद को FSSAI की शुद्धता प्रमाण पत्र मिल चुका है पर तिरुपति की घटना के बाद महाकाल के लड्डू की जांच की मांग की जाने लगी है. आज की खबर में पढ़िए की आखिर लड्डु तैयार कैसे किए जाते हैं.
उज्जैन के महाकाल मंदिर लड्डू प्रसाद यूनिट धार्मिक भक्ति और गुणवत्ता मानकों का एक अद्भुत उदाहरण है. इस यूनिट को शुद्धता और स्वच्छता के लिए तीन राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, जो भारत के अन्य मंदिरों के लिए एक मानक स्थापित करता है. इसके विपरीत, तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद से जुड़े हालिया विवादों ने धार्मिक चढ़ाव के लिए उच्च मानकों को बनाए रखने के महत्व को उजागर किया है.
महाकाल मंदिर लड्डू प्रसाद
शुद्धता का राष्ट्रीय मानक महाकाल मंदिर का लड्डू प्रसाद यूनिट लगातार 100% शुद्धता मानक को बनाए रखता है. मंदिर को गुणवत्ता के प्रति समर्पण के लिए तीन राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं, जिसमें फाइव-स्टार रेटिंग, सेफ भोग अवार्ड और हाइजेनिक सेफ भोग शामिल हैं. लड्डू प्रसाद बनाने की प्रक्रिया इतनी सावधानीपूर्वक होती है कि केवल उच्च गुणवत्ता वाली सामग्रियों का उपयोग किया जाता है, जिससे भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक संतोष मिलता है.
सामग्री और प्रक्रिया
लड्डू बनाने के लिए चन्ने की दाल, रवा, शक्कर का बूरा (चीनी पाउडर) और सूखे मेवे जैसे काजू और किशमिश का उपयोग किया जाता है. मुख्य सामग्रियों की पहले प्रयोगशाला में जांच की जाती है. यदि कोई सामग्री मानकों पर खरी नहीं उतरती है, तो उसे विक्रेता को वापस कर दिया जाता है. यह कठोर निरीक्षण प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि अंतिम उत्पाद स्वादिष्ट और शुद्ध हो.
चन्ने की दाल को यूनिट में ही पीसा जाता है, और रवा को दो बार छाना जाता है. चीनी भी छानने के बाद ही उपयोग की जाती है. हर सूखे मेवे को प्रयोग में लेने से पहले एक पांच सदस्यीय टीम द्वारा पूरी तरह से जांचा जाता है.
तिरुपति बालाजी मंदिर में विवाद
परिवर्तन की आवश्यकता हाल ही में आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में एक विवाद खड़ा हो गया, जब आरोप लगे कि लड्डू प्रसाद में मांस और मछली का तेल मिला पाया गया. इस घटना ने लाखों भक्तों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया, जिससे मंदिर प्रबंधन की शुद्धता के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल उठ गए.
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महाकाल लड्डू यूनिट प्रबंधन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी
गुणवत्ता जांच: लड्डू प्रसाद में उपयोग की जाने वाली हर सामग्री की प्रयोगशाला में जांच की जाती है, पहले और बाद में. यदि लड्डू किसी शुद्धता परीक्षण में असफल हो जाता है, तो उसे भक्तों को वितरित नहीं किया जाता.
स्वच्छता प्रक्रिया: लड्डू यूनिट में लगभग 60 श्रमिक हर घंटे सफाई का ध्यान रखते हैं. स्वच्छता मानकों ने यूनिट को फाइव-स्टार रेटिंग दिलाई है.
उत्पादन क्षमता: नियमित दिनों में मंदिर 25–30 क्विंटल लड्डू बनाता है, जो त्योहारों के समय 50–65 क्विंटल तक बढ़ जाता है. ये 100g, 200g, 500g और 1kg के पैकेट में उपलब्ध होते हैं, जिनकी कीमत ₹400 प्रति किलोग्राम होती है.
साधु-संतों की मांग, हो कड़ी निगरानी
तिरुपति घटना के बाद कई धार्मिक नेता, जिनमें महामंडलेश्वर शैलेश आनंद गिरि जी महाराज भी शामिल हैं, मंदिरों में प्रसाद वितरण पर कड़ी निगरानी की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि प्रसाद बनाने की प्रक्रिया को धार्मिक प्राधिकरण के अधीन रखना चाहिए, न कि सरकारी संस्थाओं को, ताकि भ्रष्ट प्रथाओं से बचा जा सके.
आदर्श महाकाल मंदिर लड्डू प्रसाद यूनिट ने शुद्धता और स्वच्छता के लिए एक उच्च मानक स्थापित किया है. तीन राष्ट्रीय पुरस्कारों और कठोर गुणवत्ता नियंत्रण प्रक्रियाओं के साथ, यह एक उदाहरण बनता है.