MP News: जबलपुर इस जगह रावण का पुतला दहन नहीं, की जाती है पूजा
MP News: बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है इस दिन रावण का दहन किया जाता है. माना जाता है कि रावण बुराई का प्रतीक था और इसलिए उसे जलाकर अच्छाई की जीत का पर्व मनाया जाता है. लेकिन देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो रावण को जलाते नहीं बल्कि उसका पूजन करते हैं. जबलपुर के पाटन इलाके में एक शख्स ऐसा है जो रावण की पूजा करता है. हर साल नवरात्रि पर रावण की प्रतिमा भी स्थापित की जाती हैं. और जय लंकेश के नारे लगाए जाते हैं.
जबलपुर के पाटन क्षेत्र में रावण का दहन नहीं किया जाता बल्कि उसकी पूजा की जाती है. संतोष नामदेव जो पेशे से ट्रेलर हैं लेकिन इनकी पहचान लंकेश भक्त के नाम से बनी हुई हैं. संतोष नामदेव की रावण भक्ति के पीछे एक दिलचस्प कहानी है. जब ये छोटे थे तो रामलीला में रावण की सेना में सैनिक का किरदार निभाते थे. कुछ सालों बाद इन्हें रावण का किरदार निभाने का मौका मिला और ये उस किरदार से इतना प्रभावित हुए कि उसे अपना गुरू और ईष्ट मान लिया. तब से यह रावणभक्ति का सिलसिला चला आ रहा है.
संतोष नामदेव का मानना है कि रावण बहुत बुद्धिमान और ज्ञानी था. उसके अंदर कोई भी दुर्गण नहीं था. उसने जो भी किया वह अपने राक्षस कुल को तारने के लिए किया था. संतोष रावण से इतने प्रभावित हैं कि उन्होंने अपने बच्चों का नाम भी रावण के बच्चों के नाम पर रख दिया है. उनका मानना है कि इससे उनकी पहचान आने वाली पीढ़ियों भी जान पाएंगी.
रावणभक्त संतोष ने अपने तीनों बेटों का नाम भी मेघनाद, अक्षय और राजकुमार रखा है. जो रावण के पुत्रों के नाम थे. उनके बच्चों को भी उनकी रावणभक्ति से कोई ऐतराज नहीं है संतोष पिछले 40 वर्षों से रावण की भक्ति कर रहे हैं. उनका मानना है कि जो कुछ भी उनके पास है वह सब रावण की भक्ति से ही मिला है. उनकी इस अनोखी भक्ति से आसपास के लोग काफी प्रभावित हैं. नवरात्रि के समय पर जब वे रावण की प्रतिमा रखते हैं तो क्षेत्र के लोग उन्हें पूरा सहयोग करते हैं और धूमधाम से रावण की शोभायात्रा भी निकालते हैं.
वैसे तो हिंदुस्तान में कई धर्म और समुदाय के लोग रहते हैं और सभी अपने अपने धर्मों के अनुसार ईष्ट देव की पूजा करते हैं लेकिन संतोष नामदेव की रावणभक्ति अपने आप में अनूठी है. संतोष नामदेव की अनूठी भक्ति ने उन्हें समाज में अलग पहचान जरूर दी है.
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