MP News: 109 साल की उम्र में सियाराम बाबा का भट्टयान आश्रम में निधन, अंतिम संस्कार में शामिल हो सकते हैं सीएम

MP News: 109 साल की उम्र में संत सियाराम बाबा का निधन. पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे. आज शाम 4 बजे अंतिम संस्कार किया जाएगा
Saint Siyaram Baba died at the age of 109 in Bhattayan Ashram

खरगोन: भट्टयाण आश्रम में 109 साल की उम्र में संत सियाराम बाबा का निधन

MP News: निमाड़ के प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा (Siyaram Baba) 109 साल की उम्र में ब्रह्मलीन हो गए. बुधवार यानी 11 दिसंबर की सुबह 6.30 बजे नर्मदा नदी किनारे स्थित भट्टयाण आश्रम में देहावसान हुआ. पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे. सीएम डॉ. मोहन यादव के निर्देश के बाद 24 घंटे डॉक्टर्स की टीम निगरानी कर रही थी. दुखद समाचार मिलने के बाद भक्तों में शोक की लहर फैल गई. अंतिम दर्शन के लिए खरगोन जिले के कसरावद ब्लॉक के तेली भट्टयाण में नर्मदा किनारे स्थित आश्रम में भक्तों का तांता लग गया.

अंतिम दर्शन में शामिल हो सकते हैं सीएम

आज शाम 4 बजे सीएम डॉ. मोहन यादव अंतिम दर्शन में शामिल हो सकते हैं. इसके साथ ही सेवकों ने कहा कि सियाराम बाबा का अंतिम संस्कार 4 बजे के बाद किया जाएगा.

कौन थे सियाराम बाबा?

संत सियाराम बाबा के शुरुआती जीवन को लेकर सटीक जानकारी नहीं मिलती है. कुछ लोग कहते हैं बाबा का जन्म मुंबई में हुआ था और कुछ का कहना है कि महाराष्ट्र से लगती हुई एमपी के बॉर्डर पर हुआ. इसके साथ ही उनकी जन्मतिथि को लेकर भी कोई ठोस सबूत नहीं मिलते हैं. इसी कारण बाबा की उम्र को लेकर मतभेद हैं. कोई कहता है बाबा 109 साल के थे तो कोई 130 साल होने का दावा करता है.

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खरगोन के कसरावद में नर्मदा नदी के किनारे भट्याण आश्रम है. यहीं संत सियाराम बाबा रहते हैं.

सियाराम बाबा की 109 की उम्र में असाधारण इंसान की तरह काम करते थे. भगवान हनुमान के भक्त थे. कई घंटों तक पूजा-पाठ करते थे. गर्मी, बारिश या सर्दी हो. हर मौसम में नर्मदा नदी में स्नान करने जाते थे.

बिना चश्मे के पढ़ते थे रामायण

इतनी उम्र होने के बाद भी सियाराम बाबा बिना चश्मे के रामायण पढ़ते थे. रामभक्ति में लीन होकर दिन गुजारते थे. कई बार वे 21 घंटों तक रामायण का पाठ किया करते थे.

12 साल तक मौन व्रत रहे

ऐसा कहा जाता है कि 7वीं कक्षा की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर घर का त्याग कर दिया था. इसके बाद वे हिमालय तपस्या के लिए चले गए थे. हिमालय से लौटने के बाद 10 साल तक खड़े रहकर तप किया था. इसके अलावा उन्होंने 12 साल तक मौन व्रत रखा था.

भक्तों से दान में 10 रुपये लेते थे

बाबा भक्तों से दान में 10 रुपये लेते थे. आश्रम में चाहे जितना भी दान करो लेकिन बाबा भक्तों से 10 रुपये का दान लेते थे. इस दान का उपयोग बाबा समाजसेवा में करते थे. नर्मदा नदी किनारे घाट बनवाने के लिए बाबा ने लगभग 2 करोड़ रुपये दान दिए थे.

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