MP News: ग्वालियर में भीषण जल संकट, बचा सिर्फ 20 दिन का पानी, मानसून के भरोसे जनता

MP News: ग्वालियर के आसपास दो दर्जन से ज्यादा बड़े जल स्रोत हैं. जो पिछले कई सालों से सूखे पड़े हैं. लेकिन तिघरा, हरसी, अपर ककेटो ही पानी उपलब्ध कराते हैं.
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ग्वालियर के तिघरा डैम बचा सिर्फ 20 दिन का पानी

MP News: ग्वालियर चंबल अंचल में मानसून पहुंचने में अभी लगभग 20 दिन का समय है और उससे पहले ग्वालियर शहर भीषण जल संकट के दौर से गुजर रहा है. शहर की बड़ी जनसंख्या को पानी पिलाने वाला एक मात्र तिघरा डैम 80% से ज्यादा खाली हो गया और अब इसमें लगभग 20 दिन का ही शेष पानी बचा है. 30 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब इन बांधों में पानी कुछ ही दिन का शेष बचा हुआ है. यही कारण है कि अब जल संकट की वजह से प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की सांसें फूलने लगी है.

चिलचिलाती गर्मी, चढ़ता उतरता पारा और सूखते गले को पानी का ही सबसे बड़ा सहारा होता है. भारत के सबसे ज्यादा गर्म रहने वाले अंचल को पानी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है और ग्वालियर उनमें एक बड़ा शहर है जहां गर्मी का कहर लंबे समय तक लोगों को झेलना पड़ता है. ये हालत कोई पहली बार देखने को नहीं मिल रहे पिछले कई सालों से ग्वालियर के तिघरा डैम की सांसें जून का महीना आते-आते टूटने लगती हैं. तिघरा डैम के ऐसे हालात होने से पहले ग्वालियर में लोगों का गला सूखने लगता है. इससे बचने के लिए ग्वालियर नगर निगम पिछले एक साल से शहर में एक दिन छोड़कर पानी की सप्लाई कर रहा है. अगर ऐसा नहीं होता तो तिघरा 3 महीने पहले ही सूख जाता और ग्वालियर में पानी के लिए हाहाकार मच जाता.

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हालांकि ग्वालियर में पानी लाने के लिए चंबल प्रोजेक्ट भी बनाया गया है लेकिन इसे धरातल पर उतरने में अभी न जाने कितना वक्त लगेगा. यह कोई कह नहीं सकता, ऐसा इसलिए क्योंकि चंबल प्रोजेक्ट शुरू होने की कई डेडलाइन निकल चुकी है तो भला पूरा कब होगा. इस पर कई सवाल बने हुए हैं. पानी हमारी सबसे प्राथमिक जरूरत है और इसके बिना लोग जिंदा नहीं रह सकते. ऐसे में ग्वालियर शहर का प्रमुख जीवित जल स्रोत दम तोड़ जाए तो लोग कैसे जीयेगे.

ग्वालियर के आसपास दो दर्जन से ज्यादा बड़े जल स्रोत हैं. जो पिछले कई सालों से सूखे पड़े हैं. लेकिन तिघरा, हरसी, अपर ककेटो ही पानी उपलब्ध कराते हैं. इस बार हालात इसलिए खराब हो गए क्योंकि सभी पानी के स्रोत लगातार सूखते जा रहे हैं.  प्रशासन भी इंद्र देवता के भरोसे है. अगर पिछले साल की तरह मौसम मेहरबान नहीं हुआ तो ग्वालियर में भीषण जल संकट देखने को मिलेगा.

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