क्या पीथमपुर में ही जलेगा यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा? सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

MP News: सुप्रीम कोर्ट ने पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने से रोक लगाने पर इंकार कर दिया है.
supreme court

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

MP News: भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) के कारण यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के जहरीली कचरे को पीथमपुर में जलाने से रोक वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. 27 फरवरी को इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा की याचिकाकर्ताओं के सभी पक्षों को हाई कोर्ट ने सुन लिया है. ऐसे में फिलहाल सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कोई सुनवाई नहीं करेगा.

हाई कोर्ट ने तीन चरणों में ट्रायल को दी है मंजूरी

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन ने पीथमपुर में 337 टन यूनियन कार्बाइड कचरे के विनिष्टिकरण के मामले पर सुनवाई करते हुए तीन चरणों में ट्रायल की मंजूरी दी थी.  30 मैट्रिक टन कचरे के विनष्टीकरण के लिए पहले तीन चरणों में ट्रायल रन की बात कही थी पहला ट्रायल 27 फरवरी को होना था, जबकि 4 मार्च को दूसरे चरण का कचरा डिस्पोज होना है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में इस कचरे को जलाने से रोक की मांग करते हुए याचिका दायर की गई थी.

क्या है यूनियन कार्बाइड कचरे की कहानी?

2 दिसंबर 1984 की रात यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री (Union Carbide Factory) से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था. इस फैक्ट्री में कीटनाशक बनाए जाते थे. यहां से मिथाइल आइसो साइनाइट गैस का रिसाव होने के बाद जहरीली गैस पूरे शहर में फैल गई. देखते ही देखते रातों रात भोपाल में हजारों की संख्या में न सिर्फ इंसान बल्कि पशु और पक्षियों ने भी दम तोड़ दिया. दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी Bhopal Gas Tragedy को 40 साल बीत चुके हैं. आपदा के बाद भले ही फैक्ट्री बंद हो गई हो लेकिन अब तक कारखाने में जहरीला कचरा मौजूद था, जिसे अब हटाकर डिस्पोज करने के लिए धार जिले के पीथमपुर पहुंचाया गया है.

3 जनवरी को पीथमपुर में जलाना था कचरा, लेकिन हो गया था बवाल

3 जनवरी को धार जिले के पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के जहरीले कचरे के निपटारे को लेकर बवाल हो गया था. कचरे के निष्पादन के विरोध में बड़ी संख्या में भीड़ इकट्ठा हुई. लोगों ने एकजुट होकर जमकर प्रदर्शन किया और कचरे को वापस भेजने की मांग की. इस दौरान प्रदर्शन कर रहे दो लोगों ने आत्मदाह की कोशिश की. राजीव पटेल और संदीप रघुवंशी नाम के युवक ने खुद पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगाने की कोशिश की. आगस पर तुरंत काबू पाया गया और दोनों युवक को अस्पताल पहुंचाया गया.

बवाल के बाद लगा दी गई रोक

पीथमपुर में हुए बवाल के बाद CM डॉ. मोहन यादव ने देर रात हाई लेवल मीटिंग बुलाई. इस मीटिंग में डिप्टी CM राजेंद्र शुक्ला, डिप्टी CM जगदीश देवड़ा, कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, चीफ सेक्रेटरी अनुराग जैन, एडवोकेट जनरल और लॉ सेक्रेटरी मौजूद थे. इस मीटिंग में कोर्ट के आदेश और वहां दिए शपथपत्र के साथ रिपोर्ट पर चर्चा की गई. इसके बाद कोर्ट का आदेश आने तक कचरा जलाने पर रोक लगा दी थी.

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हाई कोर्ट ने दी ट्रायल की मंजूरी

18 फरवरी 2025 को इस मामले में सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन ने पीथमपुर में 337 टन यूनियन कार्बाइड कचरे के विनिष्टिकरण के लिए तीन चरणों में ट्रायल की मंजूरी दी. 27 फरवरी को पहला चरण और 4 मार्च को दूसरे चरण का कचरा डिस्पोज होने के बाद राज्य सरकार को तीनों चरणों के ट्रायल रन की रिपोर्ट 27 मार्च को हाई कोर्ट के सामने पेश करना होगा.

21 साल तक लड़ी गई कानूनी लड़ाई

कारखाने से हटाकर कचरे को बाहर डिस्पोज करने के लिए 21 साल तक कानूनी कार्रवाई लड़ी गई.

  • सबसे पहले साल 2004 में भोपाल के रहने वाले आलोक प्रताप सिंह ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की. इस याचिका में यूनियन कार्बाइड परिसर में पड़े जहरीले कचरे को हटाने की गुहार लगाई थी. साथ ही पर्यावरण को हुए नुकसान के निवारण की मांग भी की गई थी.
  • इसके बाद मार्च 2005 में MP हाई कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निष्पादन को लेकर एक टास्क फोर्स समिति का गठन किया. इस समिति को कचरे के सुरक्षित निपटारे के लिए अपनी ओर से सिफारिशें देनी थी.
  • अगले महीने अप्रैल 2005 में केंद्रीय रसायन और पेट्रोकेमिकल्स मंत्रालय ने एक आवेदन दायर कर हाई कोर्ट से कहा कि जहरीला कचरा हटाने में आने वाला पूरा खर्च इसकी जिम्मेदार कंपनी डाउ केमिकल्स, यूसीआईएल से ही वसूला जाए.
  • जून 2005 में हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक गैस राहत विभाग ने कचरे को पैक करने और भंडारण करने के लिए रामकी एनवायरो फार्मा लिमिटेड कंपनी को नियुक्त किया. इस बीच परिसर में 346 टन जहरीले कचरे की पहचान की गई.
  • अगले साल अक्टूबर 2006 में MP हाई कोर्ट ने 346 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को अंकलेश्वर (गुजरात) भेजने का आदेश जारी किया.
  • इसके बाद टीएसडीएफ सुविधा के लिए नवंबर 2006 में हाई कोर्ट ने पीथमपुर में 39 मीट्रिक टन चूना कीचड़ के परिवहन का आदेश दिया.
  • एक साल बाद अक्टूबर 2007 में गुजरात सरकार ने भारत सरकार को पत्र लिखकर यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा अंकलेश्वर स्थित भरूच एनवायर्नमेंटल इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड में जलाने में असमर्थता जाहिर की.
  • गुजरात सरकार की ओर से असमर्थता जाहिर करने के बाद अक्टूबर 2009 में टास्क फोर्स की 18वीं बैठक में पीथमपुर में 346 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को भेजने का फैसला लिया गया. यह काम अगले ही महीने यानी नवंबर में शुरू हो गया.
  • साल 2012, अक्टूबर में मंत्रियों के समूह ने ट्रायल के तौर पर 10 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को पीथमपुर में टीएसडीएफ सुविधा में जलाने का फैसला लिया.
  • अप्रैल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने पीथमपुर में 10 टन कचरा नष्ट करने की योजना बनाने के लिए निर्देश दिए.
  • दिसंबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को पीथमपुर संयंत्र में निपटाने का निर्देश दिया.
  • अप्रैल 2021 में मध्य प्रदेश सरकार ने इस कचरे के निपटान के लिए टेंडर बुलाए.
  • नवंबर 2021 में रामकी एनवायरो फार्मा लिमिटेड कंपनी को टेंडर दे दिया गया.
  • दिसंबर 2024 में हाई कोर्ट ने जहरीले कचरे के निपटान में हो रही देरी पर फटकार लगाते हुए कहा कि एक महीने के भीतर कारखाने से कचरा हटाया जाए.

साल 2015 में हो चुका है ट्रायल

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2015 में पीथमपुर में कचरा जलाने का ट्रायल किया गया था. परीक्षण के आधार पर 10 टन यूनियन कार्बाइड कचरे को जला दिया गया था, जिसके बाद आसपास की मिट्टी और जल स्त्रोत प्रदूषित हो गए थे.

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