MP News: कन्याकुमारी से कश्मीर तक मशहूर स्वीट कॉर्न की कहानी, कटनी के तेवरी के भुट्टे की महाराष्ट्र-UP तक सप्लाई

MP News: तेवरी सहित उसके आसपास के एक दर्जन गांवों में किसान धान की फसल छोड़कर अप्रैल, मई माह में ही स्वीटकार्न और देशी भुट्टे बोनी कर देते हैं.
The story of famous sweet corn from Kanyakumari to Kashmir

स्वीट कार्न के खेत और रोड पर लगी दुकाने

यश खरे –

MP News: कन्याकुमारी से कश्मीर तक मशहूर स्वीट कॉर्न भुट्टे की कहानी मध्य प्रदेश के कटनी जिले से जुड़ी हुई है. कटनी जिले के तेवरी व उससे लगे एक दर्जन गांवों में किसानों ने परंपरागत खेती से हटकर स्वीटकार्न व देशी भुट्टे की फसल पर जोर दिया. जिससे पिछले कई साल से किसान अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. तेवरी का स्वीटकार्न व भुट्टा प्रदेश भर के शहरों के साथ महाराष्ट्र व उप्र तक सप्लाई होता है. और कन्याकुमारी से कश्मीर तक जाने वाला यही का भुट्टा है कटनी जिले के तेवरी में यह बड़ी ही आसानी से मिल जाता है सड़क किनारे एक सैकड़ा से अधिक दुकानों में स्वीटकार्न, भुट्टे का लोग लुत्फ उठाने पहुंच रहे हैं तो युवाओं ने अब स्वीटकार्न से बनने वाले व्यंजनों के जरिए भी मुनाफा कमाना शुरू कर दिया है. तेवरी के आधा दर्जन युवाओं ने कैफे खोल लिए हैं, जिनमें स्वीटकार्न मैगी, पकोड़े, डोसा, स्वीटकार्न भेल सहित कई तरह के व्यंजन तैयार कर रहे हैं और उनको खाने के लिए कटनी के अलावा जबलपुर तक से लोग पहुंचते हैं। दो साल पहले तक एकमात्र कैफे था और मुनाफा देखकर कई युवाओं ने काम शुरू कर दिया है.

स्वीटकार्न के व्यंजन खास पसंद

तेवरी के एनएच-30 के दोनों ओर इन दिनों एक सैकड़ा से अधिक दुकानें लगती हैं. जिनमें ग्रामीण खेतों से स्वीटकार्न व भुट्टे लाकर उनको भूनकर बेचने का काम करते हैं. एक ओर किसान मुनाफा कमा रहे हैं तो दूसरी ओर दो माह से अधिक समय तक सैकड़ों लोगों को भुट्टे से रोजगार मिलता है, लेकिन पिछले तीन-चार साल से स्वीटकार्न से बने व्यंजन लोगों की खास पसंद हैं. कैफे संचालक ने बताया कि उन्होंने कैफे शुरू किया था और उसमें वे स्वीटकार्न भेल, चाट, पकोड़े, डोसा सहित अन्य व्यंजन तैयार करते हैं. जिसका लुत्फ उठाने के लिए कटनी, जबलपुर तक से लोग पहुंचते हैं. कैफे संचालक गणेश कुशवाहा ने बताया कि हाइवे होने के कारण यहां से गुजरने वाले लोग रूककर स्वीटकार्न भुट्टे के साथ ही उससे बने व्यंजनों का भी लुत्फ उठाते हैं. मुनाफा देखकर तेवरी के अन्य युवाओं ने भी दुकानें शुरू कर दी है.

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एक हजार हेक्टेयर में लगाई है फसल

तेवरी सहित उसके आसपास के एक दर्जन गांवों में किसान धान की फसल छोड़कर अप्रैल, मई माह में ही स्वीटकार्न और देशी भुट्टे बोनी कर देते हैं. तेवरी के अलावा बड़वारा के मझगवां में भी कई किसान इस खेती से जुड़े हैं. इस साल विभाग ने एक हजार हेक्टेयर में स्वीटकार्न व भुट्टे की बोनी का लक्ष्य तय किया था, जो लगभग पूरा हो गया है. खेतों में फसल तैयार हुए 15 दिन का समय बीत गया है और किसानों के खेतों से स्वीटकार्न, भुट्टे की सप्लाई शुरू हो गई है. तेवरी में वर्ष 2010-11 में तत्कालीन कलेक्टर एम. सेल्वेंद्रन ने किसानों को स्वीटकार्न की खेती के लिए प्रेरित किया था और कई किसानों को विभाग की और से मुफ्त में एक-एक किलो बीज उपलब्ध कराए गए थे. उसके बाद से किसानों ने इस खेती को अपनाया और वर्तमान में तेवरी का स्वीटकार्न व भुट्टा प्रदेश के सभी बड़े शहरों के साथ ही महाराष्ट्र, उप्र के कई जिलों तक भेजा जाता है व्यापारी किसानों के खेतों से ही सीधे खरीदी करते हैं.

वहीं यहां के किसान दीपक कुशवाहा का कहना है कि पहले परिवार के लोग अपनी लगभग 20 एकड़ भूमि पर खरीफ सीजन में धान की बोनी करते थे. स्वीटकार्न व भुट्टे की फसल लगाने के बाद अच्छा मुनाफा देखा और अब खरीफ सीजन में इसकी ही बोनी हम लोग करते हैं. जिसकी सप्लाई कई जिलों में होती है और आसपास के प्रदेशों से भी व्यापारी खरीदी करने आते हैं.

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