MP News: रीवा के सरकारी अस्पताल में हड़कंप, डॉक्टरों को ड्यूटी के समय प्राइवेट प्रैक्टिस न करने के आदेश

MP News: रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल और श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय के डीन सुनील अग्रवाल का साफ तौर से कहना है, सरकारी कॉलोनी में डॉक्टरो के द्वारा लगाए गए बोर्ड पूरी तरीके से गलत है.
Dengue patients are continuously increasing in Rewa, the number of patients in Sanjay Gandhi Hospital reached 837

रीवा में लगातार बढ़ रहे डेंगू के मरीज, संजय गांधी अस्पताल में मरीजों की संख्या 837 पहुंची

MP News: कलेक्टर रीवा और श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय के डीन आदेश के बाद डॉक्टरों में हड़कंप मच गया है. दरअसल मंदिरों की तरह चलने वाली सुबह से डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर ताले लगने लगे हैं. क्योंकि रीवा कलेक्टर ने आदेश जारी कर दिए गए हैं कि कोई भी डॉक्टर सरकारी समय पर प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करेगा. तो मंडियों की तरह सजने वाली इन डॉक्टरों की मंडी भी अब बंद होती दिख रही है. हम इन्हें इसलिए मंडी का नाम दे रहे हैं, क्योंकि यहां पर मरीजों की फीस को लेकर मोल भाव होता है. मरीज को अलग-अलग अस्पताल में भेजा जाता था. अगर कहीं नहीं भेजा जाता तो वह था सरकारी अस्पताल. ज्यादातर डॉक्टरो के अपने क्लीनिक है,अपने अस्पताल हैं.

रीवा का संजय गांधी अस्पताल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक है. यहां पर सरकारी सुपर अस्पताल भी है. सरकारी जिला चिकित्सालय भी है. यहां के डॉक्टर को ड्यूटी के समय प्राइवेट प्रैक्टिस करने की पूरी तरीके से मनाही है. लेकिन लंबे समय से डॉक्टर नियमित रूप से अपने सरकारी आवास में प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे थे, जिसके कारण सरकारी अस्पतालों पर ठीक ढंग से डॉक्टर के द्वारा ध्यान नहीं दिया जाता था, और अपने प्रचार- प्रसार के लिए बाकायदा इसके लिए उन्होंने सड़क के किनारे लाइन से अपने-अपने बोर्ड लगा रखे हैं. जबकि इन बोर्ड को लेकर अस्पताल प्रशासन और जिला प्रशासन का सख्त आदेश है कि, कोई भी डॉक्टर ऐसे बोर्ड नहीं लगा सकता. यह बोर्ड सरकारी आदेशों का खुला उल्लंघन करते नजर आते हैं. वहीं ये बोर्ड सरकारी आदेश का मजाक उड़ाते भी नजर आते हैं.

संजय गांधी अस्पताल से केवल 20 कदम की दूरी पर, श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय के दीवार से लगी हुई कॉलोनी में जैसे ही आप प्रवेश करेंगे ,आपका स्वागत करते डॉक्टरों के यह बोर्ड आपको नजर आ जाएंगे. अलग-अलग बीमारियों के एक्सपर्ट के यह बोर्ड यह बताने के लिए पर्याप्त है. आपको कौन सी बीमारी है, तो आपको किस डॉक्टर के पास जाना है. वह कहां पर मिलेगें, इसके लिए आपको किसी से पूछने की जरूरत नहीं है. इसमें देखने का समय कुछ ही डॉक्टर के द्वारा लिखा गया है. इसका सीधा सा अर्थ है, आप जब बीमार पड़िये तो सीधा संबंधित बीमारी वाले डॉक्टर के पास पहुंच जाइए. जबकि सरकारी आदेशों में इसको लगाना पूरी तरीके से प्रतिबंधित है. लेकिन फिर भी कोई भी इसको मानने के लिए तैयार नहीं था.

कई बार इसका विरोध भी किया गया लेकिन इसका कोई भी असर देखने को नहीं मिल रहा था. अब रीवा कलेक्टर ने एक आदेश जारी कर दिया जिसमें साफ तौर पर यह कहा गया है कि कोई भी डॉक्टर ओपीडी टाइम पर अपने निजी संस्थान पर पेशेंट नहीं देखेगा. अगर ऐसी कोई शिकायत मिलती है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी. जिसका पालन करते हुए श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के लिए सुनील अग्रवाल ने भी यह निर्देश दिया कि अब डॉक्टर सरकारी अस्पताल के समय को छोड़कर ही प्राइवेट प्रैक्टिस कर पाएंगे और कोई भी डॉक्टर अपने आवास के सामने बोर्ड या पोस्टर नहीं लगा सकेंगे. इसके बाद डॉक्टरों में हड़कंप मच गया. कई डॉक्टर इसका विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं.

विस्तार न्यूज़ की टीम जब इस कॉलोनी पर पहुंची तो डॉक्टर ने मरीजों को वापस लौटा दिया. जिन सड़कों पर जिन गलियों पर सुबह से मरीजों का मेला देखने को मिलता था वहां अब शांति हो गई है. इस आदेश का असर डॉक्टर कॉलोनी में लगने वाली डॉक्टर की मंडियों पर दिखने लगा जो लोग दूर-दूर से इलाज के लिए यहां पहले से आते रहे हैं वह अभी भी आते हैं. लेकिन फिलहाल डॉक्टर साहब नहीं मिल रहे हैं.

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कुछ बोर्ड आपको आकर्षित भी करेंगे

जिस तरीके से बाजारों में दुकानदार तरह-तरह के बोर्ड लगाते हैं. ठीक उसी तरीके का नजारा आपको, रीवा की डॉक्टर कॉलोनी में भी नजर आएगा. एक डॉक्टर ने तो बोर्ड लगा रखा है, वह सुबह केवल 20 मरीज ही देखेंगे. अस्पताल कब जाएंगे, ना उन्हें न उनके मरीज को इस बात की जानकारी है. उनके एक नजदीकी रिश्तेदार का बड़ा अस्पताल भी रीवा मे है. उन्हें वहां भी समय देना पड़ता है. शायद इसलिए सरकारी नौकरी करने का समय नहीं मिलता.

एक डॉक्टर ने तो हद ही कर दी, बाकायदा जगह बदलने का बोर्ड लगा दिया दरवाजे पर, उन्होंने शहर में एक बड़ा अस्पताल बनाया है . वहां बैठने लगे हैं, लेकिन अभी अस्पताल का उद्घाटन नहीं किया है. एक आदमी बैठा दिया दरवाजे पर जो बता रहा है, डॉक्टर साहब सुबह 8:00 बजे से 12:00 तक कहां मिलेंगे. नंबर यही पर लगाइए, और वहां जाकर दिखाइए. हमारी टीम जब वहां पर पहुंची तो 73 मरीज के नाम उसके रजिस्टर में नोट थे. उनकी फीस भी भारी भरकम है. ₹500 से लेकर ₹2500 तक हालांकि कैमरे के सामने इस बात की पुष्टि तो नहीं हो पाई. फिर भी गेट पर बैठे आदमी ने काफी कुछ बता दिया, यह डॉक्टर साहब रीवा के सुपर अस्पताल में पोस्टेड है. जहां पर प्राइवेट प्रैक्टिस पूरी तरीके से मना है.

क्या कहते हैं सरकारी आदेश

रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल और श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय के डीन सुनील अग्रवाल का साफ तौर से कहना है, सरकारी कॉलोनी में डॉक्टरो के द्वारा लगाए गए बोर्ड पूरी तरीके से गलत है. उनके द्वारा अस्पताल के ड्यूटी के समय प्रैक्टिस करना गलत है. हम लगातार इस पर नजर बनाए हुए हैं, हम जल्दी ही बड़ी कार्यवाही करेंगे. लेकिन सवाल यहीं पैदा होता है, कि वह दिन कब आएगा. हालांकि इसके पहले भी कई कलेक्टरों और कॉलेज के जिम्मेदारों ने प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगाने की कोशिश की थी. लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाई.

रीवा को मेडिकल हब बनाने का सपना: स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल

रीवा में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर काफी तेजी से काम कर रहे, मध्य प्रदेश के डिप्टी सीएम और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल का सपना है, रीवा एक मेडिकल हब के रूप में जाना जाए. यहां के डॉक्टर समय पर अस्पतालों में ड्यूटी करें. जिसके चलते सरकारी अस्पताल प्रदेश के लिए एक मिसाल बन सके, लेकिन यह सब संभव नहीं लगता, रीवा के सीनियर डॉक्टर जो रीवा के सरकारी अस्पतालों में पदस्थ हैं. उन्हें केवल प्राइवेट प्रैक्टिस करनी है. वह अस्पताल की नौकरी शायद इसलिए नहीं छोड़ते, उन्हें वहां से मरीज मिलते हैं. लेकिन प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अलग-अलग मंचों पर सरकारी अस्पताल के डॉक्टर को साफ तौर से कह चुके हैं. समय रहते सुधर जाइए, अन्यथा कड़ी कार्रवाई की जाएगी. यह बात श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय के डीन सुनील अग्रवाल भी कहते हैं.

हमने कलेक्टर रीवा प्रतिभा पाल से बात की, हमने बात की शयाम शाह चिकित्सा महाविद्यालय के डीन सुनील अग्रवाल से, हमने बात की वरिष्ठ डॉक्टर के दरवाजे पर बैठे एक व्यक्ति से जो मरीज के नंबर लग रहा था.

अब देखना होगा कि यह आदेश का पालन कब तक होता है क्योंकि डॉक्टर अगर प्राइवेट प्रैक्टिस ओपीडी समय पर नहीं करेंगे तो समय पर अस्पताल पहुंच सकेंगे और उन मरीजों को भी इलाज सही मिल पाएगा जो निजी संस्थान पर पहुंचकर प्राइवेट फीस देकर इलाज नहीं करा सकते.

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