New Year 2025 पर घूमने जा रहे हैं 400 साल पुराने MP के कुंडी भंडारा? UNESCO विश्व धरोहर को बिना देखे ही पड़ सकता है लौटना
New Year 2025: मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक शहर बुरहानपुर स्थित UNESCO विश्व धरोहर कुंडी भंडारा लंबे समय से नजरअंदाज किया जा रहा है. साल भर पर्यटकों से गुलजार रहने वाला कुंडी भंडारा करीब डेढ़ साल से बंद पड़ा है, जिस कारण यहां आने वाले पर्यटकों को निराशा हाथ लग रही है.
विदशों से पहुंचते हैं पर्यटक
बुरहानपुर जिला स्थित कुंडी भंडारा UNESCO विश्व धरोहर लिस्ट में शामिल है. इसे 1615 ईसवी में मुगल शासक अब्दुल रहीम खान खाना ने बनवाया था. इस ऐतिहासिक धरोहर को देखने के लिए साल भर बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. न सिर्फ देश बल्कि विदेशों से भी पर्यटक यहां आते हैं. लेकिन यह बीते करीब डेढ़ साल से बंद है, जिस कारण पर्यटकों को निराशा हाथ लग रही है.
क्यों बंद है कुंडी भंडारा?
जानकारी के मुताबिक कुंडी भंडरा की लिफ्ट बंद कर दी गई है. यहां की 108 कुंडियों में से 2 कुंडियां धंस गई थी, जिसका निर्माण नगर निगम ने करवा तो दिया है लेकिन अब तक अंदर का मलबा नहीं हटाया गया है. इस कारण 80 फीट नीचे पानी का जमाव हो गया. यही वजह है कि पर्यटकों के लिफ्ट से नीचे जाने पर रोक लगा दी गई है, जिससे मुंबई, हरदा और आस-पास के जिले से आने वाले पर्यटकों के निराशा हाथ लगी है.
1615 में मुगल शासक ने कराया था निर्माण
1615 ईसवी में मुगल शासक अब्दुल रहीम खान खाना ने पानी की किल्लत को देखते हुए 108
कुंडिया बनाकर इस जल प्रणाली का निर्माण कराया था, जो आज दुनिया भर में मशहूर है. खास बात यह है कि 80 फीट गहराई से पानी बिना किसी पंप के आगे बढ़ता है. यह पानी बहता हुआ नहीं बल्कि बूंदों के रूप में टपकता हुआ नजर आता है. करीब 4 किलोमीटर का सफर तय कर यह बूंदे अंतिम कुंडी तक पहुंचती हैं. यह नजारा देखने लायक होता है. पर्यटकों को देखने के लिए कुंडी भंडारे में लिफ्ट लगाई गई है. पानी की मात्रा अधिक होने से लिफ्ट को बंद रखा गया है.
मिनरल वाटर से भी ज्यादा शुद्ध है पानी
कुंडी भंडारा में मिलने वाले पानी को मिनरल वाटर से भी ज्यादा शुद्ध बताया गया है. कई एजेंसियों ने यहां के पानी की जांच की तो पता चला की इसकी पीएच वैल्यू 2 है और यह मिनरल वाटर की तरह शुद्ध है.
कई नामों से जाना जाता है कुंडी भंडारा
कुंडी भंडारे के कई नाम हैं. कोई इसे नैहरे खैरे यारियां तो कोई कुंडी भंडारा और कोई खूनी भंडारा भी कहता है. इतिहासकारों के मुताबिक अब्दुल रहीम खान खाना मुगल शासक जहांगीर के
शासनकाल में शहजादा परवेज के सूबेदार थे. उन्होंने इस जल स्रोत का निर्माण कुछ इस
तरह कराया था कि आज भी 108 कुंडों में हमेशा पानी का बहाव बना हुआ है.
क्या है कुंडी भंडारा का इतिहास
इतिहासकार बताते हैं कि जिस जगह खूनी भंडारा बना हुआ है, उस स्थान पर कुछ आक्रमणकारियों ने व्यापारियों के जत्थे को लूट लिया था. उनके शव उसी स्थान पर पड़े थे. जैसे ही उनके शव वहां से
हटाए गए तो वहां से पानी का भंडार निकल पड़ा. तब से इसे खूनी भंडारा और कुंडी भंडारा कहा जाने लगा. बिना किसी पंपिंग सिस्टम के यह पानी हवा के दम पर 108 कुंडों तक पहुंचता है. यह संरचना आज भी चालू है. कुंडी भंडारा के चारों तरफ सतपुड़ा की बड़ी-बड़ी पहाड़ियां हैं, जिनसे रिसकर पानी इसके केंद्र में जमा होता है.
यहां पहुंचने का रास्ता है जर्जर
नगर निगम इतना लापरवाह है कि विश्व धरोहर में शामिल ऐसी ऐतिहासिक धरोहरों पर पहुंचने के लिए लोगों को जर्जर मार्ग से होकर पहुंचना पड़ता है.