देशभर में एक लाख से अधिक स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक, एमपी के 7000 से अधिक स्कूलों में भी यही हाल, कांग्रेस ने साधा निशाना
बच्चों को पढ़ाते हुए शिक्षक (सांकेतिक तस्वीर)
MP News: देश की शिक्षा व्यवस्था की स्थिति पर शिक्षा मंत्रालय के ताज़ा आंकड़े चिंताजनक तस्वीर पेश करते हैं. शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में देशभर के 1,04,125 स्कूल ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक ही शिक्षक के भरोसे पूरी पढ़ाई चल रही है. इन स्कूलों में करीब 33,76,769 छात्र पढ़ रहे हैं. यानी औसतन हर शिक्षक पर लगभग 34 छात्रों की जिम्मेदारी है.
मध्य प्रदेश में 7 हजार ऐसे स्कूल जहां केवल एक शिक्षक
चिंताजनक बात यह है कि मध्य प्रदेश में ऐसे करीब 7 हजार स्कूल हैं, जहां केवल एक शिक्षक है. इस पर राज्य के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता पी.सी. शर्मा ने प्रदेश भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह चरमरा दिया है. आज देश के लगभग 1 लाख स्कूलों में केवल एक शिक्षक है, और मध्य प्रदेश में ऐसे 7 हजार स्कूल है. इतनी भयावह स्थिति में बच्चे शिक्षा से नहीं, व्यवस्था की बेरुखी से जूझ रहे हैं.
पी.सी. शर्मा ने आगे कहा कि वर्षों से शिक्षक भर्ती प्रक्रिया अधर में लटकी पड़ी है. हजारों अभ्यर्थी जिनके सपने थे बच्चों को शिक्षित करने के, आज ओवर एज होकर निराश बैठे हैं. दूसरी ओर, अतिथि शिक्षकों के सहारे संपूर्ण शिक्षा विभाग चल रहा है, लेकिन उन्हें भी महीनों तक वेतन नहीं मिलता.
उन्होंने कहा कि यह केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था के साथ सोची-समझी बेरुखी है. उन्होंने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि भाजपा सरकार बताये, जब शिक्षक ही नहीं होंगे तो शिक्षित मध्य प्रदेश का नारा कैसे पूरा होगा.
मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह चरमरा दिया है। आज देश के लगभग 1 लाख स्कूलों में केवल एक शिक्षक है, और मध्य प्रदेश में ऐसे 7 हजार स्कूल है।
— P. C. Sharma (@pcsharmainc) October 13, 2025
इतनी भयावह स्थिति में बच्चे शिक्षा से नहीं, व्यवस्था की बेरुखी से जूझ रहे हैं।
वर्षों से शिक्षक भर्ती प्रक्रिया अधर… pic.twitter.com/hz1mgpyXrQ
आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा सिंगल-टीचर स्कूल
आंध्र प्रदेश में सबसे ज़्यादा सिंगल-टीचर स्कूल हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में इन स्कूलों में छात्रों का नामांकन सबसे अधिक है. झारखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक और लक्षद्वीप भी इस सूची में आगे हैं. वहीं पुडुचेरी, लद्दाख, दादरा-नगर हवेली, दमन-दीव और चंडीगढ़ जैसे क्षेत्रों में एक भी सिंगल-टीचर स्कूल नहीं है.
हालांकि पिछले कुछ वर्षों में इन स्कूलों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है. वर्ष 2022-23 में यह आंकड़ा 1,18,190 था, जो 2023-24 में घटकर 1,10,971 रह गया और अब 2024-25 में यह संख्या 1,04,125 पर आ गई है. शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि सरकार स्कूलों के विलय और संसाधनों के पुनर्वितरण के ज़रिए शिक्षण की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में काम कर रही है. जिन स्कूलों में छात्र नहीं हैं, वहां से शिक्षकों को सिंगल-टीचर स्कूलों में पुनः तैनात किया जा रहा है.
ये भी पढ़ें- एमपी में इंजीनियरिंग-डॉक्टरी की पढ़ाई होगी फ्री, जानिए मेधावी विद्यार्थी योजना में आवेदन का सही तरीका और योग्यता
छात्र नामांकन में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर
देश में सिंगल-टीचर स्कूलों में छात्र नामांकन के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है. यहां ऐसे स्कूलों में 6,24,327 छात्र पढ़ते हैं, जबकि झारखंड में 4,36,480, पश्चिम बंगाल में 2,35,494, मध्य प्रदेश में 2,29,095 और कर्नाटक में 2,23,142 छात्र हैं.