GI Tag: पन्ना के हीरे की चमक और होगी खास, अगस्त में मिलेगा जीआई टैग
हीरा (प्रतीकात्मक तस्वीर)
GI Tag: मध्य प्रदेश देश का एकमात्र राज्य है जहां हीरे का उत्खनन किया जाता है. पन्ना जिले में मुख्य रूप से हीरे पाए जाते हैं. इन हीरों की चमक और ज्यादा खास होने वाली है. हीरा नगरी के रूप में विश्व-विख्यात पन्ना जिले के हीरे को जीआई टैग मिलेगा. इसके लिए प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. जीआई टैग मिलने से पन्ना के हीरे की विशेष पहचान स्थापित होगी. NMDC द्वारा संचालित एक मात्र मेकेनाइज्ड खदान भी पन्ना में ही है.
हीरा व्यवसाय को मिलेगी नई पहचान
पन्ना जिला कलेक्टर संजय कुमार मिश्र के मार्गदर्शन में जिले में निकलने वाले हीरों को विश्व स्तर पर विशिष्ट पहचान दिलाने के लिए गत दिनों चेन्नई में जीआई रजिस्ट्री आवेदन किया गया था. जीआई टैग मिलने की पुष्टि होने पर अब पन्ना के हीरों की चमक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ेगी. पन्ना में हीरा व्यवसाय से जुड़े लोगों को इसका लाभ मिल सकेगा.
अगस्त में मिलेगा जीआई टैग
साल 2023 में पन्ना के हीरे के लिए आवेदन किया गया था. पन्ना खनिज कार्यालय ने बताया कि एक से दो दिनों के भीतर जीआई टैग के लिए लोगो भी भेजा जाएगा. शेष औपचारिकताएं अगस्त महीने में पूरी कर ली जाएंगी और जीआई टैग का सर्टिफिकेट भी मिल जाएगा.
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क्या होता है जीआई टैग?
जीआई टैग यानी ज्योग्राफिकल इंजिकेशन टैग, जिसे भौगोलिक संकेतक के रूप में जाना जाता है. ये एक ऐसा लेबल है जो किसी भौगोलिक क्षेत्र से संबंधित उत्पादों को प्रदान किया जा है. ये किसी उत्पाद की विशिष्टता और गुणवत्ता का पता चलता है. भारत का पहला जीआई टैग दार्जिलिंग की चाय को मिला था.
मध्य प्रदेश के इन उत्पादों को मिला है जीआई टैग
एमपी में चंदेरी साड़ी, रतलाम का सेव, मुरैना की गजक, गोंड पेटिंग्स, रीवा का सुंदरजा आम, महेश्वरी साड़ी, इंदौर के चमड़े के खिलौने, धार जिले का बाग प्रिंट, झाबुआ का कड़कनाथ मुर्गा, डिंडोरी की लोहशिल्प, उज्जैन के बटिक प्रिंट्स, ग्वालियर के हस्तनिर्मित कालीन, वारासिवनी की हैंडलूम साड़ी और जबलपुर के पत्थर शिल्प समेत कई उत्पाद शामिल हैं.