Janjatiya Gaurav Diwas पर PM मोदी ने मध्य प्रदेश को दी बड़ी सौगात, अब जनता जानेगी आदिवासी जननायकों की कहानी

Janjatiya Gaurav Diwas: जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर PM नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश को दो बड़ी सौगात दी हैं. उन्होंने छिंदवाड़ा में 'बादल भोई संग्रहालय' और जबलपुर में 'राजा शंकर शाह रघुनाथ शाह संग्रहालय' का वर्चुअली शुभारंभ किया. अब जनता आदिवासी जननायकों की कहानी को जान सकेगी.
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PM मोदी ने MP को दी बड़ी सौगात

Janjatiya Gaurav Diwas: PM नरेंद्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती और जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर MP की जनता को बड़ी सौगात दी है. उन्होंने छिंदवाड़ा में ‘बादल भोई संग्रहालय’ और जबलपुर में ‘राजा शंकर शाह रघुनाथ शाह संग्रहालय’ का वर्चुअली शुभारंभ किया.  इन दोनों संग्रहालय के जरिए आदिवासी जननायकों के संघर्ष और उनकी गाथाओं को संजोया जाएगा.

जबलपुर में 14 करोड़ के संग्रहालय का लोकार्पण

PM नरेंद्र मोदी ने ‘संस्कारधानी’ जबलपुर में जननायक राजा शंकर शाह कुंवर रघुनाथ शाह के जीवन पर आधारित संग्रहालय का वर्चुअल शुभारंभ किया. करीब 14 करोड़ रुपए की लागत से इस संग्रहालय का निर्माण कराया गया है. यहां आदिवासी जननायकों की जीवन की संघर्ष की कहानी और राजा शंकर शाह रघुनाथ शाह की जीवन को दर्शाया गया है.

अत्याधुनिक तकनीक का संग्राहलय

संग्रहालय को पूरी तरीके से अत्याधुनिक तकनीक से बनाया गया है. यहां एक गैलरी में राजा शंकर शाह रघुनाथ शाह पर एक फिल्म भी प्रदर्शित होगी. संग्रहालय बनाने का मकसद आदिवासी जननायकों के संघर्ष को आज की युवा पीढ़ी को दिखाना है, ताकि आज की युवा पीढ़ी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवन से प्रेरणा ले सके. इस मौके पर कैबिनेट मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि हमारे लिए ये गौरव की बात है कि आदिवासी जननायकों को आज केंद्र सरकार न केवल इतिहास के पन्नों में जगह दे रही है बल्कि उनकी स्मृतियों को भी आज की पीढ़ी के सामने ला रही है.

छिंदवाड़ा में बादल भोई संग्राहलय का लोकार्पण

PM नरेंद्र मोदी ने छिंदवाड़ा में 40.69 करोड़ रुपए की लागत से तैयार बादल भोई संग्राहलय का वर्चुअली लोकार्पण किया. बादल भोई राज आदिवासी संग्रहालय को जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को समर्पित किया गया है. यहां स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने वाले जनजातीय नायकों की भूमिकाओं को प्रदर्शित किया जाएगा.

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इन दोनों संग्रहालयों के बनने से आदिवासी समुदाय के लोगों में खुशी की लहर है. आदिवासी समाज के लोगों का कहना है कि निश्चित तौर पर संग्रहालय से उन आदिवासी जननायकों को भी आज की युवा पीढ़ी पहचान पाएगी, जिनको कभी इतिहास के पन्नों में जगह तक नहीं दी गई.

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