Shahdol: देशद्रोही वाले बयान पर बाबा बागेश्वर को कोर्ट का नोटिस, 20 मई को न्यायालय में पेश होना होगा

Baba Bageshwar: देशद्रोही वाले बयान पर शहडोल कोर्ट ने बाबा बागेश्वर को दिया नोटिस. 20 मई को पेश होने के लिए कहा. ये नोटिस प्रयागराज महाकुंभ (Prayagraj Maha kumbh) के समय दिए गए देशद्रोही वाले बयान को लेकर है. 15 मई को प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रे' सीताशरण यादव ने नोटिस जारी किया
Baba Bageshwar (File Photo)

बाबा बागेश्वर (File Photo)

Baba Bageshwar: शहडोल जिला न्यायालय (Shahdol District Court) ने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Pandit Dhirendra Krishna Shastri) को नोटिस जारी किया है. बाबा बागेश्वर (Baba Bageshwar) को 20 मई को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा गया है. ये नोटिस प्रयागराज महाकुंभ (Prayagraj Maha kumbh) के समय दिए गए देशद्रोही वाले बयान को लेकर है. 15 मई को प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रे’ सीताशरण यादव ने नोटिस जारी किया.

बाबा बागेश्वर ने क्या बयान दिया था?

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक महाकुंभ का आयोजन किया गया. इसमें साधु-संत और देश के साथ-साथ विदेशों से श्रद्धालु शामिल हुए. महाकुंभ में बाबा बागेश्वर भी शामिल हुए. उन्होंने कहा था कि हमारे जैसे देसी आदमी ने भी डुबकी लगाई है. जिनके अंदर आस्था नहीं है, उन्हें इसमें अव्यवस्था दिखती है. हज की यात्रा करने या कैंडल जलाने से गरीबी दूर नहीं होती है. लेकिन डुबकी लगाने से बीमारियां दूर होती हैं. बाबा ने सभी से इस पवित्र अवसर पर संगम आने का आग्रह किया और कहा कि हर व्यक्ति को यहां आना चाहिए. जो व्यक्ति नहीं आएगा, वह देशद्रोही कहलाएगा.

‘क्या डॉक्टर और सैनिक देशद्रोही हैं?’

बाबा बागेश्वर के बयान पर आपत्ति जताते हुए पूर्व शासकीय अधिवक्ता और अधिवक्ता संघ शहडोल के पूर्व अध्यक्ष संदीप कुमार तिवारी ने सोहागपुर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. उनका कहना है कि क्या सीमाओं की रक्षा में तैनात सैनिक, अस्पतालों में सेवा दे रहे डॉक्टर, कानून-व्यवस्था में लगे पुलिसकर्मी या न्यायपालिका के सदस्य जो ड्यूटी पर हैं. महाकुंभ में ना आ पाने के कारण देशद्रोही कहलाएंगे. यह सवाल सिर्फ व्यंग्यात्मक नहीं बल्कि लोकतंत्र और संविधान की आत्मा को झकझोर देने वाला है.

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पुलिस अधीक्षक तक पहुंचा मामला

पुलिस कार्रवाई न होने पर मामला पुलिस अधीक्षक तक पहुंचा, और अंततः 3 मार्च 2025 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, शहडोल के समक्ष आपराधिक परिवाद दाखिल किया गया. अब अदालत की सक्रियता ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की दिशा में बढ़ा दिया है. वकील का कहना है कि अगर सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियों के लिए एफआईआर हो सकती है,तो सार्वजनिक मंच से भड़काऊ बयान देने वाले पर कार्रवाई क्यों नहीं.

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