‘मां-बाप संस्कार नहीं दे पाते इसलिए लड़कियां…’, साध्वी प्रज्ञा का विवादित बयान, बोलीं – माताओं को मर्यादा सिखानी चाहिए

MP News: पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ने अनिरुद्धाचार्य महाराज से कहा कि आपने जो कहा, वह समाज की वर्तमान स्थिति व्यक्त की है. आपने अपने से बनाकर करके नहीं बोला है. मैं इसका समर्थन करती हूं. मैं ऐसा कहती हूं कि जब ऐसे परिदृश्य बढ़ने लगते हैं तो दुराचार बढ़ते हैं
Sadhvi Pragya gave a controversial statement on the dress of girls, supported story teller Aniruddhacharya Maharaj

पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ने लड़कियों की ड्रेस को लेकर दिया विवादित बयान, कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज का किया समर्थन

MP News: भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ने उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित गौरी गोपाल आश्रम में कथावचाक अनिरुद्धाचार्य महाराज से रविवार को मुलाकात की. दोनों के कई विषयों पर बात हुई. पूर्व सांसद ने अनिरुद्धाचार्य महाराज के लिव-इन वाले बयान का समर्थन किया है.

‘माता-पिता संस्कार दे नहीं पाते हैं’

पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ने अनिरुद्धाचार्य महाराज से कहा कि आपने जो कहा, वह समाज की वर्तमान स्थिति व्यक्त की है. आपने अपने से बनाकर करके नहीं बोला है. मैं इसका समर्थन करती हूं. मैं ऐसा कहती हूं कि जब ऐसे परिदृश्य बढ़ने लगते हैं तो दुराचार बढ़ते हैं. माता-पिता संस्कार दे नहीं पाते हैं, उनकी जो पाश्चात्य सोच है इसी कारण से लड़कियां स्कूल, कॉलेज जाती है तो अर्धनग्न रहती हैं.

‘माताओं को मर्यादा सिखानी चाहिए’

साध्वी प्रज्ञा ने आगे कहा कि मुझे लगता है कि माताओं को मर्यादा सिखानी चाहिए. बेटियों को सिखानी चाहिए तो बेटों को भी सिखानी चाहिए. आपको बेटों से पूछना चाहिए कि आप कितने बजे घर आ रहे हैं, तो बच्चियों से पूछना चाहिए. घर आने का समय एक अनुशासन होता है, तो उतने बजे घर आना चाहिए. उन नियमों का पालन करना चाहिए, जो हमारे घर में होते हैं. माता, बेटियों को नहीं सिखाएंगी और पिता बेटों को नहीं सिखानी चाहिए. लिवइन जैसी व्यवस्था सनातन में नहीं है. ये बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है.

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लिव-इन को बताया था कुत्तों का कल्चर

कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज ने कहा कि जिस तरह कुत्ता और कुतिया एक से अधिक जानवरों के साथ रहते है, इसी तरह स्त्री और पुरुष भी एक से अधिक लोगों का साथ पसंद करते हैं. ऐसे लोगों का स्तर केवल कुत्ते-बिल्लियों जैसा स्तर होता है. हमारे भारत में कुत्ते हजारों साल से लिविंग में ही रहते हैं. हमारे यहां लिव-इन कुत्तों का कल्चर है. उनके इस बयान के बाद कई लोगों ने विरोध किया था.

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