9 दिन, 8 पड़ाव और 160 KM… हिंदू एकता पदयात्रा के समाप्त होने पर Baba Bageshwar ने कही बड़ी बात
Baba Bageshwar: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिला स्थित बागेश्वर धाम से शुरू हुई हिंदू सनातन एकता पदयात्रा ओरछा धाम में आकर समाप्त हो गई. इस मौके पर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि अभी तो यह शुरुआत है, आगे चलकर और भी कई बड़ी यात्राएं चलने वाली हैं. हजारों की तादाद में लोगों को लेकर पैदल चले धीरेंद्र शास्त्री ने मंच से सभी को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि यात्रा में हर वर्ग ने उनका साथ दिया है. जात-पात को खत्म करने के लिए वह अब लोगों के बीच जाएंगे. आदिवासी क्षेत्रों में जाकर लोगों से मुलाकात करेंगे और जात-पात को खत्म करने के लिए जन जागरूकता फैलाएंगे.
रामभद्राचार्य ने की बाबा बागेश्वर की तारीफ
समापन के मौके पर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के गुरु रामभद्राचार्य समेत मथुरा के कई साधु-संत पहुंचे, जिन्होंने इस पदयात्रा की जमकर सराहना की. रामभद्राचार्य ने कहा कि देश में हिंदुओं को जागरूक करने के लिए यह यात्रा बहुत जरूरी है. अपने संबोधन में रामभद्राचार्य ने विपक्ष पर भी जमकर निशाना साधा. इसके साथ ही जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद को भी अपने निशाने पर लिया.
बाबा बागेश्वर बोले- ‘सर तन से जुदा’ वालों के आका सुन लें…
बाबा बागेश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगाने वालों पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि जो ‘सर तन से जुदा’ के नारे देते हैं, उनके आका सुन लें, जिस दिन हिंदू जाग गया, उनका देश भी हमारा होगा.
यात्रा के आखिरी दिन भावुक हुए श्रद्धालु
सनातन हिंदू पैदल पदयात्रा के समापन के मौके पर माहौल भावुक हो गया. इस दौरान मंच से पंडित धीरेंद्र शास्त्री अपने पदयात्रियों को संबोधित कर रहे थे, तो वहीं सुनने वाले पदयात्रियों की आंखों से आंसू बहने लगे. लोगों का कहना है कि यह उनके लिए बेहद भावुक कर देने वाला पल है, क्योंकि नौ दिनों तक साथ चलने के बाद अब धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कल से उन्हें नजर नहीं आएंगे. लेकिन वे संकल्प लेकर जा रहे हैं कि हर पदयात्रा में वे कंधे से कंधा मिलाकर जरूर चलेंगे.
9 दिन, 8 पड़वा और 160 KM की यात्रा
विभिन्न पंथों में बंटे सनातन हिंदुओं को एकजुट करना और जाति के भेद को खत्म करने के उद्देश्य ने पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने यह पदयात्रा शुरू की थी. 21 नवंबर को बागेश्वर धाम से शुरू हुई पदयात्रा 9 दिनों तक 160 KM का सफर तय कर 29 नवंबर को रामराजा सरकार की नगरी ओरछा में समाप्त हो गई. यात्रा के 8 पड़ाव थे, जहां रुक कर लोगों ने विश्राम किया.