इंदौर के कॉन्स्टेबल बने वर्दी वाले टीचर, 9 साल से पेड़ के नीचे गरीब बच्चों को पढ़ा रहे, नहीं लेते एक भी पैसा

Indore News: इंदौर में पुलिस कॉन्‍सटेबल संजय सांवरे अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद बीते 9 वर्षो से गरीब और जरूरतमंद बच्‍चों को नि:शुल्‍क पढ़ा रहे हैं. उनका मकसद गरीब और असहाय बच्‍चों का भविष्‍य बेहतर बनाना है.
Police Constable Sanjay Sanware

पुलिस कॉन्‍सटेबल संजय सांवरे

Indore News: इंदौर शहर का लालबाग हर रविवार को एक अनोखे नजारे का गवाह बनता है. यहां पेड़ के नीचे 60 से ज्यादा बच्चों की पाठशाला सजती है और उनके ‘मास्टर साहब’ होते हैं पुलिस कॉन्स्टेबल संजय सांवरे. पुलिस की ड्यूटी निभाने के साथ-साथ बीते 9 वर्षों से गरीब और जरूरतमंद बच्चों को नि:शुल्क पढ़ा रहे हैं. यही नहीं, कई बच्चों की स्कूल फीस और स्टेशनरी का खर्च भी खुद वहन करते हैं. इस नेक काम में अब उनके कुछ मित्र भी सहयोग करने लगे हैं.

संजय सांवरे पुलिस विभाग की क्यूआरटी टीम में कार्यरत हैं. उनका कहना है कि बचपन में उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. पढ़ाई के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा और कठिनाइयों के बीच पढ़ाई पूरी कर वे कॉन्स्टेबल बने. तभी उन्होंने ठान लिया था कि बस्ती के बच्चों को ऐसी मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़े. संजय ने बताया कि लोग सोचते हैं कि मदद सिर्फ पैसों से की जाती है, लेकिन यहां बच्चों को सबसे ज्यादा जरूरत शिक्षा की थी. इसलिए मैंने शिक्षा की अलख जगाने का संकल्प लिया.

हालांकि संजय 2018 में पुलिस विभाग में भर्ती हुए, लेकिन उन्होंने 2016 से ही बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया था. शुरुआत में उनकी क्लास में सिर्फ तीन बच्चे आते थे. धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ती गई और आज उनकी पाठशाला में 60 से ज्यादा बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.

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बच्चों का भविष्य संवारना ही मकसद

संजय सांवरे का उद्देश्य है कि बस्ती के गरीब और असहाय बच्चों का भविष्य बेहतर बनें. उनकी कक्षा में आने वाले अधिकतर बच्चों के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है. वे चाहते हैं कि यहां पढ़ने वाले बच्चे आगे चलकर अच्छी नौकरी करें या सरकारी सेवा में जाएं, ताकि उनका जीवन संवर सके. इसके लिए वे बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.

संजय बताते हैं कि वे ऐसे सभी बच्चों तक पहुंचना चाहते हैं, जिनमें पढ़ने की इच्छा है और जो देश के लिए कुछ करना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने और उनकी टीम ने ‘ऑपरेशन स्माइल’ के नाम से यह पहल शुरू की है.

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