आजादी का मुहूर्त उज्जैन के पंडित सूर्यनारायण व्यास ने निकाला था, दो तारीखों में से 15 अगस्त को चुना गया
भारत की आजादी का मूहर्त का चौघड़िया पंडित सूर्यनारायण व्यास ने तैयार किया था.
Ujjain News: देश 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी में है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस चुनने के पीछे केवल राजनीतिक कारण नहीं थे, बल्कि ज्योतिषीय गणना और शुभ मुहूर्त का गहरा संबंध था. इस ऐतिहासिक तारीख का निर्धारण उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषी, स्वतंत्रता सेनानी और लेखक पद्मभूषण पंडित सूर्यनारायण व्यास ने किया था.
कैसे तय हुआ 15 अगस्त का दिन
साल 1946 में यह तय हो गया था कि देश को जल्द ही आजादी मिलने वाली है. पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री और डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति बनने वाले थे. डॉ. प्रसाद ज्योतिष पर गहरा विश्वास रखते थे. उन्होंने अपने विश्वस्त गोस्वामी गणेश दत्त महाराज के माध्यम से पंडित व्यास को दिल्ली बुलवाया.
ब्रिटिश हुकूमत ने आजादी के लिए दो संभावित तारीखें दीं- 14 अगस्त और 15 अगस्त 1947. पंडित व्यास ने पंचांग और ग्रह-नक्षत्रों का अध्ययन कर बताया कि 14 अगस्त को लग्न अस्थिर रहेगा. जो शुभ नहीं है. जबकि 15 अगस्त को स्थिर लग्न रहेगा, जो राष्ट्र के लिए शुभ माना जाता है. इस प्रकार 15 अगस्त को भारत के पहले स्वतंत्रता दिवस की तारीख तय कर दी गई.
आधी रात का पहला ध्वजारोहण
पंडित व्यास के पुत्र और दूरदर्शन के पूर्व महानिदेशक राजशेखर व्यास ने बताया कि पिताजी ने मुहूर्त के अनुसार सलाह दी थी कि आजादी की घड़ी 15 अगस्त की आधी रात को आएगी, इसलिए उसी समय ध्वजारोहण होना चाहिए, जबकि औपचारिक कार्यक्रम सुबह हों. पंडित नेहरू ने यह सुझाव मानते हुए आधी रात को लाल किले पर तिरंगा फहराया. इसके साथ ही पंडित व्यास की सलाह पर संसद भवन की रात में सफाई और शुद्धिकरण भी कराया गया.
1930 में ही कर दी थी आजादी की भविष्यवाणी
पंडित सूर्यनारायण व्यास का जन्म 1902 में हुआ था और 1921 से वे स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हो गए थे. एक ज्योतिषी और लेखक के रूप में उन्होंने 1930 में ही भविष्यवाणी कर दी थी कि भारत अगस्त 1947 में आजाद होगा और डॉ. राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति बनेंगे. बाद में 1952 में जब डॉ. प्रसाद का कार्यकाल समाप्त हुआ, तो पंडित व्यास ने कहा कि वे दोबारा राष्ट्रपति बनेंगे – और यह भविष्यवाणी भी सच हुई, डॉ. प्रसाद ने स्वयं पत्र लिखकर इसकी पुष्टि की थी.
पाकिस्तान के लिए चेतावनी
आजादी और बंटवारे के समय पंडित व्यास ने पाकिस्तान की तारीख पर भी विचार किया. उन्होंने बताया कि 14 अगस्त 1947 को ग्रह-स्थिति अशुभ है – उस दिन मेष लग्न और गुरु शत्रु स्थान में है, जो देश को अस्थिर रखेगा. पंडित व्यास ने चेताया कि अगर पाकिस्तान इस दिन बना तो वह राजनीतिक अस्थिरता से जूझता रहेगा. लेकिन मोहम्मद अली जिन्ना ने ज्योतिषीय गणना को नजरअंदाज कर 14 अगस्त का दिन चुन लिया.
रुचिकर बात यह है कि जिन्ना की पत्नी रतनबाई, पंडित व्यास पर विश्वास करती थीं, लेकिन 1929 में उनका निधन हो गया, अन्यथा शायद तारीख बदल सकती थी.