Singrauli: ‘पहले झाड़ू लगाओ फिर पढ़ाई होगी’, स्कूल में बच्चों से बोले टीचर, Video वायरल
सिंगरौली में बच्चों से स्कूल में झाड़ू लगवाया जा रहा है.
Singrauli News: जिन बच्चों के हाथों में किताब और कलम होना चाहिए. वहां पर शिक्षकों ने पकड़ा दिए झाड़ू. शिक्षा के मंदिर में बच्चों से झाड़ू लगवाने का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर हो रहा है. वीडियो वायरल होने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी खुद मौके पर निरीक्षण कर कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं. अब बात विद्यालय से नदारत रहते हैं. लघाडोल का हाईस्कूल विद्यालय शिक्षक एवं प्राचार्य भगवान भरोसे चल रहा है.
‘शिक्षा के मंदिर’ में बच्चों को झाड़ू थमा दिया
मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले के लंघाडोल इलाके में शिक्षा व्यवस्था की हकीकत को उजागर करती हुई एक बेहद चिंताजनक और शर्मनाक कर देने वाली तस्वीर सामने आई है. जिस स्थान को ‘शिक्षा का मंदिर’ कहा जाता है, वहां बच्चों के हाथों में किताबों और कलम के बजाय झाड़ू थमा दिया गया है. यह दृश्य न केवल शिक्षा के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि बच्चों के भविष्य के साथ भी खुला खिलवाड़ है. जहां सरकारी स्कूलों में नौनिहालों को शिक्षा देने के बजाय उनसे स्कूल की सफाई करवाई जा रही है.
मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले के लंघाडोल इलाके में शिक्षा व्यवस्था की हकीकत को उजागर करती हुई एक बेहद चिंताजनक और शर्मनाक कर देने वाली तस्वीर सामने आई है, जहां बच्चों के हाथों में किताबों और कलम के बजाय झाड़ू थमा दिया गया है.#MadhyaPradesh #Singrauli #ViralVideo #MPNews pic.twitter.com/U5Sl0BEWim
— Vistaar News (@VistaarNews) August 1, 2025
स्कूल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल
स्कूल परिसर में झाड़ू लगाते मासूम बच्चों की तस्वीरें और उनके बयानों ने स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. जब बच्चों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि अक्सर शिक्षक स्कूल में मौजूद नहीं रहते और जब आते भी हैं तो उनसे साफ-सफाई करवाई जाती है. एक छात्रा ने बताया, ‘सर कहते हैं कि पहले झाड़ू लगाओ फिर पढ़ाई होगी, लेकिन पढ़ाई तो कभी होती ही नहीं.’
स्थानीय ग्रामीण भी इस स्थिति से बेहद नाराज हैं. एक ग्रामीण ने कहा, ‘हम अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं ताकि वे पढ़-लिखकर कुछ बन सकें, लेकिन यहां तो शिक्षक ही गायब हैं. हमारे बच्चों से झाड़ू लगवाना, साफ-सफाई करवाना आम हो गया है. यह सरकार के ‘शिक्षा सुधार’ के दावों की सच्चाई है.’
ग्रामीणों का कहना है कि इस स्थिति की शिकायत कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों से की जा चुकी है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. वे अब इस मामले को जिला प्रशासन और मीडिया के माध्यम से राज्य स्तर तक उठाने की योजना बना रहे हैं.
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