क्या है गौचर रोग? बड़वानी का 5 साल का मासूम इस गंभीर बीमारी से जूझ रहा, हर महीने इंजेक्शन पर 8 लाख तक का खर्च
बड़वानी के 5 साल के मोहम्मद बिलाल को गंभीर गौचर रोग
Gaucher Disease: (बड़वानी से सचिन राठौड़ की रिपोर्ट) मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के तलवाड़ा डेब गांव में 5 वर्षीय मोहम्मद बिलाल गौचर रोग (Gaucher Disease) नामक एक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी से जूझ रहा है. यह बीमारी लाखों बच्चों में से किसी एक को होती है. बिलाल के पिता शरीफ मंसूरी रजाई-गादी (रजाई-गद्दे) भरने का काम करते हैं, जिनकी दैनिक आय 300 से 400 रुपये है. उनकी मां नूरजहां मंसूरी गृहिणी हैं.
क्यों खतरनाक है गौचर रोग?
मेडिकल एक्सपर्ट और डॉक्टर्स के मुताबिक, गौचर रोग में बच्चे के लीवर, तिल्ली और दिल का आकार बढ़ने लगता है, जिससे पेट फूलता है. समय पर इलाज न मिलने पर यह जानलेवा हो सकता है. इस बीमारी के इलाज के लिए एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी की आवश्यकता होती है, जिसकी दवा भारत में उपलब्ध नहीं है. बिलाल को लगने वाला इंजेक्शन अमेरिका से मंगवाया जाता है.

इंजेक्शन पर हर महीने 8 लाख तक का खर्च
दिल्ली एम्स के डॉक्टर्स ने बिलाल के इलाज पर 20 लाख रुपये से अधिक का खर्च बताया है. वहीं, हर महीने लगने वाले इंजेक्शन को अमेरिका से मंगवाने में लगभग 7 लाख 50 हजार से 8 लाख रुपये का खर्च आता है, जो परिवार की आर्थिक पहुंच से बाहर है.
बिलाल की मां नूरजहां मंसूरी ने बताया कि यह बीमारी उनके परिवार के लिए नई नहीं है. इसी बीमारी के कारण उनकी बेटी मिस्बाह की भी मौत हो चुकी है. दुखद बात यह है कि मिस्बाह के इलाज के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से आर्थिक सहायता की मंजूरी का पत्र उनकी बेटी की मौत के दो दिन बाद मिला था.
साल 2021 में, बिलाल के इलाज के संबंध में मां नूरजहां, पिता शरीफ मंसूरी, दादी वाहीदा मंसूरी, तत्कालीन चाइल्ड लाइन परियोजना समन्वयक संजय आर्य और विधिक सेवा पैरालीगल वालंटियर सतीश परिहार ने तत्कालीन कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा और सीएमएचओ से मुलाकात की थी. हालांकि, तब भी कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका था.
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बड़वानी जिले का ये दूसरा मामला
सामाजिक कार्यकर्ता सतीश परिहार ने बताया कि यह एक आनुवंशिक और बेहद दुर्लभ बीमारी है और बड़वानी जिले में यह दूसरा ऐसा मामला है. कुछ समय तक एनजीओ और समाजसेवियों की मदद से बिलाल का इलाज चलता रहा लेकिन अब वह सहायता भी धीरे-धीरे बंद होती जा रही है, जिससे परिवार के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है.
बिलाल के माता-पिता ने जनप्रतिनिधियों से लेकर जिला प्रशासन तक कई बार आवेदन और निवेदन किया लेकिन अब तक कोई स्थायी सरकारी सहायता नहीं मिल पायी है. परिवार का कहना है कि अगर समय पर दवा नहीं मिलती है, तो वे अपने बेटे को भी खो सकते हैं.