‘साड्डा हक एथे रख…’, महाकुंभ में देवकीनंदन ठाकुर ने बुलाई धर्म संसद, अखाड़ों ने किया किनारा

Maha Kumbh 2025: धर्म संसद सनातन बोर्ड के गठन के लिए कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने बुलाई थी. जिसमें कई साधु-संत शामिल हुए. हालांकि इस धर्म संसद से अखाड़ों ने किनारा कर लिया है. 13 प्रमुख अखाड़े में से ज्यादातर इसमें शामिल नहीं हुए.
Devkinandan Thakur

धर्म संसद सनातन बोर्ड के गठन के लिए कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने बुलाई

Maha Kumbh 2025: सोमवार को प्रयागराज महाकुंभ में धर्म संसद का आयोजन किया गया. यह धर्म संसद सनातन बोर्ड के गठन के लिए कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने बुलाई थी. जिसमें कई साधु-संत शामिल हुए. हालांकि इस धर्म संसद से अखाड़ों ने किनारा कर लिया है. 13 प्रमुख अखाड़े में से ज्यादातर इसमें शामिल नहीं हुए. खुद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज भी नहीं पहुंचे.

कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने कहा- लोगों में चर्चाएं थीं कि मैं सनातन बोर्ड का अध्यक्ष बनना चाहता हूं. इसलिए ये सब कर रहा हूं. आज मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मुझे कोई पद प्रतिष्ठा नहीं चाहिए. मैं शपथ खाकर कहता हूं कि मुझे कोई पद की इच्छा नहीं थी. मैं तो बस सनातन की रक्षा चाहता हूं. देवकीनंदन ठाकुर ने एक शपथ पत्र भी जगद्गुरु श्रीजी महाराज और जगद्गुरु विद्या भास्कर को सौंपा, जिसमें उन्होंने सनातन बोर्ड में कोई भी पद नहीं लेने की बात दोहराई है.

धर्म संसद के दौरान देवकीनंदन ने कहा- ‘वक़्फ़ बोर्ड कहता है कि प्रयागराज की कुंभ भूमि हमारी है. किसी दिन वक़्फ़ बोर्ड कह देगा कि पूरा भारत हमारा है तब कहां जाओगे. उन्होंने आगे कहा कि बांग्लादेश में हिन्दू बोर्ड नहीं, पाकिस्ताम में हिन्दू बोर्ड नहीं तो हिन्दुस्तान में वक़्फ़ बोर्ड क्या कर रहा है. बहुत सह लिया, हिन्दू हक़ ले कर रहेंगे. साड्डा हक एथे रख.. साड्डा हक एथे रख.’

देवकीनंदन ठाकुर ने ये भी कहा कि 2013 में कुंभ कि व्यवस्था उन्हें दी गई जो 15 मिनट का चैलेंज देते थे. अगर देखना चाहते हो तो ये भी अरमान पूरा करके देख लो. हमारे तो नागा साधु ही काफी हैं, मिलिट्री की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.

वहीं देवकीनंदन ने धर्म संसद में यह मुद्दा उठाया कि मंदिर सरकारी संरक्षण से मुक्त हो. भगवान का भोग DM तय करता है, जबकि यह अधिकार आचार्यओं का है. देवकीनंदन ने कहा कि राम मंदिर तो छोटी सी झांकी है, मथुरा का पूरा फंक्शन बाकी है.

इधर, धर्म संसद में नहीं जाने को लेकर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि भीड़ भाड़ की वजह से अखाड़ा परिषद ने धर्म संसद से दूरी बनाई है. सूत्रों के मुताबिक कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर के धर्म संसद बुलाए जाने पर पहले से ही संतो में मतभेद था. अब अखाड़ा परिषद ने सीधे तौर पर धर्म संसद से दूरी बना ली है. सनातन बोर्ड के मुद्दे पर देवकीनंदन ठाकुर ने धर्म संसद बुलाई है.

इस कार्यक्रम में श्री श्री रविशंकर को भी आमंत्रित किया गया था. हालांकि वह भी नहीं पहुंचे. उन्होंने इस संबंध में कहा कि ‘मुझे देवकीनंदन ठाकुरजी से निमंत्रण मिला है. उन्होंने कुछ मुद्दे उठाए हैं. मैं कुछ कारणों से इस कार्यक्रम (धर्म संसद) में शामिल नहीं हो पा रहा हूं. लेकिन हमारी शुभकामनाएँ आप सभी के साथ हैं. सनातन धर्म को अक्षुण्ण रखने के लिए संतों ने अपना योगदान दिया है. केवल भारत में ही नहीं, बल्कि भारत के बाहर भी सनातन के अनुयायियों के बारे में सोचना महत्वपूर्ण हो गया है. हम ऐसा करना जारी रखेंगे.’

ज़रूर पढ़ें