Chhath Puja 2024: अस्ताचलगामी सूर्य को दिया गया अर्घ्य, देशभर के छठ घाटों पर भारी भीड़

सायंकाल में सूर्य देव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. इसलिए छठ पूजा में संध्या अर्घ्य के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्पित कर उनकी उपासना की जाती है.

संध्या अर्घ्य

Chhath Puja 2024: आज देशभर में छठ पर्व के तीसरा दिन पर संध्या अर्घ्य दिया गया. यह पर्व मुख्य रूप से सूर्य उपासना के लिए प्रसिद्ध है, और इसमें पहले भगवान सूर्य और छठी मैय्या की  पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव की उपासना करने से संतान प्राप्ति, संतान की रक्षा, सुख, और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

इस पूजा के लिए लोग विशेष प्रसाद जैसे ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि बनाते हैं और बांस की टोकरी में सजाकर ले जाते हैं. साथ ही, एक सूप में नारियल और पांच प्रकार के फल भी रखे जाते हैं, जो छठ पूजा के प्रसाद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं.

कैसे देते हैं सूर्य को अर्घ्य

सूर्यास्त से थोड़ी देर पहले, व्रती महिलाएं अपने पूरे परिवार के साथ नदी या तालाब के किनारे छठ घाट पर जाती हैं. रास्ते में महिलाएं पारंपरिक गीत गाते हुए घाट तक जाती हैं. घाट पर पहुंचकर वे सूर्य देव की ओर मुख करके डूबते हुए सूर्य को दूध और जल से अर्घ्य अर्पित करती हैं. अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाएं पांच बार सूर्य देव की परिक्रमा करती हैं और फिर पूजा समाप्त कर अपने घर लौटती हैं. इसके बाद रात्रि में महिलाएं छठ माता के गीत गाते हुए पूजा को पूर्ण करती हैं.

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डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व

सायंकाल में सूर्य देव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. इसलिए छठ पूजा में संध्या अर्घ्य के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्पित कर उनकी उपासना की जाती है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्यक्ति कई प्रकार की मुसीबतों से छुटकारा पा सकता है. इसके अलावा, स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं भी इस पूजा के प्रभाव से दूर होती हैं.

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