Ganesh Visarjan 2025: पांचवें दिन से अनंत चतुर्दशी तक, जानें गणेश विसर्जन के शुभ मुहूर्त
गणेश विसर्जन 2025 की तिथि
Ganesh Visarjan Muhurat 2025: गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तक बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दौरान भक्त गणपति बप्पा की स्थापना कर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं और फिर शुभ मुहूर्त में उनकी मूर्ति का विसर्जन करते हैं. इस साल गणेश विसर्जन का पर्व 31 अगस्त से 6 सितंबर तक मनाया जाएगा.
महत्व और परंपरा
गणेश चतुर्थी का उत्सव भगवान गणेश के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है, जो विघ्नहर्ता और सुख-समृद्धि के दाता माने जाते हैं. यह पर्व 10 दिनों तक चलता है, और इसका समापन अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन के साथ होता है. कुछ भक्त परंपरा के मुताबिक, 1 या 3 या 5 या 7वें दिन भी विसर्जन करते हैं. गणपति बप्पा को जल तत्व का अधिपति माना जाता है, इसलिए उनकी मूर्ति का विसर्जन जल में करना शुभ माना जाता है. यह प्रक्रिया भक्ति, सामाजिक एकता और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक है.
पांचवें दिन का शुभ मुहूर्त
पांचवें दिन यानी 1 सितंबर को गणेश विसर्जन उन भक्तों के लिए उपयुक्त है जो 10 दिनों तक मूर्ति को घर में नहीं रख सकते. इस दिन विसर्जन के लिए ये शुभ मुहूर्त हैं:
- प्रातः मुहूर्त (शुभ): सुबह 7:34 बजे से दोपहर 12:21 बजे तक
- अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ): दोपहर 1:57 बजे से 3:32 बजे तक
- सायाह्न मुहूर्त (शुभ, अमृत): शाम 6:44 बजे से रात 10:57 बजे तक
इन मुहूर्तों में गणपति की पूजा-अर्चना के बाद विसर्जन करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं.
सातवें दिन का शुभ मुहूर्त
2 सितंबर यानी सातवें दिन का विसर्जन भी कई भक्तों द्वारा किया जाता है. इस दिन के लिए शुभ मुहूर्त हैं:
- प्रातः मुहूर्त (शुभ): सुबह 9:10 बजे से दोपहर 1:56 बजे तक
- अपराह्न मुहूर्त (शुभ): दोपहर 3:31 बजे से शाम 5:06 बजे तक
- रात्रि मुहूर्त (लाभ): रात 8:06 बजे से 9:31 बजे तक
विसर्जन से पहले गणेश जी को मोदक, लड्डू और दूर्वा अर्पित करें और उनकी आरती करें.
अनंत चतुर्दशी पर विसर्जन
6 सितंबर यानी अनंत चतुर्दशी का दिन गणेश विसर्जन के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन भक्त ढोल-नगाड़ों के साथ गणपति बप्पा को भावपूर्ण विदाई देते हैं. 2025 में अनंत चतुर्दशी की तिथि 6 सितंबर को सुबह 6:02 बजे से शुरू होकर 7 सितंबर को रात 1:41 बजे तक रहेगी.
शुभ मुहूर्त
- प्रातः मुहूर्त (शुभ): सुबह 7:36 बजे से 9:10 बजे तक
- अपराह्न मुहूर्त (शुभ): दोपहर 12:19 बजे से शाम 5:02 बजे तक
इस दिन सूर्यास्त से पहले विसर्जन करना शुभ माना जाता है, क्योंकि ग्रंथों के अनुसार सूर्यास्त के बाद मूर्ति विसर्जन नहीं किया जाता.
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गणेश विसर्जन की पूजा विधि
- गणेश विसर्जन से पहले विधि-विधान के साथ पूजा करना आवश्यक है.
- विसर्जन के बाद मूर्ति के जल को किसी पवित्र नदी या गमले में डालें और उसमें पौधा लगाएं.
- स्नान और पूजा स्थल की सफाई: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा स्थल को स्वच्छ करें.
- गणपति का जलाभिषेक: गणेश जी की मूर्ति पर गंगाजल या शुद्ध जल से अभिषेक करें.
- चंदन और तिलक: पीले चंदन और कुमकुम से तिलक करें.
- भोग: मोदक, लड्डू, नारियल और दूर्वा अर्पित करें.
- आरती और मंत्र जाप: गणेश जी की आरती करें और मंत्र जैसे “ॐ गण गणपतये नमः” का जाप करें.
- विसर्जन: एक स्वच्छ टब, गमले या नदी में मूर्ति को धीरे-धीरे विसर्जित करें. विसर्जन के समय ‘गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठ स्वस्थाने परमेश्वर’ मंत्र का जाप करें.
- प्रार्थना: बप्पा से अगले वर्ष जल्दी आने और आशीर्वाद देने की प्रार्थना करें.