26/11 हमले के दौरान होटल ताज में फंसे थे गौतम अडानी, मौत को देखा था करीब से
Gautam Adani: पाकिस्तान में ट्रेंड और अत्याधुनिक हथियारों से लैस लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकी बोट के सहारे समुद्र के रास्ते मुंबई में दाखिल हुए थे और कई जगहों पर अपनी दशहत और क्रूरता के निशान छोड़े थे. उन्होंने भीड़-भाड़ वाली जगहों और प्रतिष्ठित इमारतों को निशाना बनाया था. उनका यह हमला और उन्हें ढेर करने की जद्दोजहद चार दिनों तक चली थी. इस हमले के दौरान होटल ताज में कई लोग फंसे थे, जिसमें देश के दिग्गज उद्योगपति गौतम अडानी भी थे. अडानी ने एक इंटरव्यू में बताया कि कितना भयावह मंजर था उस वक्त और कैसे वह वहां से सुरक्षित निकलने में सफल रहे.
अडानी ने उस दिन की पूरी कहानी बताई है. उन्होंने उस दिन का जिक्र करते हुए कहा था कि 26 नवंबर 2008 के मुंबई हमले में उन्होंने मौत को करीब से देखा था. 16 साल पहले 26/11 के हमले में ताज होटल में हुए आतंकी हमले के वक्त अडानी की जान भी जा सकती थी. अडानी ने कहा कि उन्होंने आतंकियों को अपनी आंखों से देखा था. आतंकियों को फायरिंग करते हुए भी उन्होंने देखा था.
गौतम ने कहा – 26 नवंबर, 2008 एक बिजनस मीटिंग के लिए मैं ताज होटल पहुंचा था. दुबई पोर्ट के सीईओ मोहम्मद शराफ के साथ मेरी मीटिंग थी. मीटिंग खत्म कर हमने होटल के डिनर का बिल भी पे कर दिया था. हालांकि, हमारे क्लाइंट की और भी चर्चा करने की इच्छा थी, इसके बाद हम कॉफी की मेज पर बैठ गए. ठीक उसी समय आतंकवादियों ने हमला कर दिया.
गौतम अडानी ने इस बारे में जिक्र करते हुए आगे बताया- मैं कभी-कभी सोचता हूं कि अगर बिल पे करके मैं लॉबी में होता तो फंस जाता. लेकिन हम वहां पर बैठ गए तो रेस्टोरेंट के अंदर ही रहे. मैं आज बोल सकता हूं कि ताज ग्रुप के हर कर्मचारी ने मैनेजर से लेकर वेटर तक ने जिस तरह से काम किया, ऐसा डेडिकेशन बहुत कम ऑर्गेनाइजेशन में देखने को मिलता है.
मैं पूरी रात वहां पर फंसा हुआ था. ताज होटल के कर्मचारी मुझे ऊपर के कमरे में लेकर गए थे. मैं पूरे रात वहीं पर मौजूद था. सुबह में करीब सात बजे जब कमांडो आए और उनको मालूम था कि यहां पर काफी लोग फंसे हुए हैं, तो कमांडो ने वहां से पूरा प्रोटेक्शन देकर मुझे होटल से बाहर निकाला. सुबह के करीब 7.30 आठ बजे के करीब मैं बाहर निकला था.
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इन आतंकियों ने मुंबई के होटल ओबेरॉय ट्राइडेंट और ताज, छत्रपति शिवाजी रेलवे स्टेशन, नरीमन हाउस यहूदी केंद्र, लियोपोल्ड कैफे और कामा हॉस्पिटल को निशाना बनाया था. इस हमले के दौरान मुंबई पुलिस के शहीद एएसआई तुकाराम ओंबले की बहादुरी के कारण ही आतंकी अजमल कसाब जिंदा पकड़ा जा सका था. चार साल के बाद अजमल कसाब को फांसी दे दी गई थी.
मुंबई को दहलाने की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी और पाकिस्तान से आए आतंकियों ने ही भारत की सरजमीन को यहां के लोगों के खून से लाल किया था. लेकिन आज भी पाकिस्तान इस कायराना हरकत में अपना हाथ होने से इनकार करता रहा है.