Shani Dev Puja: शनि देव की खुली आंखों वाली मूर्ति की पूजा करने से डरते हैं लोग! जानिए इसके पीछे की धार्मिक मान्‍यता

Shani Dev: न्‍याय, कर्म और दंड के देवता के रूप में भगवान शनि का स्‍थान होने पर शनि देव की पूजा करने के लिए कई विशेष नियम भी बताए गए हैं.
Shani Dev

शनि देव (सांकेतिक तस्‍वीर)

Shani Dev Puja: हिंदू धर्म में शनि देव को न्‍याय, कर्म और दंड का देवता कहा गया है. इंसान अपने जीवन में शनि के प्रकोप को कम करने के लिए भगवान शनि की पूजा-अर्चना करता है. न्‍याय, कर्म और दंड के देवता के रूप में भगवान शनि का स्‍थान होने पर शनि देव की पूजा करने के लिए कई विशेष नियम भी बताए गए हैं, जिसका पालन शनि पूजा के दौरान करना चाहिए. शनि देव की पूजा में एक बड़ा नियम उनकी खुली आंखों वाली प्रतिमा के दर्शन और पूजा के लिए भी बताया गया है.

हमेशा देखा जाता है कि शनि देव की खुली आंखों वाली प्रतिमाओं की पूजा करने पर लोगाें के अंदर डर और संकोच का भाव बना रहता है. शनि देव की खुली आंखो वाली मूर्ति में पूजा करने से पहले इंसान के मन में संदेह, भय और बचकर चलने वाली मान्‍यताएं अधिकांश रूप से चलती है और काफी प्रचलित भी होती है. लेकिन इसके पीछे क्‍या कारण होता है ज्‍योतिष मान्‍यता क्‍या कहती है आइए जानते हैं.

आखिर क्‍यों नहीं देखना चाहिए शनि देव की आंखें

ज्योतिष शास्‍त्र के मुताबिक, शनि देव का स्‍वरूप न्‍यायप्रिय, कठोर और टेढ़ी दृष्टि‍ वाला माना जाता है. शनि की दृष्टि कर्मफल का अधिकार रखती है और इसका सीधा संबंध व्‍यक्ति के सभी अच्‍छे-बुरे कर्मों पर आधारित होता है. यही कारण है कि शनि देव की मूर्ति में उनकी आंखें पूर्ण रूप से खुली हुई दिखाई देती हैं. शनि देव की खुली आंखों से यही संकेत जाता है कि वे हर समय सभी जीवों के अच्‍छे और बुरे कर्माें पर अपनी दृष्टि बनाए रखते हैं. मान्‍यता है कि शनि देव की नजर जिस जीव पर पड़ती है, उसे अपने कर्माें का फल अवश्‍य ही भोगना पड़ता है. यही सबसे बड़ा कारण है कि, पूजा करते समय लोग शनि देव की आंखों में नहीं देखते और ज्योतिष शास्‍त्रों में भी इसके लिए मना किया जाता है.

ये भी पढे़ंं- 30 दिसंबर को है साल की आखिरी पौष पुत्रदा एकादशी, इन चीजों के दान से करें परहेज

शनि देव की किस मूर्ति की करें पूजा

धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार, शनि देव की शिला में पूजा करना सबसे उत्तम माना जाता है. आमतौर पर देखा जाता है कि सभी शनि मंदिरों और शनि धामों में शनि की मू‍र्ति के साथ ही एक शिला भी मौजूद होती है. कई लोग शनि की शिला में ही पूजा करते हैं. हालांकि किसी मंदिर में शनि देव की शिला न हो तो आप शनि की ऐसी मूर्ति की पूजा करें, जिसमें शनि देव की आंखें बंद हों या फिर पूजा करते समय शनि देव की आंखों में नहीं देखें.

(डिस्क्लेमर: यह खबर धार्मिक मान्यताओं, ज्योतिष शास्त्र और पंचांग आधारित जानकारी पर लिखी गई है. इसका उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी देना है. विस्तार न्यूज किसी भी ज्योतिषीय दावे की पुष्टि नहीं करता है.)

ज़रूर पढ़ें