Chaitra Navratri 2025: नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कुष्मांडा की पूजा, जानें कैसे करें पूजा और क्या लगाएं भोग
मां कुष्मांडा
Chaitra Navratri 2025: आज चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है. आज मां दुर्गा के चौथे स्वरूप की पूजा की जाती है. इसका मतलना ये हुआ कि आज मां दुर्गा के कुष्मांडा रूप की पूजा की जाती है. इस दिन विधि-विधान से मां दुर्गा की आराधना होती है. भक्त उन्हें भोग में मिठाई, फल और मालपुआ अर्पित करते हैं.
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, मां कुष्मांडा की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. अगर आपके किसी भी काम में कोई भी बाधा आ रही हो तो मां कुष्मांडा की पूजा करने से वो दूर हो जाती है. देवी पुराण के मुताबिक, विद्यार्थियों को नवरात्रि में मां कुष्मांडा की पूजा अवश्य करनी चाहिए. क्योंकि इससे विद्यार्थियों की बुद्धि का विकास होता है.
कैसा है मां कुष्मांडा का स्वरूप?
मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की बात करें तो उनकी आठ भुजाएं हैं. जिसमें दिव्य शक्तियां हैं. उन्हें परमेश्वरी का रूप माना जाता है. वह शेर पर सवार होती हैं. उनकी आठो भुजाओं में अस्त्र हैं. इन भुजाओं में उन्होंने कमंडल, कलश, कमल और सुदर्शन चक्र पकड़ा हुआ है. मां का यह रूप हमें जीवन शक्ति प्रदान करने वाला माना गया है. मां का यह रूप हमें जीने की शक्ति देता है. मां कुष्मांडा का रूप बहुत ही दिव्य है. यह हमें शक्ति और प्रेरणा देता है.
मां कुष्मांडा की पूजा करने से सभी काम पूरे होते हैं और जिन काम में रुकावट आती है, वे भी दूर हो जाते हैं. मां कुष्मांडा की पूजा करने से भक्तों को सुख और सौभाग्य मिलता है.
क्यों पड़ा मां का नाम कुष्मांडा?
देवी भागवत पुराण के मुताबिक, मां कुष्मांडा ने अपनी हल्की मुस्कान से ब्रह्मांड बनाया था. इसलिए उन्हें कुष्मांडा देवी कहा जाता है. सृष्टि के आरंभ में अंधकार था. जिसे मां ने अपनी हंसी से दूर किया था. उनमें सूर्य की गर्मी सहने की शक्ति दी. इसलिए, उनकी पूजा करने से भक्तों को शक्ति और ऊर्जा मिलती है.
जानें पूजा विधि
आज सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. मां कुष्मांडा के व्रत का संकल्प लें. सबसे पहले गंगाजल से पूजा के स्थान को पवित्र करें और फिर लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं. उस पर मां की प्रतिमा स्थापित करें और मां कुष्मांडा का ध्यान करें. पूजा में पीले वस्त्र, फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप, नैवेद्य और अक्षत अर्पित करें. सारी सामग्री अर्पित करने के बाद मां की आरती करें और भोग लगाएं. अंत में क्षमा याचना करें और ध्यान लगाकर दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें.
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क्या लगाए भोग?
मां कुष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं. मां कुष्मांडा की पूजा में पीले रंग का केसर वाला पेठा रखना चाहिए. मां को उसी का भोग लगाएं. उसे ही प्रसाद के रूप में बांटना चाहिए. इसके अलावा मालपुआ और बताशे के भी भोग लगाए जा सकते हैं.