2030 के कॉमनवेल्थ गेम्स की बिडिंग करेगा भारत, मोदी सरकार ने दी मंजूरी

अगर भारत 2030 के कॉमनवेल्थ गेम्स की मेज़बानी हासिल कर लेता है, तो यह सिर्फ एक खेल आयोजन नहीं होगा, बल्कि देश के लिए एक बड़ा आर्थिक और सामाजिक अवसर भी होगा.
Commonwealth Games 2030 Bid

प्रतीकात्मक तस्वीर

Commonwealth Games 2030 Bid: दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के 20 साल बाद भारत एक बार फिर इस बड़े अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन की मेज़बानी करने का सपना देख रहा है. केंद्र सरकार ने 2030 के कॉमनवेल्थ गेम्स की मेज़बानी के लिए आधिकारिक तौर पर बोली लगाने को मंजूरी दे दी है. यह फैसला भारत को वैश्विक खेल मानचित्र पर एक बार फिर मज़बूती से स्थापित करेगा.

सरकार ने इस महत्वपूर्ण बिडिंग के लिए गुजरात सरकार के साथ मिलकर काम करने का भी फैसला किया है. इसके तहत, गुजरात सरकार को होस्ट कोलैबोरेशन एग्रीमेंट और ग्रांट-इन-एड की सुविधा दी जाएगी. यह साफ संकेत है कि अगर भारत को मेज़बानी मिलती है, तो गुजरात सरकार इस आयोजन को सफल बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है.

खेलों का नया गढ़ अहमदाबाद

इस बिडिंग के लिए अहमदाबाद को आदर्श मेजबान शहर माना जा रहा है. इस शहर में विश्व स्तरीय खेल सुविधाएं मौजूद हैं, जिनमें दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम नरेंद्र मोदी स्टेडियम शामिल है. इस स्टेडियम ने 2023 के क्रिकेट वर्ल्ड कप फाइनल जैसे बड़े आयोजनों को सफलतापूर्वक होस्ट करके अपनी क्षमता साबित की है. अहमदाबाद में न सिर्फ आधुनिक ट्रेनिंग सुविधाएं हैं, बल्कि खेलों के प्रति लोगों में गहरा जुनून भी है, जो किसी भी बड़े खेल आयोजन के लिए बहुत ज़रूरी होता है.

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कॉमनवेल्थ गेम्स में फिर लौटेंगे लोकप्रिय खेल

भारत की इस बिडिंग का एक और अहम पहलू यह है कि वह उन खेलों को फिर से शामिल करने का अनुरोध करेगा, जिन्हें 2026 के कॉमनवेल्थ गेम्स में से हटा दिया गया है. इन खेलों में हॉकी, क्रिकेट, बैडमिंटन, कुश्ती, टेबल टेनिस और स्क्वैश जैसे खेल शामिल हैं. ये सभी खेल भारत सहित पूरे कॉमनवेल्थ देशों में बेहद लोकप्रिय हैं.

रोजगार और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

अगर भारत 2030 के कॉमनवेल्थ गेम्स की मेज़बानी हासिल कर लेता है, तो यह सिर्फ एक खेल आयोजन नहीं होगा, बल्कि देश के लिए एक बड़ा आर्थिक और सामाजिक अवसर भी होगा. इस आयोजन में 72 देशों की भागीदारी से लाखों रोजगार के अवसर पैदा होंगे, पर्यटन को ज़बरदस्त बढ़ावा मिलेगा और खेल से जुड़े उद्योगों के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी विकास होगा. यह भारत की अर्थव्यवस्था को नई गति देने का काम करेगा.

दिल्ली में हुए 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स ने भारत को वैश्विक खेल मंच पर एक नई पहचान दी थी. अब 2030 में भारत एक बार फिर अपनी खेल आयोजन क्षमता और अपनी खेल भावना से दुनिया को प्रभावित करने के लिए तैयार है.

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