बिहार की सियासत में अचानक नई पार्टियों की बाढ़-सी आ गई है. अक्टूबर 2024 से अप्रैल 2025 के बीच चार नए दल अस्तित्व में आए हैं, और हर दल अपने-अपने तरीके से बिहार की जनता का दिल जीतने की जुगत में है.
बिहार में यादव, EBC (अति पिछड़ा वर्ग), और ऊंची जातियों के वोटर नीतीश का मजबूत आधार हैं. वक्फ बिल के बहाने अगर हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण हुआ, तो बीजेपी और JDU मिलकर इन वोटों को अपने पाले में कर सकते हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश इसे 'प्रशासनिक सुधार' का नाम दे सकते हैं.
बिहार में NDA के नेता व सीएम नीतीश कुमार हमेशा बीजेपी के लिए बड़े भाई की भूमिका में रहे हैं. नीतीश कुमार के नाम पर ही बीजेपी वहां चुनाव लड़ती आई है. लेकिन अंदरखाने से खबर है कि इस बार बीजेपी अपने 'बड़े भाई' को आराम करने की सलाह दे सकती है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीमांचल में बाढ़ राहत, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मुद्दों पर काम करके अपनी पकड़ मजबूत की है. पिछले दिनों JDU ने 'अंबेडकर रथ' और 'अल्पसंख्यक विकास रथ' जैसे अभियानों के जरिए दलित और मुस्लिम वोटरों को साधने की कोशिश शुरू की थी.
तेजस्वी यादव को यह चुनावी परिणाम एक सियासी आईना दिखा गया है. जब वह खुद को युवाओं का सबसे बड़ा समर्थक और प्रतिनिधि कहते हैं, तो अब उन्हें यह समझना होगा कि युवाओं की उम्मीदों को पूरा करने के लिए केवल वादे ही काफी नहीं होते, बल्कि जमीन पर उन वादों को लागू करना भी बेहद ज़रूरी है.
चिराग ने कहा, "लोकसभा चुनाव की तरह ही बिहार विधानसभा चुनाव में भी राजग के घटक दलों के बीच सीटों का समझौता बिना किसी झंझट के हो जाएगा. हम हमेशा से एक-दूसरे का ख्याल रखते हुए रणनीतियां बनाते आए हैं, और इस बार भी यही होगा."
Bihar: आज दिल्ली में बिहार के सांसद संजय जायसवाल के आवास पर बीजेपी सांसदों का जमावड़ा होने वाला है. यह जमावड़ा बिहार चुनाव की रणनीति को लेकर होने जा रहा है. जिसमें बिहार बीजेपी सांसदों सहित पार्टी के अन्य सांसद भी मौजूद रहेंगे. इस डिनर पार्टी में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी में शामिल होंगे.
Delhi: जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर दिल्ली पुलिस के टीम पहुंची है. इस टीम में नई दिल्ली जिले के डीसीपी देवेश महला मुआयना करने पहुंचे हैं. उनके साथ तुगलक रोड के एसीपी वीरेंद्र जैन और सुप्रीम कोर्ट के दो-तीन कर्मचारी भी अंदर हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव में इस विवाद का सामाजिक और राजनीतिक असर देखना दिलचस्प होगा. जहां एक तरफ नीतीश कुमार की साख अल्पसंख्यक समुदाय में दांव पर है, वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल, विशेषकर आरजेडी, इस मौके का फायदा उठाने की पूरी कोशिश करेंगे. मुस्लिम वोट बैंक को लेकर इस बायकॉट का गहरा असर हो सकता है, खासकर चुनावी मौसम में जब हर वोट की कीमत बढ़ जाती है.
वैसे तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा अपने विकास और सुधार के कामों के लिए पहचाने जाते रहे हैं, लेकिन अब कुछ अलग ही अंदाज में चर्चा में हैं. हाल ही में उनकी कुछ ऐसी 'हरकतें' हुईं, जिनसे उनका व्यक्तित्व नया मोड़ लेता हुआ दिखा और अब उनका हर एक कदम मीडिया की सुर्खियों में है.