Voter Adhikar Yatra Controversy: पुलिस के मुताबिक, रिजवी किसी भी पार्टी का पदाधिकारी नहीं है, बल्कि स्थानीय नेताओं का समर्थक है. सिटी एसपी अशोक कुमार ने बताया कि रिजवी को गिरफ्तार कर लिया गया है और अन्य आरोपियों की पहचान जारी है.
Villagers Attack Convoy: दो दिन पहले 25 अगस्त को मलावां गांव में एक दर्दनाक सड़क हादसा हुआ, जिसमें 9 लोगों की जान चली गई. इस हादसे ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया. ग्रामीणों का गुस्सा सड़क सुरक्षा और सरकारी लापरवाही को लेकर था. आज सुबह, पीड़ित परिवारों से मिलने और उन्हें सांत्वना देने के लिए मंत्री श्रवण कुमार और स्थानीय विधायक प्रेम मुखिया मलावां गांव पहुंचे.
Bihar Election 2025: नीतीश कुमार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए प्रदेश के छह प्रमुख नेताओं की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया है.
तेज प्रताप भी छोटे दलों के साथ मिलकर अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. जिस तरह कुशवाहा ने मुख्यमंत्री बनने का दावा किया था, उसी तरह तेज प्रताप भी अपनी अलग राह पर चल पड़े हैं. क्या उनकी कहानी भी कुशवाहा जैसी होगी, या वह कुछ नया कर दिखाएंगे?
चिराग पासवान और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बीच हुई तारीफों के आदान-प्रदान ने भी अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है. दोनों ही नीतीश सरकार के आलोचक हैं. हालांकि, चिराग ने साफ कर दिया है कि उनकी पहली प्राथमिकता NDA है, लेकिन इन मुलाकातों से भविष्य में किसी नए गठबंधन की संभावना को नकारा नहीं जा सकता.
नीतीश के इन एलानों का असर तभी होगा, जब ये जमीनी स्तर पर लागू होंगे. मुफ्त बिजली और वेतन वृद्धि का खजाना कहां से आएगा, ये बड़ा सवाल है. अगर इन योजनाओं में देरी हुई या खामियां सामने आईं, तो जनता का भरोसा डगमगा सकता है. साथ ही, नीतीश की बार-बार गठबंधन बदलने की आदत और उनकी "स्वास्थ्य" पर विपक्ष के तंज उनकी विश्वसनीयता को कमजोर कर रहे हैं.
Bihar Monsson Session 2025: तेजस्वी यादव ने मतदाता सत्यापन के लिए मांगे जा रहे 11 दस्तावेजों पर सवाल उठाते हुए नीतीश कुमार सरकार पर निशाना साधा. इस दौरान मुख्यमंत्री और तेजस्वी के बीच तीखी बहस हुई.
Bihar Politics: राजद विधायक मुन्ना यादव ने एक विवादास्पद बयान में कहा कि जातीय सर्वे के बाद 'मिश्रा, सिंह, झा, शर्मा का गुजारा नहीं' और उनकी हैसियत उजागर हो चुकी है.
कांग्रेस बिहार में 1985 से सत्ता से बाहर है और RJD के बिना उसका सियासी वजूद काफी कमजोर है. राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व के लिए तेजस्वी और लालू के साथ गठबंधन बनाए रखना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि RJD का संगठन और जनाधार कांग्रेस से कहीं ज़्यादा मजबूत है. यही वजह है कि पप्पू और कन्हैया को बार-बार हाशिए पर धकेला जाता है, ताकि तेजस्वी नाराज न हों.
बिहार की सियासत में धार्मिक मुद्दे पहले भी उठते रहे हैं, लेकिन जातिगत समीकरण हमेशा हावी रहे. 1980 और 1990 के दशक में लालू यादव ने मंडल आयोग के सहारे OBC और मुस्लिम वोटरों को एकजुट किया. वहीं, BJP ने राम मंदिर आंदोलन के जरिए हिंदुत्व को बिहार में लाने की कोशिश की, लेकिन उसे अकेले सत्ता कभी नहीं मिली.