यह देखना दिलचस्प होगा कि NDA के भीतर इस बयान का क्या असर होता है. क्या चिराग का यह कदम गठबंधन में कोई नई खटास पैदा करेगा या फिर यह सिर्फ चुनाव से पहले अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने का एक तरीका है, जिस पर आगे चलकर कोई नई रणनीति बन सकती है?
सबसे दर्दनाक तस्वीर तब सामने आई जब 2020 में कोविड-19 का लॉकडाउन लगा. अचानक, काम बंद हो गए और लगभग 32 लाख प्रवासी मज़दूर अपने घरों की ओर लौटने लगे. ट्रेनों, बसों और पैदल चलते हुए उन युवाओं को देखकर यह दर्दनाक सच्चाई सामने आ गई कि बिहार की आधी से ज़्यादा जवानी तो अपने घर से दूर परदेस में मजदूरी कर रही है.
बीजेपी लंबे समय से मुस्लिम वोटों से दूर रही है. लेकिन बिहार में मुस्लिम आबादी अच्छी खासी है (लगभग 17.7%). 1 बीजेपी जानती है कि अगर 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत हासिल करनी है, तो उसे नए वोट बैंक तलाशने होंगे. पसमांदा समाज इसी कड़ी का हिस्सा है.
पिछले कुछ समय से चिराग पासवान बिहार में काफी सक्रिय थे. उनकी रैलियां और सभाएं खूब सुर्खियां बटोर रही थीं. जब उन्होंने खुद चुनाव लड़ने की बात कही थी, तो राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई थी. कयास लगाए जा रहे थे कि इससे NDA गठबंधन के भीतर ही LJP (रामविलास) का कद बढ़ जाएगा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर दबाव आ सकता है.
घटना दोपहर करीब 2:40 बजे की है. तेजस्वी यादव मंच पर भाषण दे रहे थे, अपनी बात खत्म करने ही वाले थे कि तभी एक ड्रोन तेजी से उनकी ओर बढ़ता दिखा. पलक झपकते ही ड्रोन इतनी करीब आ गया कि तेजस्वी यादव को खुद को बचाने के लिए झुकना पड़ा.
49 वर्षीय निशांत कुमार पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और उन्होंने बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (BIT) मेसरा से पढ़ाई की है. अब तक वे राजनीति से कोसों दूर थे और अध्यात्म में रुचि रखते थे.
PK ने बिहार में लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सफलता का उदाहरण देते हुए तर्क दिया कि लोग केवल जाति के आधार पर वोट नहीं देते. उन्होंने कहा, ‘पिछले 15 सालों से बिहार में बीजेपी को लोकसभा चुनावों में बहुत सफलता मिल रही है.
सियासी निशाने पर तेजस्वी या नीतीश? PK सिर्फ जनता से जुड़ नहीं रहे, बल्कि अपने अंदाज़ से विरोधियों पर निशाना भी साध रहे हैं. लालू यादव की तरह PK भी मंच पर मज़ाक करते हैं, व्यंग्य कसते हैं और पूरे आत्मविश्वास से भरे रहते हैं. जहां लालू अपने विरोधियों को तीखे बंजों और हास्य के ज़रिए घेरते थे, वहीं PK खुलकर परिवारवाद पर हमला करते हैं.
बीजेपी जानती है कि नीतीश कुमार का अपना एक कोर वोट बैंक है और उनका अनुभव गठबंधन के लिए जरूरी है. इसलिए, चुनाव उनके नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा ताकि उनके समर्थक NDA के साथ बने रहें. दूसरी ओर बीजेपी बिहार में अपनी जड़ों को और मजबूत करना चाहती है और अंततः अपना मुख्यमंत्री बनाना चाहती है.
Bihar Elections 2025: जन सुराज पार्टी के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर बार-बार तेजस्वी यादव को निशाना बना रहे हैं.