Bihar Politics: लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन के मौके पर सीतामढ़ी में RJD कार्यकर्ताओं के बीच जमकर मारपीट हुई.
Tej Pratap Yadav: जगदानंद सिंह के बेटे RJD सांसद सुधाकर सिंह ने तेजप्रताप यादव के कथित दूसरी शादी के विवाद पर उनका बचाव किया है.
सवर्ण आयोग के जरिए नीतीश बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाना चाहते हैं. अगर अगड़ी जातियां यह महसूस करेंगी कि उनकी बात सुनी जा रही है, तो वे जेडीयू की ओर झुक सकती हैं. इसके इतर नीतीश ने EBC, OBC, और अल्पसंख्यकों को पहले ही साध रखा है.
तेज प्रताप की छवि हमेशा से ही रंगीली रही है. कभी कृष्ण के रूप में बांसुरी बजाना, तो कभी जलेबी तलना, उनके अंदाज ने हमेशा सुर्खियां बटोरी हैं. लेकिन इस बार मामला उनकी निजी जिंदगी और राजनीतिक करियर से जुड़ा है. अगर वे बगावत करते हैं, तो यह लालू परिवार की एकता और RJD की साख के लिए बड़ा खतरा होगा.
2015 में RCP और PK ने मिलकर नीतीश-लालू के महागठबंधन को जिताया था. तब RCP JDU के बड़े नेता थे और PK रणनीति बनाते थे. अब दोनों फिर साथ हैं, लेकिन इस बार नीतीश के खिलाफ.
तेज प्रताप को लाइमलाइट से प्यार है, और वो इसके लिए कुछ भी कर सकते हैं. कभी वो कृष्ण भक्ति में डूबकर ‘वृंदावन बिहारी’ बन जाते हैं, तो कभी साइकिल चलाकर सुर्खियां बटोरते हैं. लेकिन सियासत सिर्फ सुर्खियों से नहीं चलती.
तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि बिहार में भ्रष्टाचार इस कदर फैल चुका है कि हर टेंडर में 30% घूस ली जा रही है. ये पैसा ठेकेदारों से लेकर मंत्रियों तक पहुंचता है. तेजस्वी ने आंकड़े गिनाते हुए बताया कि इस साल 7 कैबिनेट मीटिंग में 76,622 करोड़ रुपये की योजनाओं को मंजूरी दी गई, ज्यादातर निर्माण कार्यों के लिए.
अगर कांग्रेस अपने इस अभियान में कामयाब रही, तो नीतीश कुमार की 20 साल पुरानी बादशाहत को बड़ा झटका लग सकता है. बिहार की आधी आबादी यानी महिलाएं अगर कांग्रेस की ओर मुड़ीं, तो ये 2025 के विधानसभा चुनाव में गेम-चेंजर साबित हो सकता है.
RJD अपनी पारंपरिक रणनीति पर कायम है, जिसमें यादव और मुस्लिम वोट बैंक (MY समीकरण) के साथ-साथ अन्य पिछड़ा वर्ग और दलित समुदायों को जोड़ने की कोशिश शामिल है. तेजस्वी यादव ने हाल ही में तेली और नाई जैसे छोटे समुदायों को साधने के लिए रैलियां की हैं, ताकि 2020 में मिले 37.23% वोट शेयर को बढ़ाया जा सके.
बिहार की सियासत में अचानक नई पार्टियों की बाढ़-सी आ गई है. अक्टूबर 2024 से अप्रैल 2025 के बीच चार नए दल अस्तित्व में आए हैं, और हर दल अपने-अपने तरीके से बिहार की जनता का दिल जीतने की जुगत में है.