कन्हैया के इस ‘दोस्ताना ऑफर’ से RJD के तेजस्वी यादव की भौंहें तन गई हैं. तेजस्वी और उनकी पार्टी PK को बीजेपी की ‘बी-टीम’ बताकर हमला बोल रही है. खासकर तब से, जब PK ने ऐलान किया कि वो तेजस्वी के गढ़ राघोपुर से चुनाव लड़ेंगे. तेजस्वी अपनी सभाओं में PK पर तीखे तंज कसते हैं, लेकिन कन्हैया का नरम रवैया RJD को चुभ रहा है.
Bihar Politics: जन सुराज पार्टी के साथ बिहार चुनाव में उतरे प्रशांत किशोर का आगाज काफी सुर्ख़ियों में रहा है. मगर जैसे-जैसे अंजाम का वक़्त सामने आ रहा है वैसे ही धीरे-धीरे उनके प्रति बिहार के लोगों का मोह भंग हो रहा है.
कांग्रेस ने बिहार में बेरोजगारी और पलायन जैसे मुद्दों को लेकर नीतीश सरकार को घेरने के लिए यह पदयात्रा शुरू की थी. 16 मार्च को पश्चिम चंपारण के भितिहरवा आश्रम से शुरू हुआ यह सियासी सफर बिहार के तमाम जिलों से गुजरता हुआ पटना पहुंचा. प्लान था कि कार्यकर्ता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास का घेराव करेंगे, लेकिन डाकबंगला चौराहे पर पुलिस ने उन्हें रोक दिया. बस, यहीं से शुरू हुआ हंगामा.
पीके की साफ-सुथरी छवि और विकास की बातें शहरी और युवा वोटरों को पसंद आ रही हैं. उनकी रैलियों में भीड़ इसका सबूत है. अगर पीके मुस्लिम और अति पिछड़ा वोटों को अपनी ओर खींच लेते हैं, तो RJD और JDU को बड़ा नुकसान हो सकता है. खासकर सीमांचल में, जहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है, वे AIMIM के वोट भी काट सकते हैं.
Bihar Election 2025: हाल ही में बिहार के बेगूसराय से कांग्रेस ने 'पलायन रोको, नौकरो दो' यात्रा शुरू की है. जिसमें कन्हैया कुमार के साथ खुद राहुल गांधी भी मौजूद रहे. मगर सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या बिहार में पलायन का 'पल्लू' पकड़कर कांग्रेस की नैय्या चुनाव में पार हो पाएगी?
वक्फ संशोधन बिल को लेकर विपक्ष और मुस्लिम संगठन केंद्र सरकार पर हमलावर हैं. बिहार में JDU के कई मुस्लिम नेताओं ने बिल का खुलकर विरोध किया था, कुछ ने तो इस्तीफे की धमकी भी दी. पार्टी हाईकमान ने सोचा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस से सब ठीक हो जाएगा, लेकिन उल्टा नुकसान हो गया.
Waqf Amendment Bill: जेडीयू ने वक्फ संशोधन बिल का समर्थन किया. वहीं उनके नेता ललन सिंह इस बिल पर सदन में जोरदार तरीके से अपना पक्ष रखते नजर आए.
बिहार में यादव, EBC (अति पिछड़ा वर्ग), और ऊंची जातियों के वोटर नीतीश का मजबूत आधार हैं. वक्फ बिल के बहाने अगर हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण हुआ, तो बीजेपी और JDU मिलकर इन वोटों को अपने पाले में कर सकते हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश इसे 'प्रशासनिक सुधार' का नाम दे सकते हैं.
बिहार में NDA के नेता व सीएम नीतीश कुमार हमेशा बीजेपी के लिए बड़े भाई की भूमिका में रहे हैं. नीतीश कुमार के नाम पर ही बीजेपी वहां चुनाव लड़ती आई है. लेकिन अंदरखाने से खबर है कि इस बार बीजेपी अपने 'बड़े भाई' को आराम करने की सलाह दे सकती है.
सुनवाई के दौरान जब याचिकाकर्ता के वकील ने यह दावा किया कि उनके मुवक्किल को झूठे आरोपों में फंसाया गया है, तो जस्टिस सूर्यकांत ने मजाकिया अंदाज में कहा, “आपने तो गुंडों को किराए पर लिया है, एक हेलमेट पहने हुए, दूसरा टोपी लगाए बाइक पर… और अब आप फंस गए हैं क्योंकि आपके खिलाफ साक्ष्य हैं.”