इस बैठक में भारतीय तटरक्षक बल, भारतीय नौसेना, आईएएफ, ओएनजीसी, डीजीएच और डीजी शिपिंग सहित संबंधित मंत्रालयों और एजेंसियों के सदस्य शामिल हुए.
आईसीजी का शिप 18 नवंबर को ओखा हार्बर वापस लौटा, जहां आईसीजी, राज्य पुलिस, खुफिया एजेंसियों और मत्स्य पालन अधिकारियों की मौजूदगी में पूरे घटनाक्रम की संयुक्त जांच की गई.
महानिदेशक एस. परमेश ने भारतीय तटरक्षक बल के विस्तृत निगरानी तंत्र, उन्नत जहाजों की बेड़े के बारे में जानकारी दी.
भारतीय तटरक्षक बल देशभर में प्रदूषण प्रतिक्रिया के लिए अग्रणी भूमिका निभा रहा है और इस तरह के अभ्यासों के माध्यम से यह सुनिश्चित कर रहा है कि सभी संबंधित संस्थाएं बेहतर तरीके से तैयार रहें.
Indian Coast Guard: इस बैठक में भारतीय जलक्षेत्र में संभावित तेल रिसाव की घटनाओं पर प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने के लिए राष्ट्र की तत्परता का मूल्यांकन करने पर ध्यान केंद्रित किया गया.
भारतीय तटरक्षक के महानिदेशक परमेश शिवमणि और दिग्गजों की मौजूदगी में इन दोनों जहाजों का शुभारंभ और नामकरण 'अथर्ववेद' के मंत्रोच्चार के साथ समारोहपूर्वक किया गया.
एयर कुशन व्हीकल के रखरखाव के लिए भी CCPL से अनुबंध किया गया है. CCPL एसीवी रखरखाव के लिए भारत में ही एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का विकास करेगा. इससे न केवल स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि यह MSME सेक्टर को भी लाभ मिलेगा.
Indian Coast Guard: इस प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) उत्तर-पूर्वी जोन ने सभी तरह की तैयारियों पर काम करना शुरू कर दिया है और समुंद्री इलाके में हर स्थिति में मदद पहुंचाने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
Indian Coast Guard: भारतीय नौसेना और अन्य हितधारकों के साथ आईसीजी ने शेष चालक दल, कमांडेंट राकेश कुमार राणा, जो मिशन के पायलट इन कमांड थे, का पता लगाने के लिए निरंतर खोज प्रयास जारी रखे.
ICC-2024 की सफलता में विभिन्न सरकारी और नागरिक प्राधिकरणों, नगरपालिका निगमों, गैर-सरकारी संगठनों (NGOs), मत्स्य संघों, बंदरगाहों, ऑयल एजेंसियों और अन्य निजी कंपनियों के सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका रही.