सुवेंदु ने ममता पर तंज कसते हुए कहा, “पिछले साल 2023 में आपके ‘शांति के लड़ाकों’ ने राम नवमी के जुलूसों पर हमले किए थे. अब हिंदू समाज ने ठान लिया है कि इस बार सड़कों पर उतरकर जय श्री राम के नारे लगाएंगे. हर गाड़ी पर भगवा झंडा लहराएगा.”
मंगलवार को प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ पर ममता बनर्जी ने ऐसा बयान दिया, जिससे सियासी हलचल बढ़ गई.
सीएम ममता ने तंज कसते हुए कहा, "महाकुंभ का सम्मान मैं करती हूं, पवित्र गंगा का भी, लेकिन यहां कोई ठोस योजना नजर नहीं आ रही. कुछ वीआईपी के लिए 1 लाख रुपये तक के कैंप्स हैं, जबकि गरीबों के लिए कोई ध्यान नहीं."
गठबंधन में नेतृत्व को लेकर यह विवाद कांग्रेस पार्टी के लिए नई चिंता का विषय बन गया है. पिछले लोकसभा चुनावों में जहां कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ मजबूत स्थिति बनाई थी, वहीं कुछ राज्यों जैसे हरियाणा और महाराष्ट्र में पार्टी के प्रदर्शन में गिरावट देखने को मिली.
टीएमसी ने जहां अपने उपचुनावों में शानदार जीत हासिल की है, वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को एक-एक कर मुंह की खानी पड़ी. जब कांग्रेस के उम्मीदवारों ने अपनी जमानत तक खो दी, तो ममता ने यह साफ कर दिया कि उन्हें अपनी पार्टी की बढ़ती ताकत और BJP के खिलाफ एक सशक्त विपक्ष की जरूरत है.
पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन बीजेपी से मुकाबला करना आसान नहीं था. इस दौरान कांग्रेस ने ममता को समर्थन दिया, लेकिन कांग्रेस के अपने नेता राहुल गांधी ने बंगाल में रैलियां करने से मना कर दिया.
ममता बनर्जी की ये श्रद्धांजलि इसलिए भी सुर्खियों में है क्योंकि सालों पहले ममता बनर्जी के सिंगूर आंदोलन से रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट अधूरा रह गया था.
इससे पहले, ममता बनर्जी सरकार को अगस्त में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई एक ट्रेनी डॉक्टर के रेप और हत्या मामले को लेकर भी आलोचना का सामना करना पड़ा था. अब एक बार फिर ऐसे मामलों की बढ़ती संख्या ने उनकी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है.
Kolkata Rape-Murder Case: ममता ने डॉक्टरों को भरोसा देते हुए कहा कि सीपी को मंगलवार शाम चार बजे तक हटा दिया जाएगा और विनीत गोयल की जगह नए सीपी अपना कार्यभार संभाल लेंगे.
इससे पहले, डॉक्टरों ने बैठक की लाइव स्ट्रीमिंग और वीडियो रिकॉर्डिंग की मांग की थी, जिसे राज्य सरकार ने खारिज कर दिया था. इस कारण पिछले प्रयास विफल रहे थे. बाद में प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने अपनी मांग में थोड़ी नरमी लाते हुए केवल बैठक की बातचीत और उसकी हस्ताक्षरित प्रति प्रदान करने की मांग की.