पिछले कुछ सालों से पश्चिम बंगाल को छोड़कर देश के किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की मुखिया कोई महिला नहीं रही है. पश्चिम बंगाल के लोगों, खासकर महिलाओं को ममता बनर्जी के सीएम बनने से बहुत उम्मीदें थीं, क्योंकि वह यह सुनिश्चित करने के लिए भी जानी जाती हैं.
महिलाओं को अपनी सारी समस्याएं सीएम तक पहुंचाने में मदद करने के उद्देश्य से 'दीदी के बोलो' नामक पोर्टल शुरू किया गया था. हालांकि, दुख की बात है कि महिलाओं की आवाज दीदी तक नहीं पहुंच पा रही है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, "हम चाहते हैं कि सच्चाई सामने आए, लेकिन कुछ लोग लोगों को गुमराह करने के लिए झूठ बोल रहे हैं. मैं पूरी रात जागती रही, क्योंकि मेरा सीना जल रहा था."
एक कार्यक्रम में कहा, "सीपीआई (एम), भाजपा पश्चिम बंगाल में सत्ता हासिल करने के लिए बांग्लादेश जैसा विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की कोशिश कर रहे हैं."
बनर्जी ने यह भी कहा कि वह अपराधियों के लिए मौत की सजा की मांग करेंगी. उन्होंने कहा है कि हमने पुलिस को दोषियों की पहचान करने का आदेश दिया है.
Mamata Banerjee: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मैंने मामले को फास्ट-ट्रैक कोर्ट में ले जाने का निर्देश दिया है. अगर जरूरत पड़ी तो आरोपियों को फांसी दी जाएगी, हालांकि, मैं फांसी की सजा का समर्थक नहीं हूं.
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार से उस प्रक्रिया के बारे में बताने को कहा जो उन्होंने 77 समुदायों (जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे) को अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत करने, उन्हें आरक्षण लाभ के लिए पात्र बनाने के लिए अपनाई थी
आरक्षण को लेकर पिछले कुछ महीनों से बांग्लादेश में अशांति फैली हुई है. हजारों छात्रों ने प्रदर्शन करते हुए पीएम आवास पर कब्जा कर लिया है. इस बीच शेख हसीना ने पीएम पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया है.
अब सवाल उठता है कि आखिर 'दीदी' को क्या परेशान कर रहा है? ममता ने अचानक गठबंधन से अलग होकर अपना रास्ता क्यों तय किया है? शायद अब ममता बनर्जी को एहसास हो रहा है कि गठबंधन के साथी अपने-अपने एजेंडे पर काम कर रहे हैं.
अधीर रंजन ने कहा कि उनकी मुख्य समस्या राष्ट्रीय राजनीति में राहुल गांधी का उदय है. इससे उन्हें जलन हो रही है. लेकिन उन्हें यह दिखाना होगा कि वह अभी भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक हैं.